बिलासपुर: भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार रहे तीन बार के सांसद और अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश चंदेल (Suresh Chandel) ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा (Prime Minister Narendra Modi) तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस लिए जाने की घोषणा का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यदि इन क़ानूनों को उसी समय वापल ले लिया जाता, जब किसान सड़क पर उतरे थे, तो सरकार की ऐसी दुर्गति होती और न ही भाजपा को उपचुनावों में करारी हार का ही मुंह देखना पड़ता.
स्थानीय परिधि गृह में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुरेश चंदेल ने कहा कि आजाद भारत में पहली बार देखने–सुनने को मिला कि किसान पूरे एक वर्ष अथवा इतने लंबे समय तक सड़कों पर अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत रहे और सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. उन्होंने कहा कि किसानों के संघर्ष से न केवल किसानों बल्कि आम जनता को भी भारी लाभ हुआ है. क्योंकि पेट्रोल , डीजल , उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्यों में हुई अत्याधिक बढ़ोतरी ने आम जनता की कमर तोड़ कर रख दी है.
यही कारण है कि अब देश के विभिन्न राज्यों में हुए उप-चुनावों में मिली करारी हार के बाद पेट्रोल–डीजल के मूल्यों (Diesel Petrol price) को कम करने पर केंद्र सरकार विवश हुई है. उन्होंने कहा कि अब 2022 में होने (Himachal election 2022)वाले विधान सभा चुनावों और 2024 में (Loksabha election 2024) दिख रही स्पष्ट हार के दृष्टिगत प्रधानमंत्री तीनों कृषि कानूनों (Farm laws) को वापस लेने (Farmers protest) को विवश हुए हैं, जबकि किसानों ने गर्मी, सर्दी और बरसात में दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों (Delhi border) पर अपना आंदोलन करके देश हित्त व किसान हित्त में बहुत बड़ा बलिदान दिया है, जिसे देश कभी भुला नहीं पाएगा.
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सुरेश चंदेल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चारों सीटों पर हुई करारी हार से बौखलाई भाजपा अब लोगों को पूर्व की भांति ही झूठे झांसे व प्रलोभन देने में जुट गई है. किन्तु प्रदेश व देश की जनता भली-भांति जानती है कि भाजपा सरकारों के दांत खाने के और तथा दिखाने के और हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) अपने चुनाव क्षेत्र को ही हिमाचल समझ बैठे हैं, जो उचित नहीं है.
इस समय प्रदेश का विकास पूरी तरह से थम गया है. कार्यालयों में हजारों कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हैं और कथित नौकरियों के पिटारे खोलने के समाचार प्रकाशित करवा कर बेरोजगार (Unemployment) युवक–युवतियों को रिझाने के प्रयास किए जा रहे हैं. किन्तु अब भाजपा नेताओं और सरकार की पोल खुल चुकी है और अब इन पर कोई भी विश्वास करने को तैयार नहीं है.
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