ज्वालाजी: गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है. हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा, जाप और आराधना कर देवी मां का आर्शीवाद ले रहे हैं. गुप्त नवरात्रि के अवसर पर ज्वालाजी में नौ दिवसीय पाठ और अनुष्ठान का भी आयोजन किया जा रहा है.
क्या है गुप्त नवरात्रि
हिंदू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं. गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक विभिन्न विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं. आषाढ़ और माघ के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्र कहा जाता है.
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी चमत्कारी शक्तियां और तंत्र-मंत्र सिद्धि करने के लिए गुप्त नवरात्रि में माता की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दौरान साधना करने से विशेष तांत्रिक शक्तियां हासिल होती हैं. समान्य साधक भी अगर गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करता है, तो उसे नौ गुने अधिक फल की प्राप्ति होती है.
किस दिन होती है किस मां के स्वरूप की आराधना
गुप्त नवरात्रि में खास साधक ही साधना करते हैं और वो अपनी साधना भी गुप्त रखते हैं, ताकि वो माता को जल्दी प्रसन्न कर सकें. दूसरे नवरात्र के भांति ही गुप्त नवरात्रि में पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
इस विधि से करें गुप्त नवरात्रि पूजा
इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात में करनी चाहिए. इसके बाद मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर और लाल चुनारी के साथ-साथ नारियल, केले, सेब, तिल के लड्डू, बताशे चढ़ाएं जाते हैं. माता के चरणों पर लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करने के बाद गुप्त नवरात्रि के दौरान सरसों के तेल से ही दीपक जलाएं और साथ ही 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' का जाप करना चाहिए.
मंदिर के पुजारी शुभ्रांशु भूषण दत्त ने बताया कि कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों में अनुष्ठान किया जाता है. इन गुप्त नवरात्रों में किए गए पूजन हवन यज्ञ का फल कई हजार गुण अधिक होता है.