डलहौजी: कोरोना संकट के चलते प्रदेश की जनता पहले से ही आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही है. ऐसे में कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों की एंट्री को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट और कोविड वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट को 10 अगस्त को जरूरी कर दिया था, लेकिन इन्ही आदेशों में आगे बदलाव के साथ प्रदेश में एंट्री के लिए रजिस्ट्रेशन को भी जोड़ने के आपदा प्रबंधन ने अधिसूचना जारी कर दी थी.
वहीं, सरकार द्वारा दिए गए इन आदेशों से पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. जिसका असर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से लाखों लोगों पर पड़ा है. पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि पर्यटन नगरी डलहौजी के अधिकतर लोगों की आजीविका पर्यटन व्यवसाय पर ही निर्भर है, लेकिन मौजूदा समय में सरकार के आदेशों का सीधा असर पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों की आजीविका पर पड़ रहा है.
होटल व्यवसायी हों या छोटे बड़े गेस्ट हाउस, होमस्टे, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसी सहित अन्य कारोबारियों का पर्यटन कारोबार पूरी तरह बंद की स्थिति में पहुंच गया है. वहीं, जिसमें टैक्सी चालक, रेहड़ी फड़ी वाले, घोड़े वाले, कुली का काम करने वाले, गाइड इत्यादि लोग इस महामारी की वजह से बेरोजगार हो गए हैं.
बता दें कि डलहौजी के बाजारों के हालात कुछ इस प्रकार बन गए हैं कि दुकानदार सुबह दुकानें खोलकर सिर्फ समय व्यतीत करते हैं और शाम को बिना कुछ कमाए दुकानें बंद कर अपने घरों को चले जाते हैं. इस विषय पर जब कारोबारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि डलहौजी नगर में जो भी व्यवसाय है वह केवल पर्यटकों के आने पर ही निर्भर है, अन्यथा यहां स्थानीय एक भी ग्राहक मौजूद नहीं होता है.
कारोबारियों ने बताया कि जो स्थिति लॉकडाउन के दौरान थी वही स्थिति अब फिर से बन गई है. गांधी चौक, सुभाष चौक, बस स्टैंड जहां पर्यटकों का तांता लगा रहता था अब सभी स्थान सूने पड़े हैं और गाड़ियों के पहिये भी थम से गए हैं. बाजार पूरी तरह से खाली पड़े हैं.
वहीं, कारोबारियों ने सरकार से मांग की कि पर्यटकों के आने पर जो कड़ी पाबंदियां लगाई गई हैं उन्हें कुछ सरल किया जाए, ताकि पर्यटन से जुड़े सभी कारोबारियों को राहत मिल सके. स्थानीय कारोबारी गजल कुमार और राजेश चोभियाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जिस प्रकार बिना कामकाज के घर में रहना पड़ा था और अब दोबारा से वही स्थिति बन गई है. बिना इनकम के दुकान पर बैठना पड़ रहा है.
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