धर्मशाला: कोरोना की क्रूरता ने सब कुछ बदल कर रख दियाहै. जिंदगी के मायने भी, जिंदगी के बाद का संस्कार भी. कोरोना की मार ने अपनों से दूरी ऐसी बढ़ा दी है कि अंतिम विदाई तक का हक भी उनसे छीन लिया है. कोरोना संक्रमण से निपटना देश-दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. दुनियाभर के डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी इससे निपटने के लिए दिन रात लगे हुए हैं. कोरोना काल की तमाम परेशानियों के बीच स्वास्थ्य विभाग को भी नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण से मरने वाले मरीजों के शवों का रख-रखाव और उनका अंतिम संस्कार करने की है.
हिमाचल में कोराना संक्रमण से अबतक सिर्फ एक जनहानि हुई है, इसके बाद हिमाचल स्वास्थ्य महकमें ने केंद्र से जारी गाइडलाइन के मुताबिक काम कर रहा है. प्रदेश में अबतक कोरोना वायरस के करीब 40 मामले सामने आए हैं. जिसमें 17 एक्टिव केस हैं. इन मरीजों के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है. विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के लिहाज से स्वास्थ्य विभाग पुलिस और प्रशासन के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है. प्रदेश में कुछ जिलों को रेडजोन में रखा गया है. यहां प्रशासन की ओर से सख्ती बरती जा रही है ताकि कोरोना का कोई और मामला सामने न सके.
कोरोना संक्रमित की मौत के बाद अंतिम संस्कार में जरूरी एहतियात
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार आस-पास ही करना चाहिए. परिजन अपने संबंधी का केवल एक बार चेहरा देख सकते हैं, गले मिलने और शव से लिपटने पर रोक लगाई गई है. अंतिम संस्कार या अंतिम यात्रा में भी कम से कम लोग शामिल हों. अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाने के दौरान भी विशेष सतर्कता बरती जाए.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी किए दिशा-निर्देश
कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसके शव परीक्षण और अंतिम संस्कार के दौरान भी विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है. इस बारे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिसमें सावधानी बरतने की जरूरत पर जोर दिया गया है. आइये, आपको बताते हैं कि गाइडलाइन के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत से लेकर उसके दाह संस्कार तक कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं.
सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं. किसी भी कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की मौत होती है तो उसकी बॉडी को पूरी तरह से प्लास्टिक से कवर कर दी जाती है और कैमिकल ट्रीटमेंट और डिस इंफेक्टेड के बाद ही परिवार को शव सौंपा जाता है. गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश के तहत किसी भी व्यक्ति की मौत पर 20 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं.
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कोरोना संक्रमित का 'दाह संस्कार'
- संक्रमित मरीज के शव का किया जाता है विशेष रख रखाव.
- स्वास्थ्य विभाग तय करता है सभी गाइडलाइन.
- मरीज की मौत के बाद शव को किया जाता है सेनिटाइज.
- प्लास्टिक के एक बैग में पूरी तरह बंद किया जाता है शव.
- प्लास्टिक बैग में डाला जाता है कीटाणुनाशक चूर्ण.
- उपचार में प्रयोग किये गये उपकरणों को किया जाता है डिस्पोस.
- इस दौरान किया जाता है सुरक्षित पीपीई किट का इस्तेमाल.
- शवगृह में नहीं होती किसी को आने की अनुमति.
- शव सौंपने के बाद फिर से शवगृह को किया जाता है सैनिटाइज.
- इसके बाद शव को एहतियात के साथ निकाला जाता है बाहर.
- इस्तेमाल ट्रॉली, दरवाजे और फर्श को सोडियम हाइपोक्लोराइट से किया जाता है साफ.
- अंत्येष्टि के दौरान भी रखना होता है विशेष ख्याल.
- दाह संस्कार में शामिल नहीं होते अधिक लोग.
- धार्मिक परंपराओं की नहीं होती अनुमति.
- दाह संस्कार के बाद राख से नहीं होता संक्रमण.
बात अगर पहाड़ी राज्य हिमाचल की करें तो यहां स्वास्थ्य मंत्रालय से जारी गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की टीम, पुलिस के सहयोग से कोरोना से जंग लड़ रही है. स्वास्थ्य विभाग उन सभी छोटी-बड़ी बातों का ख्याल रखते हुए काम कर रहा है जिससे कोरोना को हराने में मदद मिल सके.
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