धर्मशाला: एलआईसी अधिकारियों व कर्मचारियों ने सोमवार को केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. एलआईसी कर्मियों ने आईपीओ का विरोध जताया. इसके अलावा तीन साल से ज्यादा समय से लंबित वेतन पुनर्निर्धारण को लेकर भी प्रदर्शन किया.
बैंकों के निजीकरण का विरोध
एलआईसी क्लास-1 ऑफिसर यूनियन के अध्यक्ष एसआर कपूर ने बताया कि वर्ष 2017 से वेतन पुनर्निर्धारण लंबित है. अभी तक इसका कोई समाधान सरकार ने नहीं निकाला है. वेतन पुनः निर्धारण की फाइल भी फाइनेंस मिनिस्टर के पास है. जिसको लेकर वह अप्रूवल नहीं दे रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करने को लेकर भी अपना विरोध जताया.
पब्लिक सेक्टर का निजीकरण करना गलत
एसआर कपूर ने कहा कि पब्लिक सेक्टर का निजीकरण करना गलत है. वर्ष 2014 में भाजपा सरकार सत्ता में आई थी तो उन्होंने कहा था कि अगर किसी का भी वेतन पुनर्निर्धारण देय होगा तो अगले महीने से नए स्केल से वेतन दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि 1 सितंबर 2022 में अगला वेतन निर्धारण देय हो जाएगा, लेकिन 2017 से लंबित पड़ा वेतन पुनर्निर्धारण कर्मियों को नहीं दिया गया है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इसी महीने से वेतन पुनर्निर्धारण को सेटल किया जाए.
आंदोलन की चेतावनी
एसआर कपूर ने कहा कि लगाातर सरकार संस्थानों का निजीकरण किए जा रही है. जिसका हम विरोध करते हैं, एलआईसी में आईपीओ को लाना सही नहीं है. जिस पर एलआईसी की विभिन्न यूनियनें अपना विरोध जता रही हैं. 18 मार्च को एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल की जाएगी, इसके बावजूद सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो आगामी रणनीति बनाई जाएगी.
ये भी पढ़ें: कोरोना का कहर: कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने लगाई मैड़ी मेला ऊना पर रोक