पालमपुरः राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश ने रविवार को पुरानी पेंशन बहाली के लिए जन जागरूकता अभियान का आगाज किया. इसके तहत प्रदेश के हजारों कर्मचारियों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर लगाकर सभी कर्मचारियों, अधिकारियों के लिए सरकार से पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग की.
संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि पूरे देश के 60 लाख और हिमाचल प्रदेश के 80 हजार कर्मी सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना वॉरियर्स के रूप में कार्य कर रहे हैं जबकि मई 2003 के बाद के कर्मचारियों का भविष्य न्यू पेंशन स्कीम के कारण असुरक्षित हो चुका है.
प्रवीण शर्मा ने कहा कि एनपीएस के नाम से कर्मचारियों के भविष्य निधि फंड को शेयर मार्केट में लगाया जाता है और रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों का ही 40 फीसदी पैसा रखकर नाममात्र 500 से लेकर 2,000 तक की पेंशन प्रदान करती है. सरकार द्वारा दिया गया 10 फीसदी अंशदान जो कि हर महीने अरबों में एनएसडीएल कंपनी के हवाले किया जाता है न तो कर्मचारी के काम आता है और न ही देश के काम आता है.
प्रवीण शर्मा ने कहा कि आपदा के समय में जब देश की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है तो इन अरबों रुपयों का प्रयोग देश हित मे किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पुराने पेंशन प्रक्रिया में जहां कर्मचारियों का जीपीएफ कटता है. उसमें सरकार को खजाने से कुछ भी नही देना पड़ता है. इसके विपरित कर्मचारी द्वारा स्वेच्छा से जीपीएफ फंड में जमा राशि सरकार विकास कार्यां में प्रयोग करती थी.
संयुक्त मोर्चा के पर्देशाध्यक्ष ने कहा कि जीपीएफ सिस्टम ही कर्मचारी, सरकार और देश हित में है. इसलिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से मांग है कि 1972 एक्ट के अनुसार कर्मचारियों व देश के भविष्य के लिए पुराने जीपीएफ सिस्टम को फिर लागू किया जाए और पुरानी पैंशन नीति को बहाल किया जाए.
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