चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को सवाल किया कि क्या कोई पुलिस अधिकारी अपने वरिष्ठ के कहने पर किसी की हत्या कर सकता है. विल्लुपुरम जिले के निलंबित एसपी डी कन्नन को यौन उत्पीड़न के मामले से मुक्त करने की अपील वाली आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पेश किए जाने पर न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने कहा कि केवल भगवान ही पुलिस विभाग को बचा सकते हैं.
इस मामले में कन्नन को दूसरे आरोपी के रूप में उद्धृत किया गया है. पहला आरोपी एक निलंबित विशेष डीजीपी है, जिस पर एक अधीनस्थ महिला आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है.
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि शर्म की बात है कि पुलिस विभाग में महिलाओं के साथ उस सम्मान के साथ व्यवहार नहीं किया जाता, जिसकी वे हकदार हैं. कन्नन के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने उस कार को रोका, जिसमें महिला एसपी 22 फरवरी को अपने वरिष्ठ के खिलाफ राज्य पुलिस प्रमुख के पास शिकायत दर्ज कराने जा रही थीं.
आज जब याचिका पेश की गई, तो कन्नन के वकील ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने वरिष्ठ के निर्देशों का पालन किया था. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना अवज्ञा के समान होती है. इस पर न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने पूछा कि अगर कन्नन को हत्या करने के लिए कहा जाए तो वह ऐसा करेंगे. केवल वैध निर्देशों का पालन किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें-एल्गार परिषद मामला: HC ने एनआईए से आनंद तेलतुंबडे की याचिका पर मांगा जवाब
न्यायाधीश ने कहा कि अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी ऐसे आरोपों का सामना करता है, तो लोगों का विभाग पर भरोसा कैसे कायम रहेगा. केवल 10 प्रतिशत पुलिस अधिकारी ही अपने विवेक के अनुसार काम कर रहे हैं. इस तरह की घटनाएं सामने आना विभाग के लिए शर्म की बात है. वकील ने याचिका खारिज होने की संभावना को देखते हुए अदालत से इसे वापस लेने की अनुमति मांगी. न्यायाधीश ने इसे खारिज करते हुए वापस लेने का निर्देश दिया.
(पीटीआई-भाषा)