बिलासपुरः अब अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त अपराधियों को आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा. फिंगर प्रिंट के जरिए देश के किसी भी कोने में अपराध करने वालों को दबोचने में पुलिस को सहूलियत होगी. जिला पुलिस मुख्यालयों में नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफपीआईएस) स्थापित किए जा रहे हैं.
इस कड़ी में बिलासपुर जिला पुलिस मुख्ययालय में भी यह सिस्टम इंस्टॉल कर दिया गया है. इससे फिंगर प्रिंट का डाटा बैंक तैयार होगा. ये ऑनलाइन सीधे तौर पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के साथ जुड़ेगा. जिलों के पुलिस चौकी और थानों से विभिन्न अपराधिक गतिविधियों में गिरफ्तार किए गए अपराधियों के फिंगर प्रिंट का रिकार्ड पुलिस मुख्यालय भेजा जाएगा.
जहां से यह आगे स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) में जाएगा और वहां पर अपराधियों का पूरा डाटा बैंक तैयार होगा जो कि एनसीआरबी के साथ जुड़ा होगा. यदि कोई अपराधी कहीं भी अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता है तो उसे फिंगर प्रिंट के माध्यम से ट्रेस करने में सुविधा होगी.
जिला बिलासपुर मुख्यालय के डीएसपी संजय शर्मा ने खबर की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि हालांकि पहले भी अपराधियों के फिंगर प्रिंट लेते हैं, लेकिन अब नए सिस्टम के इंस्टॉल होने के बाद यह डाटा बैंक ऑनलाइन होगा. इससे अपराध कर फरार होने वाले अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी. उन्होंने बताया कि यह नया ऑनलाइन सिस्टम हरेक जिला मुख्यालय में स्थापित किया जा रहा है.
संजय शर्मा के अनुसार अपराधियों को तलाश करने में इस सिस्टम से काफी सहूलियत होगी. राष्ट्रीय स्तर पर अपराधियों का फिंगर प्रिंट रिकार्ड ऑनलाईन उपलब्ध होगा. इससे काफी मदद मिलेगी. गिरफ्तार करने के बाद हरेक अपराधी के फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं. ऐसे में कोई भी अपराधी देश के किसी भी कोने में कोई अपराध करता है तो उसे इस सिस्टम के जरिए ढूंढने में मदद मिलेगी.
पुलिस को क्राइम एंड क्रिमिनल नेटवर्क सिस्टम के जरिए भी अपराधियों को पकड़ने काफी मदद मिल रही है. इस सिस्टम से किसी भी क्राइम में संलिप्त अपराधी को ट्रैक करने की सुविधा मिलती है. वहीं, ऑनलाइन ठगी के मामलों में अपराधियों को ट्रैस करने के लिए भी यह सिस्टम काफी मददगार साबित हो रहा है. पुलिस के साइबर सैल ने इसी सिस्टम के जरिए ऑनलाइन ठगी के कई मामले सुलझाए हैं.
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