धर्मशाला: आर्थिक आत्मनिर्भरता और पारिवारिक विकास का सपना देखने वाली महिलाओं की अब गांव-कस्बों में कमी नहीं हैं. ऐसे में उन्हें घरद्वार पर ही अपनी आजीविका के साधन मिल जाए तो क्या कहने. महिलाओं के सपनों को पूरा करने के लिए कांगड़ा के देहरा विकास खंड ने राष्ट्रीय आजीविका योजना के तहत पहल की है. यहां महिलाएं गाय के गोबर से धूप और अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग ले रही हैं.
सिद्धि विनायक गौ सेवा समिति ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले दो महिलाओं को देसी गाय के गोबर से धूप और अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग दी. जबकि वर्तमान में स्वयं सहायता समूहों की 20 से ज्यादा महिला सदस्य प्रशिक्षित होकर इस कार्य में जुटी हैं.
इन महिलाओं को ट्रेनिंग देने वाले देहरा ब्लाक के मास्टर ट्रेनर सुनील शर्मा बताते हैं कि सिद्धि विनायक गौ सेवा समिति इन महिलाओं को धूप और अगरबत्ती बनाने के लिए गोबर घर पर ही मुहैया करा रही है.
इनके इस्तेमाल से तैयार होती है धूप-अगरबत्ती
देशी गाय के गोबर को 70 फीसदी और गूगल धूप, जटामासी, नखनां, राल धूप, चंदन जैसी करीब 11 जड़ी बूटियों का 30 फीसदी मिश्रण बनाकर यह प्रोडक्ट तैयार किए जा रहा है. इसके अलावा फिनाइल के तौर में प्रयोग होने वाले गोनाइल में नीम और गौमूत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
बीडीओ देहरा डॉ. स्वाति गुप्ता ने बताया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विकास खण्ड देहरा की यह पहल प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयास है. ज्वालामुखी की सिद्धि विनायक गौशाला में महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है. प्रयास रहेगा कि इस प्रोजेक्ट को घर-घर पहुंचाया जाए और इनके द्वारा निर्मित धूप और अगरबत्ती की मार्केटिंग की उचित व्यवस्था की जाए.
कोरोना काल में बन रहा आजीविका का साधन
प्रशिक्षित महिला राजकुमारी ने बताया कि हम अन्य महिलाओं के साथ मिलकर देसी गाय के गोबर से धूप और अगरबत्ती तैयार कर रहे हैं. इसके लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है. गोबर के साथ इसमें जड़ी बूटियां भी मिलाई जा रही हैं. कोरोना काल में यह कार्य रोजगार का साधन बन रहा है. ट्रेनिंग के बाद हमें आजीविका भी प्राप्त हो रही है.
लोकल को वोकल बनाने की तैयारी
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विकास खण्ड देहरा की यह पहल प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयास है. प्रशासन की कोशिश है कि ये पहल देहरा से शुरू होकर पूरे प्रदेश में पहुंचे. ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस मुहिम से जोड़ने की कोशिश की जा रही है ताकि इस प्रोजेक्ट को घर-घर पहुंचाया जा सके. लोकल को वोकल बनाने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया जा सके.