मंडी: एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार बार अपने संबोधन में लॉकडाउन के चलते कंपनियों और सरकारों से किसी भी कर्मचारी को न निकालने और उसका वेतन न काटने की बात कह रहे हैं. वहीं, हिमाचल में पिछले तीन सालों से अस्पतालों में महत्वपूर्ण पदों पर ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों को निकालने के आदेश दिए गए हैं.
तीन साल पहले प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से मंडी के जोनल अस्पताल में महिला नर्सिंग गार्ड की तैनाती की थी, ताकि नर्सों व अन्य चिकित्सक स्टाफ की मदद के लिए जरूरी मैनपावर पूरी हो सके. इन्हें 292 रुपए दिहाड़ी (लगभग 8 हजार रुपए मासिक) पर रखा गया था. साथ ही इनकी नियुक्ति न्यू विजन कमर्शियल एस्कॉर्ट सर्विस के माध्यम से की गई थी.
अब शुक्रवार 22 मई को कंपनी ने सरकार की ओर से दी गई मंजूरी की मियाद खत्म होने का हवाला देकर पहली जून से इनकी सेवाएं न लेने का नोटिस जारी कर दिया है. ये सभी गरीब व जरूरतमंद वर्ग से हैं, जो पिछले तीन सालों से यहां पर ड्यूटी दे रही हैं.
देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है. इसके चलते बेरोजगारी चरम पर है. ऐसे में इन नर्सिंग गार्डों के ये नोटिस पाकर होश उड़ हो गए हैं. नौकरी न इनके लिए अपने परिवारों को पालना मुश्किल हो जाएगा.
इस बारे में कपंनी के प्रतिनिधि ज्ञान ने बताया कि एक एक साल करके तीन साल तक इनकी सेवाएं लेने की मंजूरी सरकार से मिलती रही, लेकिन अब नई मंजूरी नहीं मिली है. स्वास्थ्य निदेशालय से आए आदेशों के तहत ही यह किया गया है. इसके लिए नई प्रपोजल मांगी गई है. 31 मई तक नया प्रपोजल स्वीकार होने के बाद ही इनकी सेवाएं फिर से ले ली जाएंगी. स्वीकृति मिलने के बाद पहले से काम कर रही नर्सिंग गार्डों को फिर से रखने की प्राथमिकता दी जाएगी.
हैरानी तो यह है कि एक तरफ प्रधानमंत्री किसी को भी इस समय के दौरान नौकरी से न निकालने की बार बार दुहाई दे रही है. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी की सरकार होते हुए ही हिमाचल में इन नर्सिंग गार्डों को रोजी रोटी से मरहूम किया जा रहा है.
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