चंबा: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश में सेवाएं देने वाले एसएमसी शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, जिससे अब 2600 से अधिक शिक्षक सेवाएं नहीं दे पाएंगे. वहीं, इसको लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. एक तरफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कर रही है, जबकि कांग्रेस सत्तापक्ष को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. दरअसल डलहौजी विधायक आशा कुमारी ने पत्रकार वार्ता के दौरान इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दी है.
डलहौजी विधायक आशा कुमारी ने कहा कि उच्च न्यायालय पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता है, लेकिन ये फैसला तर्कसंगत नहीं है. हालांकि प्रदेश की सरकार को इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए, ताकि इतने सालों से सेवाएं देने वाले शिक्षकों को उनका हक मिल सके. उन्होंने कहा कि अगर विधानसभा में सरकार इन शिक्षकों की बहाली के लिए कोई प्रस्ताव लाती है, तो कांग्रेस पार्टी सरकार के उस प्रस्ताव का समर्थन करेगी.
बता दें कि जब पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सरकार थी, तब एसएमसी शिक्षकों को हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्त किया गया था, ताकि बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके. कांग्रेस पार्टी ने भी इस पॉलिसी को लगातार आगे बढ़ाया और SMC के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति की, लेकिन हाईकोर्ट ने इन अध्यापकों को अयोग्य घोषित करते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
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