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16 मेडल के साथ सेना की टीम का नेशनल कायकिंग एंड केनोइंग चैंपियनशिप पर कब्जा

बिलासपुर की गोबिंद सागर झील में चल रही नेशनल कायकिंग एंड केनोइंग चैंपियनशिप का बुधवार को समापन हो गया है. इस प्रतियोगिता में 24 राज्यों और भारतीय सेना, भारतीय पुलिस की टीम के 600 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. महिला वर्ग में मध्य प्रदेश की टीम 10 गोल्ड जीत कर पहले स्थान पर रहीं. वहीं, पुरुष वर्ग में भारतीय सेना की टीम 16 मेडल जीत कर पहला स्थान प्राप्त किया. इंडियन कायकिंग एंड केनोइंग एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएम हाशमी का कहना है कि झील में साल भर पानी रहे तो इस तरह के आयोजन हमेशा हो सकते हैं.

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Published : Oct 27, 2021, 9:57 PM IST

बिलासपुर: भाखड़ा बांध बनने के बाद अस्तित्व में आई मानव निर्मित झील गोबिंद सागर में देशभर के खिलाड़ी पानी की लहरों के साथ अठखेलियां करते नजर आए. बिलासपुर जिले के लुहणू में 14 वर्ष के बाद यह दूसरा मौका था, जब गोबिंद सागर झील में राष्ट्रीय कायकिंग एंड केनोइंग चैंपियनशिप का आयोजन किया गया. इससे पहले बिलासपुर में साल 2007 में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. उस समय इस देशभर के 900 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था.

इस प्रतियोगिता में महिला वर्ग की टीम में मध्य प्रदेश में 10 गोल्ड, 5 सिल्वर मेडल लेकर लगभग 95 प्वाइंट के साथ पहला स्थान हासिल किया, जबकि उत्तराखंड की टीम ने 3 गोल्ड 10 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल लेकर 38 प्वाइंट के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया. केरला ने 4 सिल्वर दो ब्रॉन्ज मेडल लेकर 32 प्वाइंट के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया. ओडिशा ने 1 गोल्ड रन, 2 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज मेडल लेकर 29 अंक के साथ चौथा स्थान प्राप्त किया. हरियाणा ने दो गोल्ड दो ब्रॉन्ज मेडल के साथ पांचवा स्थान प्राप्त किया.

वीडियो.

प्रतियोगिता में पुरुष वर्ग में सर्विस सेना की टीम ने 16 मेडल लेकर 112 प्वाइंट के साथ पहला स्थान प्राप्त किया. मध्य प्रदेश की टीम ने 9 सिल्वर, चार ब्रॉन्ज मेडल लेकर 61 प्वाइंट के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया. उत्तराखंड की टीम ने 4 सिल्वर, 6 ब्रॉन्ज मेडल लेकर 44 प्वाइंट के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया. दिल्ली ने एक ब्रॉन्ज मेडल के साथ चौथा स्थान प्राप्त किया, जबकि हरियाणा ने एक ब्रॉन्ज मेडल के साथ 5वां स्थान प्राप्त किया है.

गोबिंद सागर झील में चार दिन तक चली इस प्रतियोगिता में देश के 24 राज्यों असम, आन्ध्र प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडू, तेलंगाना, त्रिपुरा, उतराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार राज्य सहित भारतीय पुलिस और भारतीय सेना की टीम के 600 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया.

इंडियन कायकिंग एंड केनोइंग एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएम हाशमी ने कहा कि वाटर स्पोर्ट्स पानी का खेल है, यदि बिलासपुर की गोबिंद सागर झील में पूरे साल पानी रहे तो यहां इस खेल को लेकर काफी संभावनाएं हैं. इसे लेकर प्रदेश व जिला एसोसिएशन के साथ सरकार व प्रशासन को प्रयास करने होंगे. सबसे अधिक जरुरत है कि यहां कायकिंग एंड केनोइंग की अकादमी खोली जाए. इसे लेकर राष्ट्रीय एसोसिएशन का पूरा सहयोग रहेगा.

कायकिंग और केनोइंग एक विशेष प्रकार की बोट होती है, जिसे काय और केनो कहा जाता है. काय में बैठकर पैडल मारे जाते हैं, जबकि कैनो में घुटनों के बल बोट को चलाया जाता है. इसमें के-वन में एक, के-टू में दो और के-फोर में चार लोग बैठ सकते हैं. केनो में भी इस प्रकार सी-वन में एक, सी-टू में दो, सी -फोर में चार लोग बैठ सकते हैं.

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इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 330 मेडल प्रदान किए गए. इनमें 110 स्वर्ण पदक, 110 रजत पदक तथा 110 कांस्य पदक शामिल हैं. प्रतियोगिता में 200 मीटर, 500 मीटर, एक हजार मीटर तथा पांच हजार मीटर की मैराथन का आयोजन हुआ. पांच हजार मीटर की मैराथन के लिए एक निर्धारित मीटर का राउंड बनाया गया था, जिसमें प्रतिभागियों ने दौड़ लगाई.

विधायक सुभाष ठाकुर ने कहा कि गोबिंद सागर झील ने बिलासपुर को 1960 के दशक में उजाड़ा था, अब यही झील बिलासपुर को आर्थिक दृष्टि से मजबूत करेगी. बिलासपुर फिर से हरा भरा होगा और यहां पर पर्यटक भी आएंगे. युवाओं को रोजगार भी मिलेगा. कुल्लू मनाली जाने वाला पर्यटक इस झील से आकर्षित होता है और यहां पर आने वाले समय में रुकना भी चाहेगा. बिलासपुर साहसिक खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उभर कर सामने आएगा.

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बिलासपुर: भाखड़ा बांध बनने के बाद अस्तित्व में आई मानव निर्मित झील गोबिंद सागर में देशभर के खिलाड़ी पानी की लहरों के साथ अठखेलियां करते नजर आए. बिलासपुर जिले के लुहणू में 14 वर्ष के बाद यह दूसरा मौका था, जब गोबिंद सागर झील में राष्ट्रीय कायकिंग एंड केनोइंग चैंपियनशिप का आयोजन किया गया. इससे पहले बिलासपुर में साल 2007 में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. उस समय इस देशभर के 900 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था.

इस प्रतियोगिता में महिला वर्ग की टीम में मध्य प्रदेश में 10 गोल्ड, 5 सिल्वर मेडल लेकर लगभग 95 प्वाइंट के साथ पहला स्थान हासिल किया, जबकि उत्तराखंड की टीम ने 3 गोल्ड 10 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल लेकर 38 प्वाइंट के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया. केरला ने 4 सिल्वर दो ब्रॉन्ज मेडल लेकर 32 प्वाइंट के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया. ओडिशा ने 1 गोल्ड रन, 2 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज मेडल लेकर 29 अंक के साथ चौथा स्थान प्राप्त किया. हरियाणा ने दो गोल्ड दो ब्रॉन्ज मेडल के साथ पांचवा स्थान प्राप्त किया.

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प्रतियोगिता में पुरुष वर्ग में सर्विस सेना की टीम ने 16 मेडल लेकर 112 प्वाइंट के साथ पहला स्थान प्राप्त किया. मध्य प्रदेश की टीम ने 9 सिल्वर, चार ब्रॉन्ज मेडल लेकर 61 प्वाइंट के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया. उत्तराखंड की टीम ने 4 सिल्वर, 6 ब्रॉन्ज मेडल लेकर 44 प्वाइंट के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया. दिल्ली ने एक ब्रॉन्ज मेडल के साथ चौथा स्थान प्राप्त किया, जबकि हरियाणा ने एक ब्रॉन्ज मेडल के साथ 5वां स्थान प्राप्त किया है.

गोबिंद सागर झील में चार दिन तक चली इस प्रतियोगिता में देश के 24 राज्यों असम, आन्ध्र प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडू, तेलंगाना, त्रिपुरा, उतराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार राज्य सहित भारतीय पुलिस और भारतीय सेना की टीम के 600 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया.

इंडियन कायकिंग एंड केनोइंग एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएम हाशमी ने कहा कि वाटर स्पोर्ट्स पानी का खेल है, यदि बिलासपुर की गोबिंद सागर झील में पूरे साल पानी रहे तो यहां इस खेल को लेकर काफी संभावनाएं हैं. इसे लेकर प्रदेश व जिला एसोसिएशन के साथ सरकार व प्रशासन को प्रयास करने होंगे. सबसे अधिक जरुरत है कि यहां कायकिंग एंड केनोइंग की अकादमी खोली जाए. इसे लेकर राष्ट्रीय एसोसिएशन का पूरा सहयोग रहेगा.

कायकिंग और केनोइंग एक विशेष प्रकार की बोट होती है, जिसे काय और केनो कहा जाता है. काय में बैठकर पैडल मारे जाते हैं, जबकि कैनो में घुटनों के बल बोट को चलाया जाता है. इसमें के-वन में एक, के-टू में दो और के-फोर में चार लोग बैठ सकते हैं. केनो में भी इस प्रकार सी-वन में एक, सी-टू में दो, सी -फोर में चार लोग बैठ सकते हैं.

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इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 330 मेडल प्रदान किए गए. इनमें 110 स्वर्ण पदक, 110 रजत पदक तथा 110 कांस्य पदक शामिल हैं. प्रतियोगिता में 200 मीटर, 500 मीटर, एक हजार मीटर तथा पांच हजार मीटर की मैराथन का आयोजन हुआ. पांच हजार मीटर की मैराथन के लिए एक निर्धारित मीटर का राउंड बनाया गया था, जिसमें प्रतिभागियों ने दौड़ लगाई.

विधायक सुभाष ठाकुर ने कहा कि गोबिंद सागर झील ने बिलासपुर को 1960 के दशक में उजाड़ा था, अब यही झील बिलासपुर को आर्थिक दृष्टि से मजबूत करेगी. बिलासपुर फिर से हरा भरा होगा और यहां पर पर्यटक भी आएंगे. युवाओं को रोजगार भी मिलेगा. कुल्लू मनाली जाने वाला पर्यटक इस झील से आकर्षित होता है और यहां पर आने वाले समय में रुकना भी चाहेगा. बिलासपुर साहसिक खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उभर कर सामने आएगा.

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