कागड़ा: हिमाचल के कांगड़ा जिले में बनाए गए पौंग डैम के विस्थापित अब भी अपने हक को पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. वैसे तो इस डैम से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब को फायदा मिला है, लेकिन इसके लिए अपनी जमीन देने वाले हिमाचली लोगों को अभी तक कोई न्याय नहीं मिल पाया है. डैम बनने के समय ही विस्थापितों को राजस्थान सरकार ने अपने राज्य में लोगों को जमीन अलॉट की थी.
लेकिन पौंग डैम के विस्थापितों ने आरोप लगाया है कि राजस्थान के स्थानीय दबंगों ने हिमाचलियों की जमीन पर नजर गड़ाए बैठे हैं और नए-नए तरीकों से ठगी कर रहे हैं.
कांगड़ा में नूरपुर से विस्थापित विजय कुमार ने बताया कि राजस्थान सरकार ने राज्य के अनूपगढ़ में उन्हें जमीन अलॉट की थी. विस्थापित ने आरोप लगाया कि राजस्थान के एक व्यक्ति ने उनकी जमीन के जाली दस्तावेज तैयार करवाए और रजिस्ट्री अपने नाम की करवा ली है.
विस्थापित विजय कुमार ने बताया कि इस मामले को लेकर राजस्थान के अनूपगढ़ थाने में शिकायत करने के बाद भी कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई है. दबंगों ने जमीन पर खेती बाड़ी शुरू कर दी है. इस बात की शिकायत करने पर दबंगों ने विस्थापित से मारपीट भी की है. परिवार को ठगों ने पीट-पीट कर वहां से भगा दिया और जैसे-तैसे विस्थापित वापस हिमाचल लौटे और आपबीती सुनाई.
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वहीं कांगड़ा के ही पंचायत धनेटी गारला के रत्न सिंह के साथ भी अनूपगढ़ में धोखाधड़ी का सामने आया है. इनके साथ भी भू-माफिया ने जाली दस्तावेजों के जरिये इनकी जमीन हड़पने की कोशिश की है. मामला पहले राजस्थान की ही एक सेशन कोर्ट में चला था. जिसमें फैसला रत्न सिंह के हक में आया था, लेकिन भू-माफिया ने इस मामले को अब हाईकोर्ट में पहुंचा दिया. रत्न सिंह ने भी हिमाचल सरकार से इंसाफ की गुहार लगाई है.
विस्थापितों ने हिमाचल सरकार से राजस्थान सरकार पर दबाव बनाकर कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. वहीं, लोगों का कहना है कि इस मामले में नूरपूर के एसडीएम से मिलकर सरकार को ज्ञापन भी दिया जाएगा.
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