कांगड़ा: तिब्बत के राष्ट्रपति पेनपा सेरिंग ने अपनी पहली अमेरिका यात्रा के (Penpa Tsering US tour) अंतिम चरण में न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के तिब्बतियों से मुलाकात की और उन्हें संबोधित भी किया. अपने संबोधन में पेनपा सेरिंग ने तिब्बतियों से विचारधाराओं में छोटे-छोटे मतभेदों और विभाजनों के बावजूद एकजुट रहने का आह्वान किया. उन्होंने तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के लंबे प्रयास और योगदान को खतरे में नहीं डालने के लिए एकजुट भावना के साथ संकट का सामना करने की बात भी कही.
पेनपा सेरिंग ने कहा कि हमारा संघर्ष आंदोलन सत्य और न्याय का पालन करता है, हमारे लिए यह अनिवार्य है कि हम अपने देश के ऐतिहासिक तथ्यों से अच्छी तरह अवगत हों. उन्होंने कहा कि पवित्र मानी जाने वाली हमारी भूमि का दुनिया के अन्य स्थानों के विपरीत बुद्ध के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध है. उन्होंने कहा कि इस विशेष संबंध के लिए विशेषाधिकार प्राप्त होने के कारण ऐतिहासिक तथ्यों को सटीक रूप से पहचानने और प्रस्तुत करने का हमारा दायित्व है. उन्होंने तिब्बती सांस्कृतिक पहचान और भाषा को संरक्षित करने की अनिवार्यता की ओर भी इशारा किया.
पेनपा सेरिंग ने 16वें कशग (केन्द्रीय तिब्बत प्रशासन) के मुख्य उद्देश्यों को दोहराया और उनके प्रशासन द्वारा अब तक की गई गतिविधियों की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की. जिसमें 1998 में स्थापित चीन-तिब्बत वार्ता पर सीटीए की टास्क फोर्स का विघटन और इसके स्थान पर एक नई स्थायी रणनीति समिति की स्थापना शामिल है. इसके अलावा पेनपा सेरिंग ने इलियट स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (GWU) द्वारा (Elliott School of International Affairs) आयोजित एक सेमिनार में भाग लिया, जहां उन्होंने तिब्बत-चीन संवाद सगाई के तीस साल-वैश्विक पुनर्गठन के समय में वर्तमान परिप्रेक्ष्य विषय पर एक मुख्य भाषण भी दिया. उन्होंने अपने प्रशासन की अटल राजनीतिक रणनीति के रूप में धर्मगुरु दलाईलामा द्वारा समर्थित मध्यम मार्ग दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला.
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