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खुरमुंह बीमारी की चपेट में आई भेड़-बकरियां, खच्चरों पर लाद कर सड़क तक पहुंचा रहे भेड़पालक

विकास खंड मैहला (Development Block Mehla) के अधीन आने वाली गाण पंचायत सहित अन्य गांवों में मवेशी (Cattle) खुरमुंह की बीमारी की गिरफ्त में हैं. समय पर उपचार न मिलने से अब पशुपालकों (cattleman) को उनके समस्त मवेशियों में ये बीमारी फैलाने का अंदेशा पनप चुका है. भेड़पालकों का कहना है कि उनकी भेड़-बकरियां बीमारी की हालत में अब चल-फिरने में भी असमर्थ हैं. ऐसे में खच्चरों के माध्यम से वे बीमार भेड़-बकरियों को सड़क तक लाने को मजबूर हैं.

mouth disease in cattle
chamba
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Published : Nov 13, 2021, 7:29 PM IST

चंबा: विकास खंड मैहला के अंतर्गत आने वाली गाण पंचायत के दर्जन भर गांवों में सैकड़ों भेड़-बकरियां (sheep and goats) खुरमुंह की बीमारी की जद में आ चुकी हैं. बीमारी की पकड़ में आने पर अब अधिकांश भेड़पालकों ने पंजाब की तरफ अपनी भेड़-बकरियों को लेकर कूच करना शुरू कर दिया है.

हैरानी की बात ये है कि धारों (पहाड़ों) पर बीमारी से जूझ रही भेड़-बकरियां चल-फिरने में भी असमर्थ हैं. लिहाजा, खच्चरों पर भेड़-बकरियों को लाद कर सड़क तक लाने में भेड़पालक जुट गए हैं. स्थानीय भेड़पालकों ने जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग से उनके पशुधन को बचाने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास करने की गुहार लगाई है.

वीडियो.

भेड़पालकों (Sheep keeper) ने बताया कि उनकी भेड़-बकरियां बीमारी की हालत में अब चल-फिरने में भी असमर्थ हैं. आए दिन कोई न कोई भेड़-बकरी मर रही है. इसके अलावा पहाड़ों पर भेड़-बकरियों को लेकर गए भेड़ पालक अब पंजाब का रूख करने लग पड़े हैं. खच्चरों के माध्यम से वे बीमार भेड़-बकरियों को सड़क तक लाने को मजबूर हैं.



वहीं, पशुपालन विभाग के उपनिदेशक (deputy director of animal husbandry department) राजेश सिंह ने बताया कि उन्हें इस बारे जानकारी मिली है. पंचायत में चिकित्सीय टीम को भेजा गया है और दवाइयों बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है. उन्होंने कहा कि पशुधन बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगें.

गौर रहे कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग भेड़-बकरियों का पालन-पोषण कर ही परिवारों का भरण-पोषण करते हैं. लेकिन विकास खंड मैहला के अधीन आने वाली गाण पंचायत के छतड़, सकरैणा, बनेई, डकेड़, ढांगू, रैणा, रौ, उलाणी, धार सहित अन्य गांवों में मवेशी खुर मुंह की बीमारी की गिरफ्त में हैं. समय पर उपचार न मिलने से अब पशुपालकों को उनके समस्त मवेशियों में ये बिमारी फैलाने का अंदेशा पनप चुका है.

बता दें कि खुरमुंह की बीमारी का संक्रमण (Infection) एक बीमार पशु से दूसरे पशुओं के संपर्क में आने से फैलता है. इसकी चपेट में आने के बाद कई पशुओं की मौत हो जाती है जो पशु बीमारी के बाद ठीक हो जाते हैं, उनकी प्रजनन क्षमता (fertility) कई साल के लिए खत्म हो जाती है. दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है.

ये भी पढ़ें : किन्नौर में आज भी लकड़ी के 'उर्च' में अनाज रखते हैं लोग, जानें इसके पीछे की वजह

चंबा: विकास खंड मैहला के अंतर्गत आने वाली गाण पंचायत के दर्जन भर गांवों में सैकड़ों भेड़-बकरियां (sheep and goats) खुरमुंह की बीमारी की जद में आ चुकी हैं. बीमारी की पकड़ में आने पर अब अधिकांश भेड़पालकों ने पंजाब की तरफ अपनी भेड़-बकरियों को लेकर कूच करना शुरू कर दिया है.

हैरानी की बात ये है कि धारों (पहाड़ों) पर बीमारी से जूझ रही भेड़-बकरियां चल-फिरने में भी असमर्थ हैं. लिहाजा, खच्चरों पर भेड़-बकरियों को लाद कर सड़क तक लाने में भेड़पालक जुट गए हैं. स्थानीय भेड़पालकों ने जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग से उनके पशुधन को बचाने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास करने की गुहार लगाई है.

वीडियो.

भेड़पालकों (Sheep keeper) ने बताया कि उनकी भेड़-बकरियां बीमारी की हालत में अब चल-फिरने में भी असमर्थ हैं. आए दिन कोई न कोई भेड़-बकरी मर रही है. इसके अलावा पहाड़ों पर भेड़-बकरियों को लेकर गए भेड़ पालक अब पंजाब का रूख करने लग पड़े हैं. खच्चरों के माध्यम से वे बीमार भेड़-बकरियों को सड़क तक लाने को मजबूर हैं.



वहीं, पशुपालन विभाग के उपनिदेशक (deputy director of animal husbandry department) राजेश सिंह ने बताया कि उन्हें इस बारे जानकारी मिली है. पंचायत में चिकित्सीय टीम को भेजा गया है और दवाइयों बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है. उन्होंने कहा कि पशुधन बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगें.

गौर रहे कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग भेड़-बकरियों का पालन-पोषण कर ही परिवारों का भरण-पोषण करते हैं. लेकिन विकास खंड मैहला के अधीन आने वाली गाण पंचायत के छतड़, सकरैणा, बनेई, डकेड़, ढांगू, रैणा, रौ, उलाणी, धार सहित अन्य गांवों में मवेशी खुर मुंह की बीमारी की गिरफ्त में हैं. समय पर उपचार न मिलने से अब पशुपालकों को उनके समस्त मवेशियों में ये बिमारी फैलाने का अंदेशा पनप चुका है.

बता दें कि खुरमुंह की बीमारी का संक्रमण (Infection) एक बीमार पशु से दूसरे पशुओं के संपर्क में आने से फैलता है. इसकी चपेट में आने के बाद कई पशुओं की मौत हो जाती है जो पशु बीमारी के बाद ठीक हो जाते हैं, उनकी प्रजनन क्षमता (fertility) कई साल के लिए खत्म हो जाती है. दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है.

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