बिलासपुरः प्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी है. बरसात में सेहत को लेकर काफी सावधान रहने की जरूरत होती है. क्योंकि इस मौसम में बारिश से कई स्थानों पर जलजमाव, कीचड़ व गंदगी से पैदा होने वाले मच्छर और बैक्टीरिया बीमारियां फैलाने का खतरा बढ़ जाता है.
इसी को लेकर सीएमओ बिलासपुर डॉक्टर प्रकाश दडोच ने कहा कि बरसात के मौसम में इस बार कोविड-19 के बचाव के साथ-साथ अन्य जल जनित बीमारियों के दुष्प्रभावों के बारे में भी जागरूक रहने की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि विश्व की 80 प्रतिशत से अधिक बीमारियां दूषित जल से होने वाले रोगों के कारण होती हैं, जिनमें डायरिया प्रमुख है. भारत में हर साल लगभग 2 लाख बच्चे दस्त रोग के कारण मर जाते हैं.
जल प्राकृतिक रूप से स्वच्छ होता है, लेकिन जल के प्रदूषित होने के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे हैजा, टाइफाइड, पीलिया, दस्त, कृमि रोग पोलियो और जल भराव के कारण मच्छर पैदा होने से मलेरिया व डेंगू और अन्य रोगों फैलते हैं.
डॉ. प्रकाश दडोच ने बताया कि गर्मी व बरसात के मौसम में विशेष कर दस्त रोग शिशुओ और बच्चों में आम देखे जाते हैं. इसका अगर समय पर उसका उपचार न किया गया तो निर्जलीकरण से मौत भी हो सकती है.
सीएमओ बिलासपुर ने बताया कि जलस्रोतों को गंदा न करें. उनमें स्नान न करें न ही कपड़े धोए, पेयजल स्रोतों के चारों ओर कंक्रीट की दीवार लगानी चाहिए ताकि बारिश का पानी उसमें न जाए, शौच खुले में न जाएं, शौच जाने के लिए शौचालय का ही प्रयोग करें.
पीने के लिए क्लोरीन युक्त नल के जल या हैंड पंप के पानी का ही उपयोग करें. जरूरत पड़ने पर बावरियों और कुएं के पानी को उबाल कर ही पीएं या 15 से 20 लीटर जल में 1 गोली क्लोरीन की पीस कर डालें या 1000 लीटर पानी, 2.5 ग्राम वलिचिग पाउडर डालें, उसके कम से कम आधे घंटे के बाद ही पानी उपयोग में लाएं. पानी को साफ बर्तन में ढक कर रखें. बर्तन से पानी निकालने के लिए हमेशा हैंडल वाले गिलास का उपयोग करें.
डॉ. प्रकाश दडोच ने बताया कि साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. खाने-पीने की चीजों को ढक कर रखें, खाना खाने से पहले और शौच जाने के बाद साबुन व पानी से हाथ अच्छी तरह से धोएं. दस्त रोग के कारण प्राय शरीर में पानी की कमी हो जाती है. दस्त होने पर ओआरएस का घोल पिएं.
उन्होंने बताया कि 0 से 5 साल के बच्चों को ओआरएस के घोल का पैकेट मुफ्त दिया जाता है और दस्त रोग से पीडित बच्चों का ओआरएस व जिंक की गोलियों से उपचार किया जाता है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे इन बीमारियों के कारणों व बचाव और उपचार के प्रति जागरूक रहें.
ये भी पढ़ें- तंबुओं के नीचे होता है 150 करोड़ का कारोबार, 22 सालों से नहीं बदली सब्जी मंडी की दशा