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नमामि गंगा की तर्ज पर ब्यास के लिए भी बनेगी डीपीआर, एचएफआरआई को मिला जिम्मा - इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट

नमामी गंगा परियोजना की तर्ज पर अब ब्यास रिवर बेसिन की डीपीआर बनेगी. इसको लेकर वन विभाग की ओर से धर्मशाला सर्कल में इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन किया गया.

इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन
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Published : Aug 19, 2019, 6:29 PM IST

धर्मशाला: केंद्र सरकार की नमामी गंगा परियोजना की तर्ज पर अब ब्यास रिवर बेसिन की डीपीआर बनेगी. इसको लेकर वन विभाग की ओर से धर्मशाला सर्कल में इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में वन विभाग सर्कल धर्मशाला के कंजरवेटर डीआर कौशल और वन्य प्राणी विभाग के कंजरवेटर प्रदीप ठाकुर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों पर शिक्षण संस्थानों के प्रवक्ताओं ने भाग लिया.

कंजरवेटर वन विभाग डीआर कौशल ने बताया कि भारत सरकार की ओर से वर्ष 2016 में एक डीपीआर तैयार की गई थी, जिसे एफआरआई देहरादून ने तैयार किया था. उस डीपीआर को काफी सराहा गया था, जिस पर इन दिनों काम भी चल रहा है. उसी का अनुसरण करते हुए भारत सरकार ने शिमला स्थित एचएफआरआई रिसर्च इंस्टीटयूट शिमला को ब्यास रिवर बेसिन पर एक डीपीआर तैयार करने को कहा है.

कंजरवेटर ने बताया कि नमामी गंगा परियोजना की सफलता को देखकर आईसीएफआरआई ने 13 नदियों का चयन किया. उन 13 नदियों में से 9 रिवर बेसिन हैं. एचएफआरआई ने ब्यास रिवर बेसिन पर काम करना शुरू कर दिया है. ब्यास नदी रोहतांग पास से ब्यास कुंड से निकलती है, इसका 470 किलोमीटर एरिया रिवर कोर्स है, जो कि इस नदी की लंबाई है.

इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन

डीआर कौशल ने बताया कि इंडस रिवर का 14 फीसदी ड्रेनेज एरिया हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ होकर गुजरता है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में स्थित ब्यास रिवर बेसिन को मैनेज करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि डीपीआर के लिए डाटा एकत्रित किया जाएगा, जिसके लिए वर्कशॉप में सभी एनजीओ और विभागों को बुलाया गया था.

धर्मशाला: केंद्र सरकार की नमामी गंगा परियोजना की तर्ज पर अब ब्यास रिवर बेसिन की डीपीआर बनेगी. इसको लेकर वन विभाग की ओर से धर्मशाला सर्कल में इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में वन विभाग सर्कल धर्मशाला के कंजरवेटर डीआर कौशल और वन्य प्राणी विभाग के कंजरवेटर प्रदीप ठाकुर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों पर शिक्षण संस्थानों के प्रवक्ताओं ने भाग लिया.

कंजरवेटर वन विभाग डीआर कौशल ने बताया कि भारत सरकार की ओर से वर्ष 2016 में एक डीपीआर तैयार की गई थी, जिसे एफआरआई देहरादून ने तैयार किया था. उस डीपीआर को काफी सराहा गया था, जिस पर इन दिनों काम भी चल रहा है. उसी का अनुसरण करते हुए भारत सरकार ने शिमला स्थित एचएफआरआई रिसर्च इंस्टीटयूट शिमला को ब्यास रिवर बेसिन पर एक डीपीआर तैयार करने को कहा है.

कंजरवेटर ने बताया कि नमामी गंगा परियोजना की सफलता को देखकर आईसीएफआरआई ने 13 नदियों का चयन किया. उन 13 नदियों में से 9 रिवर बेसिन हैं. एचएफआरआई ने ब्यास रिवर बेसिन पर काम करना शुरू कर दिया है. ब्यास नदी रोहतांग पास से ब्यास कुंड से निकलती है, इसका 470 किलोमीटर एरिया रिवर कोर्स है, जो कि इस नदी की लंबाई है.

इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन

डीआर कौशल ने बताया कि इंडस रिवर का 14 फीसदी ड्रेनेज एरिया हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ होकर गुजरता है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में स्थित ब्यास रिवर बेसिन को मैनेज करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि डीपीआर के लिए डाटा एकत्रित किया जाएगा, जिसके लिए वर्कशॉप में सभी एनजीओ और विभागों को बुलाया गया था.

Intro:धर्मशाला- केंद्र सरकार की नमामी गंगा परियोजना का अनुसरण करते हुए अब ब्यास रिवर बेसिन की डीपीआर बनेगी। जिसके चलते वन विभाग द्वारा धर्मशाला सर्कल में इंडस रिवर बेसिन मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वन विभाग सर्कल धर्मशाला के कंजरवेटर डीआर कौशल और वन्य प्राणी विभाग के कंजरवेटर प्रदीप ठाकुर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों पर शिक्षण संस्थानों के प्रवक्ताओं ने भाग लिया। कंजरवेटर वन विभाग डीआर कौशल ने बताया कि भारत सरकार की ओर से वर्ष 2016 में एक डीपीआर तैयार की गई थी, जिसे एफआरआई देहरादून ने तैयार किया था। आईएसएफआरआई एक रिसर्च काउंसिल है, उनके द्वारा एफआरआई देहरादून को यह काम दिया गया था कि गंगा की सफाई के लिए योजना बनाई जाए। जिस पर नमामी गंगा परियोजना लांच की गई थी, जिसके तहत एक डीपीआर तैयार की गई थी। उस डीपीआर को काफी सराहा गया था, जिस पर इन दिनों काम भी चल रहा है।






Body:उसी का अनुसरण करते हुए भारत सरकार ने शिमला स्थित एसएफआरआई रिसर्च इंस्टीटयूट शिमला को ब्यास रिवर बेसिन पर एक डीपीआर तैयार करने को कहा है। कंजरवेटर ने बताया कि नमामी गंगा परियोजना की सफलता सामने आई तो आईसीएफआरआई ने 13 नदियों का चयन किया। उन 13 नदियों में से 9 रिवर बेसिन हैं, उनमें से 5 नदियों का काम एसएफआरआई शिमला को डीपीआर बनाने के लिए दिया गया है। एसएफआरआई  ने ब्यास रिवर बेसिन पर काम करना शुरू कर दिया है। ब्यास नदी रोहतांग पास से ब्यास कुंड से निकलती है, इसका 470 किलोमीटर एरिया रिवरकोर्स है, जो कि इस नदी की लंबाई है। डीआर कौशल ने बताया कि इंडस रिवर का 14 फीसदी ड्रेनेज एरिया जो है देश का वो हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ होकर गुजरता है। ऐसे में निर्णय लिया गया कि हिमाचल प्रदेश में ब्यास रिवर बेसिन जो है उसे मैनेज किया जाए। 





Conclusion:इसका लक्ष्य यह है कि हमारा पानी साफ-सुथरा हो, पानी का बहाव बढऩा चाहिए, पूरे साल नदियों में पानी होना चाहिए, उस सिस्टम को ठीक करने के लिए सभी विभागों को साथ लेकर जिसमें वन, बागवानी, आईपीएच के सहयोग से ज्वाइंट डीपीआर बनाई जाए। उसी को लेकर हाल ही में एक बैठक शिमला में हुई थी, उसी को फॉलोअप करते हुए जिला स्तर पर एचएफआरआई की टीम आ रही है। इस दौरान डीपीआर बनाने के लिए चर्चा शुरू की गई है। उसी चर्चा के मद्देनजर धर्मशाला में वर्कशॉप का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि डीपीआर के लिए डाटा एकत्रित किया जाएगा, जिसके लिए वर्कशॉप में सभी एनजीओ और विभागों को बुलाया गया था। रिवर बेसिन को इंपू्रव करने में किस डिपार्टमेंट का क्या रोल रहेगा, इसको तय किया जा रहा है। इसके तहत पूरे कैचमेंट का ट्रीटमेंट होगा और जिस भी विभाग के जो कार्य होंगे, उसकी डीपीआर तैयार करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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