चंडीगढ़: तिब्बत के लोग पिछले 60 सालों से तिब्बत की आजादी के लिए लड़ रहे हैं. सैकड़ों लोग अपने देश की आजादी के लिए बलिदान दे चुकें हैं, लेकिन अभी तक वो अपने देश को चीन से आजादी नहीं दिला पाए हैं. तिब्बत के बहुत से लोग भारत में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं और तिब्बत की लड़ाई के लिए लगातार लड़ रहे हैं.
इन्हीं लोगों में से एक हैं तेंजिन सुंडू जो पिछले कई सालों से तिब्बत को चीन से आजादी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. वो सारी दुनिया को ये बताने में लगे हैं कि किस तरह से चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर रखा है और वो दुनिया के तमाम देशों से ये अपील भी कर रहे हैं कि सभी देश मिलकर तिब्बत का साथ दें.
धर्मशाला से नई दिल्ली तक पैदल यात्रा
इसी कड़ी में तेनजिन सुंडू हिमाचल के धर्मशाला से नई दिल्ली तक करीब 500 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकले हैं. उन्होंने 12 फरवरी को ये यात्रा शुरू की थी और दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचकर चीन के खिलाफ विरोध दर्ज कराएंगे.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने तिब्बत ही नहीं बल्कि कई देशों पर कब्जा किया हुआ है, जिनके बारे में दुनिया भूल चुकी है. उन्होंने कहा कि चीन धीरे-धीरे दूसरे देशों पर कब्जा करता जा रहा है और अगर चीन ने तिब्बत पर कब्जा नहीं किया होता तो वो भारत तक नहीं पहुंच सकता था.
भारतीय जमीन पर चीन की नजर: तेनजिन सुंडू
तेनजिन सुंडू ने कहा कि तिब्बत पर कब्जा करने के बाद ही वो भारतीय जमीन को हथियाने में लगा हुआ है. भारत को ये बात समझनी चाहिए और चीन की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए.
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तेनजिन सुंडू ने कहा कि भारत ने डोकलाम पर जिस तरह से चीन को जवाब दिया है उससे हमें उम्मीद बंधी है कि चीन की तानाशाही अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि अगर भारत चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर देता है तो भारत दुनिया के लिए सुपर पावर बनकर उभरेगा.
अमेरिका भी हुआ चीन के खिलाफ: तेनजिन सुंडू
तेनजिन सुंडू ने कहा कि अब अमेरिका भी खुलकर चीन के खिलाफ खड़ा हो गया है. इसके बाद यूरोपीय देश भी धीरे-धीरे चीन के खिलाफ खड़े हो रहे हैं और ऐसा करके हम चीन को अलग-थलग कर सकते हैं.
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भारत में पैंगोंग की घटना के बाद दुनिया के बहुत से देशों ने चीन पर विश्वास करना छोड़ दिया है. जो देश चीन के साथ व्यापार करना चाहते थे वो भी पीछे हट रहे हैं. दुनिया को इसी तरह चीन के खिलाफ खड़ा होना होगा तभी उसके द्वारा गुलाम किए गए देश आजाद हो पाएंगे.