चंबा: पीएम नरेंद्र मोदी आज चंबै दौरे पर (PM Modi Visit Chamba) आ रहे हैं. दरअसल चंबा अपने आप में कई धरोहर को समेटे हुए हैं. वैसे तो देश और दुनिया के लोग चंबा रूमाल और चंबा चप्पल के तो दिवाने हैं इसके साथ ही चंबा की खूबसूरती काबिल-ए-तारीफ है. चंबा को राजा साहिल वर्मन ने 920 ई. पूर्व में बसाया (Chamba Chaugan Ground history ) था. उन्होंने अपनी बेटी चंपावती के नाम पर इसका नाम चंबा रखा. चंबा की विशेषता इसका ऐतिहासिक चंबा चौगान है. जो रियासत काल से राजाओं की क्रीड़ा स्थल से लेकर वर्तमान में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम करता है.
चौगान मैदान एक किलोमीटर लंबा और 75 मीटर चौड़ा है और यह चंबा के बीचों बीच स्थित है. चौगान में प्रतिवर्ष मिंजर मेले का आयोजन किया जाता है. एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में स्थानीय निवासी रंग बिरंगी वेशभूषा में आते हैं. इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, लेकिन अब चौगान तीन चार हिसों में बंट चुका है. (PM Modi Rally in Chamba)
चौगान चंबा का दिल एवं सभी गतिविधियों का केंद्र है. लेखक डॉ. जे हचिसन के अनुसार, 'शहर दो छतों पर बनाया गया है, निचले स्थान पर चौगान एक पतले घास का मैदान है, जो अस्सी गज की चौड़ाई से आधे मील लंबा है. इस मैदान के एक हिस्से को पोलो मैदान के रूप में उपयोग किया जाता है. इसका नाम चोलोगन, पोलो के फारसी नाम से व्युत्पत्ति रूप से अलग है, जो संस्कृत की उत्पत्ति से है और जिसका अर्थ है चार तरफा. एक सार्वजनिक सैर और मनोरंजन-भूमि होने के अलावा, चौगान का उपयोग राज्य के दरबारों और खेलों के लिए किया जाता था.'
चंबा एक पहाड़ी स्टेशन में अपनी विशालता (Chamba Hill Station) के अद्वितीय है. शुरुआत में पांच चौगान घास के एक मैदान का पैच था. जिसका इस्तेमाल ऊपर उल्लेखित प्रयोजन के लिए किया गया था. 1890 में चौगान को समतल किया गया था. यह ब्रिटिश के लिए एक सार्वजनिक सैर और क्रिकेट मैदान बन गया. वार्षिक मिंजर मेला चौगान में आयोजित किया जाता है, तब इसे ज्यादातर बाजार में परिवर्तित कर दिया जाता है. देर रात तक चौगान में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित स्थानीय लोगों को देखा जा सकता है. (PM Modi in Himachal)
गर्मियों के दौरान कई परिवार घर से चौगान भोजन लाते हैं और खुली हवा में भोजन करते हैं. चौगान में रात के दौरान बड़ी संख्या में लोग सोते देखे जा सकते हैं. अपने भेड़ों के साथ गद्दी भी इस खूबसूरत सार्वजनिक सैर के बाहरी भाग पर डेरा डाले हुए देखे जा सकते हैं. रखरखाव के लिए दशहरा से अप्रैल महीने तक चंबा चौगान जनता के लिए बंद कर दिया जाता है.
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