चंबा: कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद-ब-खुद मिल जाया करती है. इसे सच कर दिखाया है राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पुखरी के डीपीई राजकुमार ने. पिछले 26 सालों से राजकुमार शिक्षा विभाग में सेवाएं दे रहे हैं और स्कूल स्तर से खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को तराशने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
नशे से दूर रहने के लिए भी अध्यापक हमेशा लोगों को प्रेरित करते रहते हैं. डीपीई राजकुमार बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. स्कूलों में बच्चों के लिए कबड्डी खो-खो, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, एथलेटिक्स का आयोजन राजकुमार के प्रयासों से किया जाता है. इनके द्वारा ट्रेनिंग पाए तकरीबन 100 बच्चे राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं.
सबसे बड़ी बात ये है कि राज कुमार ने तीन ऐसे होनहार खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर तक स्कूल के माध्यम से पहुंचाने का प्रयास किया है. इनके नेतृत्व कुशल और खेलों के प्रति समर्पित सोच का ही नतीजा है कि 26 सालों के अपने कार्यकाल में इतने बच्चों को तैयार किया है. राजकुमार का सपना है कि उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाड़ी ओलंपिक और कॉमनवेल्थ खेलों में देश-प्रदेश सहित चंबा जिला का नाम रोशन करें.
हालांकि, आजकल राजकुमार डीपीई पुखरी स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं. यहां भी वर्ष 2019 से चार बच्चे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं. पिछले करीब डेढ़ साल से कोरोना वायरस की वजह से स्कूली टूर्नामेंट नहीं हो सके अन्यथा और भी बच्चे राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर जा सकते थे.
दूसरी ओर स्कूल के प्रिंसिपल अजय चौहान का कहना है कि डीपीई राजकुमार खेलों के प्रति बच्चों को प्रोत्साहित करते रहते हैं और हमें खुशी है कि इनके सिखाए बच्चे काफी दूर-दूर तक खेलों में हैं. हमारे स्कूल में राजुकमार को तीन साल हुए हैं, लेकिन पहले साल ही इनकी कड़ी मेहनत की वजह से स्कूल के चार बच्चों ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया.
डीपीई राजकुमार बताते हैं कि वे पिछले 26 सालों से शिक्षा विभाग में बतौर डीपीई कार्य कर रहे हैं. उनका मुख्य मकसद बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए खेलों के प्रति जागरूक करना है. अभी तक सौ से अधिक बच्चों को स्कूल से राज्य स्तर तक भिजवाया है, उसके अलावा उनके सिखाये हुए तीन बच्चे नेशनल भी खेल चुके हैं.
राजकुमार कहते हैं कि उनका सिर्फ एक ही ख्वाब है कि उनके सिखाए हुए बच्चे देश के अलग-अलग खेलों में कुछ कर दिखाएं. ताकि प्रदेश के साथ-साथ देश में जनजातीय जिले का नाम रोशन हो सके. उन्हें उम्मीद है कि कोरोना महामारी के बाद जिंदगी दोबारा पटरी पर लौटेगी, स्कूल खुलेंगे और बच्चे फिर खेल मैदानों में खेलते हुए नजर आएंगे.
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