धर्मशाला: कारगिल हीरो परम वीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा की बायोपिक की शूटिंग पालमपुर में हो रही है. बॉलीवुड के उभरते सितारे सिद्धार्थ मल्होत्रा इस फिल्म में शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार निभाते हुए नजर आएंगे. पालमपुर से संबंध रखने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन से जुड़े पलों को यहां शूट किया जाएगा.
शहीद कैप्टन पर बन रही फिल्म का कुछ हिस्सा पालमपुर में शूट होना है. कैप्टन का बचपन और उनके अंतिम संस्कार किए जाने वाले दृश्य को शूट किया जाना है. वहीं, सोमवार को फिल्म की टीम ने पालमपुर के पुराने बस अड्डा चौक पर शहीद की अंतिम यात्रा को दर्शाते भीड़ इकट्ठी की. इसके उपरांत शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के संस्कार के लिए पालमपुर श्मशान घाट को चुना गया, जहां शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को मुखाग्नि देने का सीन फिल्माया गया.
चंढीगढ़ के डीएवी कॉलेज में हो चुकी है शूटिंग
शहीद कैप्टन की बायोपिक में कियारा आडवाणी सिद्धार्थ कपूर के अपोजिट नजर आएंगी. शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा पर बनाई गई इस फिल्म का नाम शेरशाह रखा गया है. इस फिल्म का डायरेक्शन विष्णुवर्धन कर रहे हैं. मशहूर डायरेक्टर करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले इस बायोपिक का निर्माण हो रहा है. पालमपुर से पहले बायोपिक का कुछ हिस्सा चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में शूट किया गया है. इसी कॉलेज में कैप्टन बत्रा ने पढ़ाई की थी.
स्थानीय जनता नहीं देख पाई शूटिंग
फिल्म में पालमपुर सेना की एक टुकड़ी की भी मदद ली जा रही है. पालमपुर श्मशान घाट में फिल्म के इस दृश्य को देखने के लिए लोगों ने काफी कोशिश की लेकिन बॉलीवुड टीम से आए सुरक्षाकर्मियों ने श्मशान घाट के चारों ओर मजबूत घेराबंदी की थी. जिसकी वजह से स्थानीय जनता श्मशान घाट में फिल्माए गए दृश्य को नहीं देख पाई.
लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के. जोशी ने दिया था फिल्म का पहला क्लैप
वैसे दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्म के सीन के लिए पहला क्लैप किसी और ने नहीं बल्कि लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी ने दिया. जोशी करगिल युद्ध के समय लेफ्टिनेंट कर्नल थे और 13 जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे.
जानिए क्यों शेरशाह के नाम से बुलाए जाते थे विक्रम बत्रा
आपको बता दें कि सीमा पर के दुश्मन विक्रम बत्रा को शेरशाह के नाम से बुलाते थे. इसी कारण उनकी बायोपिक का नाम भी शेरशाह रखा गया है. विक्रम बत्रा ने आईएमए (भारतीय सैन्य अकादमी) देहरादून में साल 1996 दाखिला लिया था. 7 जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान एक बम की चपेट में आने से उनके साथी लेफ्टिनेंट नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए थे. उन्हें बचाते हुए विक्रम बत्रा ने वीरगति प्राप्त की थी. शहादत के बाद उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया था.