चंबा: दुष्कर्म के मामले सुलझाने में फोरेंसिक नर्स (Forensic nursing) अहम भूमिका निभा सकती हैं. वे पीड़ित का सबसे पहले एग्जामिन कर नर्स पुलिस को जरूरी साक्ष्य उपलब्ध करवा सकती हैं. इससे अपराधियों को आसानी से पकड़ सकती है. अमेरिका की तरह भारत में भी यह व्यवस्था होनी चाहिए. यह बात यूएसए में फादर ऑफ फोरेंसिक नर्सिंग साइंस का खिताब जीत (Father of forensic nursing science) चुके फोरेंसिक एक्सपर्ट एवं ज्ञान सागर मेडिकल कॉलेज रामनगर (पंजाब) के प्रोफेसर डॉ. आरके गुरैया ने चंबा मेडिकल कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय फोरेंसिक कार्यशाला में अपने शोध पत्र के दौरान (DR RK Gurreya on Rape Cases) कही.
उन्होंने कहा कि वह फोरेंसिक नर्सिंग पर 20 साल से रिसर्च कर रहे हैं. इस दौरान पाकिस्तान सहित 20 देशों का दौरा किया. कहा कि यूएसए में दुष्कर्म मामले फोरेंसिक नर्स सबसे पहले एग्जामिन करती है. ऐसा करने से वहां अपराधी को सजा होने की दर 86 प्रतिशत पहुंच गई. पहले यह दर 64 फीसदी थी. भारत में यह दर काफी कम है. इस व्यवस्था को भारत में शुरू करने के लिए वह लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने एक एसोसिएशन भी बनाई है. इसमें देश और विदेशों के फोरेंसिक एक्सपर्ट उनके साथ जुड़े हैं.
उन्होंने कहा कि आमतौर पर देखा गया कि दुष्कर्म पीड़ित से बार-बार एक ही टॉपिक पर बयान लिए जाते हैं. इससे वह मानसिक रूप से परेशान होती है. इससे कई पीड़ित महिलाएं खुदकुशी भी कर लेती हैं. पीड़ित को मानसिक परेशानी से बचाने के लिए वन स्टॉप सेंटर में एक बार ही बयान होने चाहिए. उसी ब्यान को कोर्ट सहित अन्य स्थानों में पेश किया जाना चाहिए. गुरैया ने बताया कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गंभीर (usa rape cases) है. अभी राज्य सरकारें इसको लेकर गंभीर नहीं हैं.
बता दें कि बीएससी नर्सिंग में फोरेंसिक नर्सिंग साइंस की पढ़ाई शुरू करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना है. बीएससी नर्सिंग के पांचवें सत्र में प्रशिक्षुओं की इसकी पढ़ाई करवाई जाती है. इसका श्रेय डॉ. गुरैया की रिसर्च को जाता है.
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