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कोलडैम विस्थापितों को 20 साल बाद भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में असमर्थ

शनिवार को जिला बिलासपुर में कोलडैम बिजली परियोजना विस्थापितों ने जिला प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की. जिसमें जिला परिषद अध्यक्ष मुस्कान विशेष रूप से मौजूद रही. धरना प्रदर्शन के दौरान विस्थापितों ने जिला प्रशासन को चेताया कि अगर वे एक हफ्ते के अंदर उनकी मांगों को पूरा नहीं करते तो वे सड़कों पर उतरने से भी गुरेज नहीं करेंगे और आने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

Govt unable to provide facilities to Koldam displaced
कोलडैम विस्थापितों को 20 साल बाद भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में असमर्थ
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Published : Sep 10, 2022, 2:53 PM IST

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के चार जिलों की सीमाओं पर लगी 800 मेगावाट की कोलडैम बिजली परियोजना (Koldam Power Project in Bilaspur) से करोड़ों लोगों को लाभ मिल रहा है, लेकिन इस बांध के लिए अपनी जमीनें कुर्बान करने वाले हजारों विस्थापितों को आज भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवा पाने में नाकाम साबित हुई है. आलम यह है कि परियोजना लगने के 20 साल बाद भी विस्थापितों के गांव तक पक्की सड़क नहीं बन पाई (Govt unable to provide facilities to Koldam displaced) है. इतने साल बीत जाने के बाद भी क्षेत्र के हजारों विस्थापित महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

मूलभूत सुविधाओं से महरूम विस्थापितों ने शनिवार को जमथल में धरना प्रदर्शन किया. जिसमें मुख्य रूप से जिला परिषद अध्यक्ष मुस्कान मौजूद रही. इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ काफी रोष जताया. जिला परिषद अध्यक्ष ने इस अवसर पर विस्थापितों की कॉलोनी का जायजा भी लिया. इस दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने विस्थापितों की कॉलोनी की दुर्दशा का हाल (Koldam displaced People colony bad conditon) बताया. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एनटीपीसी को भी कई बार पत्र लिखे गया हैं कि वे यहां आए और स्थिति का जायजा लें लेकिन उनके द्वारा विस्थापितों की कोई सुध नहीं ली गई.

वीडियो.

वहीं, विस्थापितों (Koldam Power Project displaced People Protest) का कहना है कि अब बिजली उत्पादन शुरू हो गया है लेकिन रॉयल्टी मिलना तो दूर आज सरकार द्वारा उनकी सुख सुविधा को भी दरकरार कर दिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीपीसी कोलडैम के कार्यालय और उनकी सड़कें चकाचक है, लेकिन विस्थापितों की कॉलोनी की दुर्दशा इतनी भयावह है कि लोग अपनी जान को हथेली में रखकर जीवन जीने को विवश हैं.

विस्थापितों का आरोप है कि उनकी समस्याओं पर न तो एनटीपीसी, न जिला प्रशासन और न ही कोई जनप्रतिनिधि सुलझाने के लिए आगे आ रहा है. उन्होंने बताया कि कॉलोनी को जाने वाली सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है, डंगे ढह गए हैं. जबकि सड़क के दोनों ओर झाड़ियों का साम्राज्य अपनी दुर्दशा को बयान कर रहा है. तंग और कीचड़ से भरी सड़कों पर लोगों का चलना तक मुश्किल हो गया है. यही नहीं बरसात में ढहे डंगों का मलबा रिहायशी मकानों के अंदर आ घुसा (Koldam Project displaced People Facing problems) है.

Govt unable to provide facilities to Koldam displaced
कोलडैम विस्थापितों को 20 साल बाद भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में असमर्थ

विस्थापितों ने कहा कि उन्हें पीने के पानी की सप्लाई भी गंदे पानी की की जा रही है जो बिलकुल भी पीने योग्य नहीं है. उन्हें टैंकर से पानी मंगवा कर अपनी दिनचर्या की जरूरतों को पूरा करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के साथ हुए करार में मूलभूत सुविधाओं को देने का लिखित जिक्र है लेकिन एनटीपीसी प्रबंधन ने जिम्मेदारियों से अपना मुंह मोड़ लिया (Koldam Power Project) है. विस्थापितों का जीवन किसी दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वालों से कम नहीं है. ऐसे में जिला परिषद अध्यक्ष मुस्कान और विस्थापितों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर वे एक हफ्ते के अंदर उनकी मांगों को पूरा नहीं करते तो वे सड़कों पर उतरने से भी गुरेज नहीं करेंगे और आने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

ये भी पढ़ें: परफॉर्मेंस के आधार पर कोलडैम को कई राष्ट्रीय अवार्ड मिले : नंदन सिंह ठाकुर

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के चार जिलों की सीमाओं पर लगी 800 मेगावाट की कोलडैम बिजली परियोजना (Koldam Power Project in Bilaspur) से करोड़ों लोगों को लाभ मिल रहा है, लेकिन इस बांध के लिए अपनी जमीनें कुर्बान करने वाले हजारों विस्थापितों को आज भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवा पाने में नाकाम साबित हुई है. आलम यह है कि परियोजना लगने के 20 साल बाद भी विस्थापितों के गांव तक पक्की सड़क नहीं बन पाई (Govt unable to provide facilities to Koldam displaced) है. इतने साल बीत जाने के बाद भी क्षेत्र के हजारों विस्थापित महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

मूलभूत सुविधाओं से महरूम विस्थापितों ने शनिवार को जमथल में धरना प्रदर्शन किया. जिसमें मुख्य रूप से जिला परिषद अध्यक्ष मुस्कान मौजूद रही. इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ काफी रोष जताया. जिला परिषद अध्यक्ष ने इस अवसर पर विस्थापितों की कॉलोनी का जायजा भी लिया. इस दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने विस्थापितों की कॉलोनी की दुर्दशा का हाल (Koldam displaced People colony bad conditon) बताया. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एनटीपीसी को भी कई बार पत्र लिखे गया हैं कि वे यहां आए और स्थिति का जायजा लें लेकिन उनके द्वारा विस्थापितों की कोई सुध नहीं ली गई.

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वहीं, विस्थापितों (Koldam Power Project displaced People Protest) का कहना है कि अब बिजली उत्पादन शुरू हो गया है लेकिन रॉयल्टी मिलना तो दूर आज सरकार द्वारा उनकी सुख सुविधा को भी दरकरार कर दिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीपीसी कोलडैम के कार्यालय और उनकी सड़कें चकाचक है, लेकिन विस्थापितों की कॉलोनी की दुर्दशा इतनी भयावह है कि लोग अपनी जान को हथेली में रखकर जीवन जीने को विवश हैं.

विस्थापितों का आरोप है कि उनकी समस्याओं पर न तो एनटीपीसी, न जिला प्रशासन और न ही कोई जनप्रतिनिधि सुलझाने के लिए आगे आ रहा है. उन्होंने बताया कि कॉलोनी को जाने वाली सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है, डंगे ढह गए हैं. जबकि सड़क के दोनों ओर झाड़ियों का साम्राज्य अपनी दुर्दशा को बयान कर रहा है. तंग और कीचड़ से भरी सड़कों पर लोगों का चलना तक मुश्किल हो गया है. यही नहीं बरसात में ढहे डंगों का मलबा रिहायशी मकानों के अंदर आ घुसा (Koldam Project displaced People Facing problems) है.

Govt unable to provide facilities to Koldam displaced
कोलडैम विस्थापितों को 20 साल बाद भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में असमर्थ

विस्थापितों ने कहा कि उन्हें पीने के पानी की सप्लाई भी गंदे पानी की की जा रही है जो बिलकुल भी पीने योग्य नहीं है. उन्हें टैंकर से पानी मंगवा कर अपनी दिनचर्या की जरूरतों को पूरा करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के साथ हुए करार में मूलभूत सुविधाओं को देने का लिखित जिक्र है लेकिन एनटीपीसी प्रबंधन ने जिम्मेदारियों से अपना मुंह मोड़ लिया (Koldam Power Project) है. विस्थापितों का जीवन किसी दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वालों से कम नहीं है. ऐसे में जिला परिषद अध्यक्ष मुस्कान और विस्थापितों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर वे एक हफ्ते के अंदर उनकी मांगों को पूरा नहीं करते तो वे सड़कों पर उतरने से भी गुरेज नहीं करेंगे और आने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

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