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चैत्र नवरात्र 2022: मां नैना देवी के दरबार में उमड़ी भक्तों की भीड़, बाहरी राज्यों से पहुंच रहे श्रद्धालु

चैत्र नवरात्र का आज पहला दिन (FIRST DAY OF CHAITRA NAVRATRI) है. नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. पहले दिन माता के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होती (Chaitra Navratri 2022) है. हिमाचल प्रदेश के विश्वविख्यात शक्तिपीठों पर चैत्र नवरात्र धूमधाम से शुरू हो गए हैं. विश्वविख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.

FIRST DAY OF CHAITRA NAVRATRI
चैत्र नवरात्र 2022
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Published : Apr 2, 2022, 9:58 AM IST

बिलासपुर: श्री नैना देवी में धूमधाम से नवरात्र मेलों का आगाज हो गया (FIRST DAY OF CHAITRA NAVRATRI) है. मंदिर में मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने के लिए पंजाब, हिमाचल, हरियाणा दिल्ली और अन्य प्रदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु यहां पर प्राचीन हवन कुंड में आहुतियां डालकर अपने घर-परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना करते हैं. राज्य सरकार, जिला प्रशासन और मंदिर न्यास की ओर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं.

इस बार मंदिर न्यास का सदाव्रत लंगर भी श्रद्धालुओं के लिए खुला (NAVRATRI IN NAINA DEVI TEMPLE) रहेगा. सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर क्षेत्र में लगभग 400 पुलिसकर्मी, होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं. इसके अलावा मंदिर के अंदर 22 एक्स सर्विसमैन फौजी भी तैनात हैं. श्रद्धालुओं को लाइनों में ही माता के दर्शनों के लिए भेजा जा रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में नारियल और कड़ाह प्रसाद चढ़ाने की मनाही है.

श्री नैना देवी में धूमधाम से नवरात्र मेलों का आगाज

विश्व विख्यात 52 शक्तिपीठों में एक श्री नैना देवी: बता दें कि हिमाचल प्रदेश का विश्वविख्यात 52 शक्तिपीठों में से एक (Chaitra Navratri 2022) हैं. कहते हैं कि माता सती के नेत्र यहां पर गिरे थे. इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम श्री नैना देवी पड़ा. हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दरबार में नवरात्रों के दौरान पहुंचते हैं. इस दौरान माता का आशीर्वाद लेने के बाद और मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी आंखों की कुशलता के लिए माता के दरबार में चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं.

चैत्र नवरात्रि मनाने का कारण: कहा जाता है कि जब धरती पर म​हिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर का वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर (shri naina devi of bilaspur) सकता. ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया. ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा.

ये भी पढ़ें: नवरात्रि स्पेशल 2022: लाला जी के साथ नमक की बोरी में आई थीं माता बालासुंदरी, शिवालिक पहाड़ियों के बीच है मां का भव्य दरबार

बिलासपुर: श्री नैना देवी में धूमधाम से नवरात्र मेलों का आगाज हो गया (FIRST DAY OF CHAITRA NAVRATRI) है. मंदिर में मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने के लिए पंजाब, हिमाचल, हरियाणा दिल्ली और अन्य प्रदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु यहां पर प्राचीन हवन कुंड में आहुतियां डालकर अपने घर-परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना करते हैं. राज्य सरकार, जिला प्रशासन और मंदिर न्यास की ओर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं.

इस बार मंदिर न्यास का सदाव्रत लंगर भी श्रद्धालुओं के लिए खुला (NAVRATRI IN NAINA DEVI TEMPLE) रहेगा. सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर क्षेत्र में लगभग 400 पुलिसकर्मी, होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं. इसके अलावा मंदिर के अंदर 22 एक्स सर्विसमैन फौजी भी तैनात हैं. श्रद्धालुओं को लाइनों में ही माता के दर्शनों के लिए भेजा जा रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में नारियल और कड़ाह प्रसाद चढ़ाने की मनाही है.

श्री नैना देवी में धूमधाम से नवरात्र मेलों का आगाज

विश्व विख्यात 52 शक्तिपीठों में एक श्री नैना देवी: बता दें कि हिमाचल प्रदेश का विश्वविख्यात 52 शक्तिपीठों में से एक (Chaitra Navratri 2022) हैं. कहते हैं कि माता सती के नेत्र यहां पर गिरे थे. इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम श्री नैना देवी पड़ा. हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दरबार में नवरात्रों के दौरान पहुंचते हैं. इस दौरान माता का आशीर्वाद लेने के बाद और मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी आंखों की कुशलता के लिए माता के दरबार में चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं.

चैत्र नवरात्रि मनाने का कारण: कहा जाता है कि जब धरती पर म​हिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर का वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर (shri naina devi of bilaspur) सकता. ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया. ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा.

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