धर्मशाला: केंद्र सरकार की नमामी गंगा परियोजना की तर्ज पर अब ब्यास रिवर बेसिन की डीपीआर बनेगी. इसको लेकर वन विभाग की ओर से धर्मशाला सर्कल में इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में वन विभाग सर्कल धर्मशाला के कंजरवेटर डीआर कौशल और वन्य प्राणी विभाग के कंजरवेटर प्रदीप ठाकुर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों पर शिक्षण संस्थानों के प्रवक्ताओं ने भाग लिया.
कंजरवेटर वन विभाग डीआर कौशल ने बताया कि भारत सरकार की ओर से वर्ष 2016 में एक डीपीआर तैयार की गई थी, जिसे एफआरआई देहरादून ने तैयार किया था. उस डीपीआर को काफी सराहा गया था, जिस पर इन दिनों काम भी चल रहा है. उसी का अनुसरण करते हुए भारत सरकार ने शिमला स्थित एचएफआरआई रिसर्च इंस्टीटयूट शिमला को ब्यास रिवर बेसिन पर एक डीपीआर तैयार करने को कहा है.
कंजरवेटर ने बताया कि नमामी गंगा परियोजना की सफलता को देखकर आईसीएफआरआई ने 13 नदियों का चयन किया. उन 13 नदियों में से 9 रिवर बेसिन हैं. एचएफआरआई ने ब्यास रिवर बेसिन पर काम करना शुरू कर दिया है. ब्यास नदी रोहतांग पास से ब्यास कुंड से निकलती है, इसका 470 किलोमीटर एरिया रिवर कोर्स है, जो कि इस नदी की लंबाई है.
डीआर कौशल ने बताया कि इंडस रिवर का 14 फीसदी ड्रेनेज एरिया हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ होकर गुजरता है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में स्थित ब्यास रिवर बेसिन को मैनेज करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि डीपीआर के लिए डाटा एकत्रित किया जाएगा, जिसके लिए वर्कशॉप में सभी एनजीओ और विभागों को बुलाया गया था.