बिलासपुर: बिलासपुर सदर के विधायक सुभाष ठाकुर के दावे फेल होते हुए नजर आ रहे हैं. विधायक साहब सितंबर माह में जिला अस्पताल बिलासपुर में सीटी स्कैन मशीन की (CT scan machine in Bilaspur Hospital) सुविधा देने का दावा तो कर गए, लेकिन उसके बाद भी यह सुविधा जिला अस्पताल में नहीं शुरू हो पाई है. दिसंबार माह अंत पर है, लेकिन अभी तक भी इस (District Hospital Bilaspur) सुविधा के लिए मरीजों को मुश्किलों से दो-चार होना पड़ रहा है.
लंबे समय से जिला अस्पताल में इस मशीन को सदर के विधायक स्थापित नहीं कर पाए हैं. हालांकि इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने अलग से कक्ष भी बना दिया है, उसके बावजूद भी यहां मशीन स्थापित नहीं हो पाई है. जबकि विधायक बतौर पत्रकार वार्ता कर जिला वासियों को सितंबर माह में ही इस सुविधा को देने (Bilaspur Sadar MLA Subhash Thakur) का वायदा कर कर चुके हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति से विधायक वाकिफ नहीं थे.
बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में पहले अढ़ाई साल तक सीटी स्कैन मशीन शोपीस बनी रही. इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा यहां पर नई मशीन स्थापित करने का निर्णय लिया गया, ताकि अस्पताल आने वाले लोगों को यह सुविधा मिल सके, लेकिन अभी भी लोगों को सीटी स्कैन बाहर महंगे दामों पर करवाने मजबूरी होना पड़ रहा है.
इससे लोगों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है. वहीं, अस्पताल प्रशासन भी इस मसले को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है. अस्पताल प्रशासन ने भी संबंधित कंपनी से संपर्क किया था, लेकिन (People facing problems in Bilaspur Hospital) इसके बावजूद यह प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. गौरतलब है कि क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में न केवल स्थानीय लोग, बल्कि बाहरी क्षेत्रों के लोग भी उपचार के लिए पहुंचते हैं.
यदि किसी मरीज को चिकित्सकों द्वारा सीटी स्कैन लिखा जाता है, तो उस मरीज के साथ-साथ तीमारदार को भी इधर-उधर भटकना पड़ता है. मजबूरी में लोगों को निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ता है. उधर, जिला अस्पताल के कार्यकारी चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. सतीश शर्मा ने बताया कि इस समस्या पर विशेष ध्यान है. कक्ष का कार्य पूरा हो गया है, जल्द ही मशीन स्थापित करके कार्य शुरू हो जाएगा.
बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल में (JP Nadda father in Bilaspur) सीटी स्कैन मशीन नहीं होने के चलते भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पिता को भी निजी अस्पताल में यह सुविधा मुहैया करवाई गई थी, लेकिन इसके बावजूद इस ओर कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं. बहरहाल, अस्पताल प्रशासन व स्थानीय नेताओं के प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाने का खामियाजा जिला की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
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