बिलासपुर/हमीरपुर: पुलिस थाना घुमारवीं के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 103 के पास नसवाल में एक ट्रक और बस की टक्कर हो गई. इस दुर्घटना में एचआरटीसी बस चालक की अस्पताल में मौत हो गई जबकि ट्रक चालक गंभीर रूप से घायल हो गया है. बस सोलन डिपो की है जो सोलन से धर्मशाला जा रही थी. स्थानीय लोगों ने पुलिस थाना घुमारवीं को इस घटना की जानकारी दी. सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस टीम भी दुर्घटना स्थल पर पहुंची. टक्कर इतनी भीषण थी कि (HRTC and TRUCK collide in Ghumarwin) ट्रक और बस ड्राइवर दोनों अपनी सीटों में बुरी तरह से फंस गए थे. पहले बस के ड्राइवर को निकालकर स्थानीय अस्पताल भेज गया. ट्रक का ड्राइवर बुरी तरह से ट्रक में फंसा हुआ था जिसे निकालने में लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और करीब एक घंटे बाद ड्राइवर को ट्रक के केबिन को काटकर बाहर निकाल कर अस्पताल पहुंचाया गया.
मौके पर पहुंची पुलिस ने भी अन्य घायलों को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया. बस चालक के गंभीर रूप से घायल होने के कारण इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई जबकि ट्रक चालक को रेफर कर दिया गया है. पुलिस एसएचओ रजनीश ठाकुर ने बताया (HRTC and TRUCK collide in Ghumarwin) कि घुमारवीं के नसवाल में ट्रक व बस की भिड़ंत हो गयी जिसमें बस चालक अरुण कुमार उम्र 39 साल जोकि गांव भगेड पंचरुखी पालमपुर(कांगड़ा) का रहने वाला था, की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी है, जबकि ट्रक चालक को रेफर कर दिया गया है. वहीं, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. वहीं., घायलों में ट्रक ड्राइवर दवेंद्र 34 साल को हमीरपुर रेफर किया गया है. जबकि, विवेक (33), कांसी राम (66), चम्पा (59), तनिशा (23) घायल हुए हैं.
डेढ़ घंटे तक मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के गेट पर स्टेचर पर पड़ा रहा घुमारवीं से रेफर घायल ट्रक चालक: शिमला-धर्मशाला एनएच पर नस्वाल के समीप एचआरटीसी और ट्रक की टक्कर में घायल हुए ट्रक चालक को उपचार के लिए मेडिकल काॅलेज हमीरपुर के इंमरजेंसी वार्ड में डेढ़ घंटे तक बेड के लिए संघर्ष करना पड़ा. घायल व्यक्ति के परिजनों ने यह दावा किया है कि घायल को प्राथमिक उपचार के बाद घुमारवीं अस्पताल से रेफर किया गया, लेकिन उसे यहां पर इलाज के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ा. परिजनों को मुताबिक उपचार के डेढ़ घंटे तक घायल ट्रक चालक देवेंद्र को मेडिकल काॅलेज के गेट पर स्टेचर पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.
घायल देवेंद्र के परिजनों का कहना है कि जब वह (Medical College Hamirpur) इंमरजेंसी वार्ड में पहुंचे तो सीधा उनसे दुर्घटना की एमएलसी मांगी गई. उपचार देने के बजाए उन्हें कागजी औपचारिकताओं में उलझाया गया. पहले एक्सरे के लिए अस्पताल प्रबंधन की तरफ से एमएलसी की मांग गई. जब वार्ड में बेड दिए जाने और उपचार शुरू करने की बात आई तो मौके पर मौजूद डॉक्टर ने भी उन्हें एमएलसी जमा करवाने का तर्क दिया गया. बेड लेने के लिए करीब डेढ़ घंटे तक उन्हें संघर्ष करना पड़ा और इतना ही समय एक्सरे करवाने के लिए भी लगा. एक्सरे के बाद सीटी स्कैन के लिए जब डॉक्टर ने लिखा तो इसके लिए फिर घुमारवीं अस्पताल से एमएलसी लाने की मांग की गई है. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के अधिकारियों से शिकायत और आग्रह करने के बाद उनका सीटी स्कैन हुआ.
घायल देवेंद्र के भतीजे अमन का कहना है कि वह जब मेडिकल काॅलेज हमीरपुर में चाचा को लेकर पहुंचे तो उनके साथ घुमारवीं अस्पताल की नर्स भी साथ थीं. नर्स ने रेफर पर्ची को इमरजेंसी वार्ड में जमा करवाया लेकिन यहां पर उपचार शुरू करने के लिए एमएलसी की मांग की गई. डेढ़ घंटे के बाद उनके चाचा को वार्ड में बेड मिला और फिर उनका एक्सरे हुआ. इसके बाद तीन से चार घंटे तक सीटी स्कैन करवाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा. अंत में अस्पताल के एमएस से बात की तब जाकर सीटी स्कैन छह बजे के बाद हुआ. सीटी स्कैन के लिए दुर्घटना की एमएलसी की मांग की जाती रही और बाद में अधिकारियों से बात करने के बाद यह कार्य हुआ.
घायल व्यक्ति के रिश्तेदार एवं हमीरपुर जिले की समताना पंचायत के प्रधान बलवीर ने कहा कि घायल और परिजनों को यहां पर समस्या का सामना करना पड़ा है. वह सूचना मिलने के बाद जब मेडिकल काॅलेज में पहुंचे तो इनका उपचार शुरू नहीं हो पाया था. अधिकारियों से जब शिकायत की गई तो पहले बेड मिला और एक्सरे और सीटी स्कैन भी किया गया. एमएलसी की मांग जा रही थी लेकिन क्या घायल का उपचार जल्द होना चाहिए या फिर जान से बढ़कर कागज की कीमत है.
परिजनों ने मामला ध्यान में लाया था, ऐसे मामलों में एमएलसी जरूरी: एमएस: वहीं, जब इस बारे में मेडिकल काॅलेज हमीरपुर के एमएस डॉ. रमेश चौहान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि घायल व्यक्ति के परिजनों से उनकी बात हुई थी. ऐसे मामलों में एमएलसी अनिवार्य होती है, हालांकि घायल की समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्हें उपचार दिया गया है. घायल का एक्सरे और सीटी स्कैन भी करवा दिया गया है. देरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि नियमों के तहत ही मौके पर मौजूद डॉक्टर को कार्य करना होता है. घायल के परिजनों से बात की गई और मरीज का एक्सरे और सीटी स्कैन करवा दिया गया है.