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गुप्त नवरात्रों के चौथे दिन ज्वालामुखी मंदिर में भक्तों का तांता, ये इनका महत्व

गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है. हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा, जाप और आराधना कर देवी मां का आर्शीवाद ले रहे हैं.

मां ज्वालामुखी का मंदिर.
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Published : Jul 6, 2019, 12:18 PM IST

ज्वालाजी: गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है. हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा, जाप और आराधना कर देवी मां का आर्शीवाद ले रहे हैं. गुप्त नवरात्रि के अवसर पर ज्वालाजी में नौ दिवसीय पाठ और अनुष्ठान का भी आयोजन किया जा रहा है.

क्या है गुप्त नवरात्रि
हिंदू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं. गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक विभिन्न विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं. आषाढ़ और माघ के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्र कहा जाता है.

गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी चमत्कारी शक्तियां और तंत्र-मंत्र सिद्धि करने के लिए गुप्त नवरात्रि में माता की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दौरान साधना करने से विशेष तांत्रिक शक्तियां हासिल होती हैं. समान्य साधक भी अगर गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करता है, तो उसे नौ गुने अधिक फल की प्राप्ति होती है.

किस दिन होती है किस मां के स्वरूप की आराधना
गुप्त नवरात्रि में खास साधक ही साधना करते हैं और वो अपनी साधना भी गुप्त रखते हैं, ताकि वो माता को जल्दी प्रसन्न कर सकें. दूसरे नवरात्र के भांति ही गुप्त नवरात्रि में पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

इस विधि से करें गुप्त नवरात्रि पूजा
इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात में करनी चाहिए. इसके बाद मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर और लाल चुनारी के साथ-साथ नारियल, केले, सेब, तिल के लड्डू, बताशे चढ़ाएं जाते हैं. माता के चरणों पर लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करने के बाद गुप्त नवरात्रि के दौरान सरसों के तेल से ही दीपक जलाएं और साथ ही 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' का जाप करना चाहिए.

जानकारी देते मंदिर के पुजारी शुभ्रांशु भूषण दत्त

मंदिर के पुजारी शुभ्रांशु भूषण दत्त ने बताया कि कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों में अनुष्ठान किया जाता है. इन गुप्त नवरात्रों में किए गए पूजन हवन यज्ञ का फल कई हजार गुण अधिक होता है.

ज्वालाजी: गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है. हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा, जाप और आराधना कर देवी मां का आर्शीवाद ले रहे हैं. गुप्त नवरात्रि के अवसर पर ज्वालाजी में नौ दिवसीय पाठ और अनुष्ठान का भी आयोजन किया जा रहा है.

क्या है गुप्त नवरात्रि
हिंदू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं. गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक विभिन्न विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं. आषाढ़ और माघ के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्र कहा जाता है.

गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी चमत्कारी शक्तियां और तंत्र-मंत्र सिद्धि करने के लिए गुप्त नवरात्रि में माता की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दौरान साधना करने से विशेष तांत्रिक शक्तियां हासिल होती हैं. समान्य साधक भी अगर गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करता है, तो उसे नौ गुने अधिक फल की प्राप्ति होती है.

किस दिन होती है किस मां के स्वरूप की आराधना
गुप्त नवरात्रि में खास साधक ही साधना करते हैं और वो अपनी साधना भी गुप्त रखते हैं, ताकि वो माता को जल्दी प्रसन्न कर सकें. दूसरे नवरात्र के भांति ही गुप्त नवरात्रि में पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

इस विधि से करें गुप्त नवरात्रि पूजा
इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात में करनी चाहिए. इसके बाद मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर और लाल चुनारी के साथ-साथ नारियल, केले, सेब, तिल के लड्डू, बताशे चढ़ाएं जाते हैं. माता के चरणों पर लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करने के बाद गुप्त नवरात्रि के दौरान सरसों के तेल से ही दीपक जलाएं और साथ ही 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' का जाप करना चाहिए.

जानकारी देते मंदिर के पुजारी शुभ्रांशु भूषण दत्त

मंदिर के पुजारी शुभ्रांशु भूषण दत्त ने बताया कि कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों में अनुष्ठान किया जाता है. इन गुप्त नवरात्रों में किए गए पूजन हवन यज्ञ का फल कई हजार गुण अधिक होता है.

Intro:शक्तिपीठ में चल रहे गुप्त नवरात्र के चौथे दिन भी भारी संख्या में चल रहा पूजा, जप व पाठ।

कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों में किया जाता है अनुष्ठान Body:गुप्त नवरात्र के चौथे दिन भी शक्तिपीठ ज्वालाजी में भारी संख्या में चल रहा पूजा, जप व पाठ

कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों में किया जाता है अनुष्ठान
ज्वालामुखी, 6 जुलाई (नितेश): विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में गुप्त नवरात्रों के चलते 9 दिनों तक पाठ, जाप व अनुष्ठान किया जा रहा है। जिसमें भाग लेने के लिए मंदिर में 9 दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान में पुजारी व विद्वान भाग ले रहे हैं।
मंदिर के पुजारी शुभ्रांशु भूषण दत्त ने बताया कि कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों में अनुष्ठान किया जाता है। इन गुप्त नवरात्रों में किए गए पूजन हवन यज्ञ का फल कई हजार गुण अधिक होता है और उन्हें श्रेष्ठ माना जाता है।
आज गुप्त नवरात्र के चौथे दिन भी पुजारी वर्ग द्वारा हजारो की संख्या में पूजा,पाठ व जप आराधना की गई।
उन्होंने बताया कि गुप्त नवरात्रों के दौरान विश्व शांति व विश्व कल्याण के लिए मां ज्वाला के मूल मंत्र, बटुक भैरव व अन्य जप किए जाएंगे।


आइये जानिए क्या है गुप्त नवरात्रे
हिंदू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।


गुप्त नवरात्र पूजा विधि
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि का महत्व
देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां
गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।Conclusion:पुजारी शुभ्रांशु भूषण दत्त ने बताया कि कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों में अनुष्ठान किया जाता है। इन गुप्त नवरात्रों में किए गए पूजन हवन यज्ञ का फल कई हजार गुण अधिक होता है और उन्हें श्रेष्ठ माना जाता है।
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