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खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने आयोजित की प्रेसवार्ता, कहा सफल होती नजर आ रही एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर फीलिंग - नूरपुर में खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने आयोजित की प्रेसवार्ता न्यूज

जिला कांगड़ा के उपमंडल नूरपुर में बुधवार को खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने  स्थानीय विधायक राकेश पठानिया के साथ विश्रामगृह में प्रेसवार्ता का आयोजन किया. इसी बीच उन्होंने कहा कि एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर फीलिंग पूरी तरह सफल होती नजर आ रही है.

press confrence organazied by sports minister govind thakur in kangra
खेल मंत्री गोविंद ठाकुर
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Published : Jan 15, 2020, 3:39 PM IST

नूरपुर: जिला कांगड़ा के उपमंडल नूरपुर में बुधवार को खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने स्थानीय विधायक राकेश पठानिया के साथ विश्रामगृह में प्रेसवार्ता का आयोजन किया. इसी बीच उन्होंने कहा कि एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर फीलिंग पूरी तरह सफल होती नजर आ रही है.

खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि नूरपुर वन मंडल के तहत सदवां और टटल वनक्षत्रों के पचास जंगल, जिसका क्षेत्रफल 1600 हेक्टेयर है वो सिल्वीकल्चर एक्सपेरिमेंट के लिए चयनित किया गया था.
उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश में वनों में कटान व उसके वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन को लेकर जो दो वनक्षेत्र चयनित किये थे. उसमें गठित एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर मॉनिटरिंग कमेटी के साथ उन्होंने कल दोनों जगह का दौरा किया.

ये भी पढ़ें: बजट सत्र को लेकर मंत्री सुरेश भारद्वाज करेंगे बैठक, शिक्षा विभाग के सचिव भी रहेंगे मौजूद

वन मंत्री ने कहा कि जिस तरह से इन तीनों जगहों पर विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार खरा उतरा है, उससे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में जब पूरे प्रदेश के जंगलों पर ये नियम लागू किया जायेगा, तो इससे प्रदेश के राजस्व में भारी इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि वन हमारी हमारी बहुमूल्य संपदा है और इनका सरंक्षण करना सरकार की उच्च प्राथमिकता है.

वीडियो

बता दें कि प्रदेश में पिछले लगभग तीन दशकों से वनों के कटान पर पूर्ण रोक है,जिसे लेकर समय-समय पर जनहित याचिकाएं कोर्ट में कटान की अनुमति लेने के लिए दायर होती है. साथ ही प्रशासन द्वारा पेड़ के सूखने और सड़ने से पहले उसे काटने व उसका नई प्लांटेशन करने की बात कही गई थी.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस हाईकमान ने रामलाल ठाकुर को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, दिल्ली चुनाव में संभालेंगे मोर्चा

हाईकोर्ट ने प्राथमिक तौर पर एक एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर प्रोग्राम बनाने का आदेश दिया था. जिसके तहत सरकार ने सिल्वीकल्चर के लिए पांवटा साहिब, बिलासपुर और नूरपुर क्षेत्र को शामिल किया है. नूरपुर क्षेत्र के पचास से ज्यादा जंगलों में खैर के पेड़ों को शामिल किया गया था, जिन्हें काटने के बाद उस जगह नई प्लांटेशन करने की बात कही गई थी.

नूरपुर: जिला कांगड़ा के उपमंडल नूरपुर में बुधवार को खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने स्थानीय विधायक राकेश पठानिया के साथ विश्रामगृह में प्रेसवार्ता का आयोजन किया. इसी बीच उन्होंने कहा कि एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर फीलिंग पूरी तरह सफल होती नजर आ रही है.

खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि नूरपुर वन मंडल के तहत सदवां और टटल वनक्षत्रों के पचास जंगल, जिसका क्षेत्रफल 1600 हेक्टेयर है वो सिल्वीकल्चर एक्सपेरिमेंट के लिए चयनित किया गया था.
उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश में वनों में कटान व उसके वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन को लेकर जो दो वनक्षेत्र चयनित किये थे. उसमें गठित एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर मॉनिटरिंग कमेटी के साथ उन्होंने कल दोनों जगह का दौरा किया.

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वन मंत्री ने कहा कि जिस तरह से इन तीनों जगहों पर विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार खरा उतरा है, उससे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में जब पूरे प्रदेश के जंगलों पर ये नियम लागू किया जायेगा, तो इससे प्रदेश के राजस्व में भारी इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि वन हमारी हमारी बहुमूल्य संपदा है और इनका सरंक्षण करना सरकार की उच्च प्राथमिकता है.

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बता दें कि प्रदेश में पिछले लगभग तीन दशकों से वनों के कटान पर पूर्ण रोक है,जिसे लेकर समय-समय पर जनहित याचिकाएं कोर्ट में कटान की अनुमति लेने के लिए दायर होती है. साथ ही प्रशासन द्वारा पेड़ के सूखने और सड़ने से पहले उसे काटने व उसका नई प्लांटेशन करने की बात कही गई थी.

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हाईकोर्ट ने प्राथमिक तौर पर एक एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर प्रोग्राम बनाने का आदेश दिया था. जिसके तहत सरकार ने सिल्वीकल्चर के लिए पांवटा साहिब, बिलासपुर और नूरपुर क्षेत्र को शामिल किया है. नूरपुर क्षेत्र के पचास से ज्यादा जंगलों में खैर के पेड़ों को शामिल किया गया था, जिन्हें काटने के बाद उस जगह नई प्लांटेशन करने की बात कही गई थी.

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एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर फेल्लिंग पूरी तरह सफल होती नजर आ रही है।यह कहना है वन, परिवहन तथा युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविंद ठाकुर का।आज नूरपुर में एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर फेल्लिंग फॉरेस्ट कमेटी और स्थानीय विधायक राकेश पठानिया के साथ विश्रामगृह नूरपुर में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नूरपुर वन मंडल के तहत सदवां तथा टटल वनक्षत्रों के पचास जंगल जिसका क्षेत्रफल 1600 हेक्टेयर है वो सिल्वीकल्चर एक्सपेरिमेंट के लिए चयनित किया गया था। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा हिमाचल प्रदेश में वनों में कटान तथा उसके वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन को लेकर जो दो वनक्षेत्र चयनित किये थे उसमें गठित एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर मोनिटरिंग कमेटी के साथ उन्होंने कल दोनों जगह का दौरा किया और पाया कि प्रदेश वनविभाग ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की शतप्रतिशत अनुपालना करते हुए अपने काम को बखूबी अंजाम दिया है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में पिछले लगभग तीन दशकों से वनों के कटान पर पूर्ण रोक है जिसे लेकर समय समय पर जनहित याचिकायें कोर्ट में अपने उपयोग के इमारती लकड़ियों के लिए कटान की अनुमति लेने के लिए दायर होती रही।वहीं शासन प्रशासन द्वारा भी पेड़ सूखने और गलने सड़ने से पहले उसे काटने और उसकी जगह नई प्लांटेशन की बात कही गई थी।इसी के तहत कोर्ट प्राथमिक तौर पर एक एक्सपेरिमेंटल सिल्वीकल्चर प्रोग्राम बनाने का आदेश दिया था जिसके तहत पहले सरकार इस सिल्वीकल्चर के तहत तीन क्षेत्रों जिनमें पांवटा साहिब,बिलासपुर और नूरपुर क्षेत्र शामिल है उनमें एक्सपेरिमेंटल तौर पर सारी प्रक्रिया पर खरा उतरने की बात कही गई थी।नूरपुर क्षेत्र के पचास से ज्यादा जंगलों में खैर के पेड़ों को शामिल किया गया था जिन्हें काटने के बाद उस जगह नई प्लांटेशन की गई थी।
वनमंत्री ने कहा कि जिस तरह से इन तीनों जगहों पर विभाग माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार खरा उतरा है उससे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में जब पूरे प्रदेश के जंगलों पर यह नियम लागू ही जायेगा तो इससे प्रदेश के राजस्व में भारी इजाफा आएगा।
उन्होंने कहा कि वन हमारी हमारी बहुमूल्य संपदा है तथा इनका सरंक्षण सरकार की उच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों तथा लोगों की सहभागिता से हिमाचल प्रदेश में वनों के क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है जोकि हम सबके लिए खुशी की बात है।
बाइट-गोविंद ठाकुर,कैबिनेट मंत्रीConclusion:

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