बिलासपुर: श्री नैना देवी में धूमधाम से नवरात्र मेलों का आगाज हो गया (FIRST DAY OF CHAITRA NAVRATRI) है. मंदिर में मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने के लिए पंजाब, हिमाचल, हरियाणा दिल्ली और अन्य प्रदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु यहां पर प्राचीन हवन कुंड में आहुतियां डालकर अपने घर-परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना करते हैं. राज्य सरकार, जिला प्रशासन और मंदिर न्यास की ओर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
इस बार मंदिर न्यास का सदाव्रत लंगर भी श्रद्धालुओं के लिए खुला (NAVRATRI IN NAINA DEVI TEMPLE) रहेगा. सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर क्षेत्र में लगभग 400 पुलिसकर्मी, होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं. इसके अलावा मंदिर के अंदर 22 एक्स सर्विसमैन फौजी भी तैनात हैं. श्रद्धालुओं को लाइनों में ही माता के दर्शनों के लिए भेजा जा रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में नारियल और कड़ाह प्रसाद चढ़ाने की मनाही है.
विश्व विख्यात 52 शक्तिपीठों में एक श्री नैना देवी: बता दें कि हिमाचल प्रदेश का विश्वविख्यात 52 शक्तिपीठों में से एक (Chaitra Navratri 2022) हैं. कहते हैं कि माता सती के नेत्र यहां पर गिरे थे. इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम श्री नैना देवी पड़ा. हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दरबार में नवरात्रों के दौरान पहुंचते हैं. इस दौरान माता का आशीर्वाद लेने के बाद और मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी आंखों की कुशलता के लिए माता के दरबार में चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं.
चैत्र नवरात्रि मनाने का कारण: कहा जाता है कि जब धरती पर महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर का वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर (shri naina devi of bilaspur) सकता. ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया. ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा.