बिलासपुर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओपीडी अस्थायी तौर पर आयुष भवन में चलेगी. ओपीडी में फिलहाल अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे की ही सुविधा मरीजों के लिए उपलब्ध होगी. अक्टूबर माह में ओपीडी शुरू करने की योजना है जिसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा गया है. साथ ही स्टाफ की उपलब्धता के लिए भी आग्रह किया है. इसके अलावा सुपर स्पेशियलिटी की नियुक्तियों के लिए भी प्रक्रिया शुरू होगी. एम्स के कार्यकारी निदेशक डाॅ. वीर सिंह नेगी ने खबर की पुष्टि की है.
उन्होंने बताया कि अभी निर्माण कार्य चल रहा है, कोरोना संकट की वजह से काम पूरा करने के लक्ष्य में देरी हुई है. इसलिए ओपीडी को आयुष भवन में अस्थायी तौर पर शुरू करने का फैसला लिया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद ही ओपीडी शुरू होगी. अक्टूबर माह में ओपीडी शुरू कर प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, फिलहाल अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे मशीनों के माध्यम से मरीजों की टेस्टिंग होगी. लोगों को रूटीन के चैकअप व उपचार की सुविधा जल्द से जल्द उपलब्ध करवाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं. जैसे ही मुख्य भवन बनकर तैयार होगा तो वहां सीटी स्कैन, एमआरआई और कैंसर की मशीनों सहित अन्य उपकरण स्थापित किए जाएंगे. उम्मीद है कि निर्माता एजेंसी जून 2022 या इससे पहले पूरा स्ट्रक्चर हैंडओवर कर देगी.
डाॅ. वीर सिंह नेगी के अनुसार जनवरी 2020 में ओपीडी शुरू करने की योजना थी, लेकिन कोरोना संकट की वजह से अब अगले साल जून माह तक काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. उन्होंने बताया कि इस समय 72 सुपर स्पेशलिस्ट उपलब्ध हैं जबकि पीजीआई स्तर पर की गई नियुक्तियों में 183 के मुकाबले 85 डॉक्टर सेलेक्ट हुए थे और 72 ने ही अपनी सेवाएं शुरू की हैं. ऐसे में शीघ्र ही सुपर स्पेशलिस्ट की नियुक्तियों को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
इसके अलावा सपोर्टिंग स्टाफ की नियुक्तियों को लेकर भी भर्ती की जाएगी जिसके लिए मंत्रालय को लिखा गया है. स्वीकृति मिलने के बाद आगामी कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसके अलावा यहां पर फार्मेसी व लैब स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए संबंधित सरकारी एजेंसियों से एमओयू साइन किया गया है. हालांकि, शुरुआती दौर में यहां केवल एक्स-रे व सीटी स्कैन की सुविधा ही मिलेगी जबकि अन्य सुविधाओं के लिए इंतजार करना पड़ेगा.
बता दें कि, 1351 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे एम्स का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अक्टूबर 2017 को लुहणू में किया था. 205 एकड़ भूमि पर बन रहे एम्स का प्रत्येक भवन सड़क से जुड़ा होगा. ओपीडी के साथ-साथ अस्पताल में 750 बिस्तर रहेंगे जिनमें 320 साधारण व 300 बिस्तर विशिष्ट श्रेणी के होंगे. एमर्जेंसी व ट्रॉमा के साथ 130 बिस्तरों का इंटेंसिव केयर यूनिट अलग से होगा.
एम्स में एक मेडिकल कॉलेज भी होगा जिसमें 100 सीटें आरक्षित होंगी. एक नर्सिंग कॉलेज भी होगा, इस नर्सिंग कॉलेज में 60 सीटें होंगी. एक बड़ा पुस्तकालय व एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक भी बनेगा. एक पशु घर भी इस संस्थान में निर्मित किया जाएगा इसी के साथ एक अनुसंधान केंद्र भी होगा. संस्थान में 15 आपरेशन थियेटर होंगे व एक गार्डन भी बनाया जाएगा. 750 लोगों की कैपेसिटी का एक सभागार बनेगा और 160 लोगों के ठहरने की क्षमता वाली सराय भी प्रस्तावित है.
ये भी पढ़ें: ज्यूरी के समीप एनएच 5 पर भारी भूस्खलन, भरभरा कर गिर गया पहाड़ का बड़ा हिस्सा