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कारगिल के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा ने प्वाइंट 5140 जीतने के बाद कहा था- 'ये दिल मांगे मोर'

कारगिल के पांच बेहद महत्वपूर्ण प्वाइंट्स पर तिरंगा लहराने में अहम भूमिका निभाने वाले वीरभूमि के शेर विक्रम बत्रा ने महज 24 साल की उम्र में शहादत पाई थी. कैप्टन बत्रा हमेशा देश की रक्षा के साथ-साथ अपने साथियों की हिफाजत के बारे में सोचते थे. हर मोर्चे पर वो सबसे आगे होते थे. आइए, आज हम आपको शहीद विक्रम बत्रा के बलिदान की कहानी उनके पिता की जुबानी सुनाते हैं.

कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन विक्रम बत्रा
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Published : Jul 11, 2021, 4:43 PM IST

पालमपुर : तकरीबन 20 साल पहले भारत ने पाकिस्तान को कारगिल की जंग में धूल चटाई थी. कारगिल का यह युद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस और बेजोड़ युद्ध कौशल का नायाब नमूना था. जिसकी चर्चा समूचे विश्व में हुई थी. कई रणबांकुरों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान की. इन्हीं वीरों में वीरभूमि हिमाचल के शेर कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा भी शामिल थे.

कैप्टन बत्रा ने कारगिल के पांच बेहद महत्वपूर्ण प्वाइंट्स पर तिरंगा लहराने में अहम भूमिका निभाई थी. उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं कि युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा के साथी नवीन नागपा के पास एक ग्रेनेड आकर गिरा, जिसकी वजह से नवीन बुरी तरह घायल हो गए. विक्रम ने सूबेदार रघुनाथ को आवाज लगाई और कहा कि नवीन घायल हो गया है, उसे वहां से लाना होगा. सूबेदार रघुनाथ ने कहां मैं नवीन को लेकर आता हूं. विक्रम बत्रा कंपनी के कमांडर थे, उन्होंने रघुनाथ से कहा आप रुकिये मैं नवीन को लेने जाऊंगा.

पिता गिरधारी लाल बत्रा से खास बातचीत.

कई पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारा

नवीन को पोस्ट पर लाने के बाद वे खुद ही दुश्मनों से मोर्चा लेने के लिए आगे बढ़ गए. इसी बीच करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर प्वाइंट 4875 को फतह करने के दौरान कई पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारा, लेकिन इसी दौरान छिप कर बैठे घुसपैठिए ने विक्रम बत्रा की छाती पर गोली मार दी. ये वो वक्त जब उनके मुंह से आखिरी बार भारत माता की जय निकला था. 7 जुलाई 1999 को भारत माता का ये वीर सपूत अपने प्राणों को न्योछावर कर अमर हो गया.

गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं कि बेटे की शहादत के बाद सुबेदार रघुनाथ की पत्नी परिवार से मिलने आई थीं. उन्होंने विक्रम की माता के पैर छूकर कहा था कि आपके बेटे ने मेरे सुहाग को बचाया है, मैं आपके बेटे के कर्मों का कर्ज कैसे चुकाऊंगी.

'ये दिल मांगे मोर'

शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा का कहना है कि मैं उस जगह आर्मी के हेलीकॉप्टर की मदद से गया था, जहां भाई ने शहादत पाई थी. वहां पर ऑक्सीजन लेवल भी कम था. मैं उन जवानों को सैल्यूट करता हूं, जो पैदल हथियारों के साथ उस चोटी पर चढ़े थे.

कैप्टन विक्रम बत्रा का एक मैसेज खूब फेसम हुआ था. जब उन्होंने प्वाइंट 5140 को पाक के कब्जे से मुक्त कराया. इसके बाद उन्होंने अपनी कमांड पोस्ट को रेडियो पर एक मैसेज दिया- 'ये दिल मांगे मोर', और उसके बाद अपने माता पिता से बात की थी. परमवीर चक्र पाने वाले शहीद विक्रम बत्रा के बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वह जिंदा लौटकर आते, तो इंडियन आर्मी के हेड बन गए होते.

वहीं, इन दिनों विक्रम बत्रा के पिता का एक तथाकथित लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिस पर उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा ने कहा कि ये लेटर किसी व्यक्ति विशेष ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लिखा है और उस शख्स से कभी उनकी मुलाकात नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें: कैप्टन विक्रम बत्रा की पुण्यतिथि: पिता ने कहा- किताबों में ही जिक्र नहीं, बल्कि हिमाचल में बने स्मृति स्थल

पालमपुर : तकरीबन 20 साल पहले भारत ने पाकिस्तान को कारगिल की जंग में धूल चटाई थी. कारगिल का यह युद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस और बेजोड़ युद्ध कौशल का नायाब नमूना था. जिसकी चर्चा समूचे विश्व में हुई थी. कई रणबांकुरों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान की. इन्हीं वीरों में वीरभूमि हिमाचल के शेर कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा भी शामिल थे.

कैप्टन बत्रा ने कारगिल के पांच बेहद महत्वपूर्ण प्वाइंट्स पर तिरंगा लहराने में अहम भूमिका निभाई थी. उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं कि युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा के साथी नवीन नागपा के पास एक ग्रेनेड आकर गिरा, जिसकी वजह से नवीन बुरी तरह घायल हो गए. विक्रम ने सूबेदार रघुनाथ को आवाज लगाई और कहा कि नवीन घायल हो गया है, उसे वहां से लाना होगा. सूबेदार रघुनाथ ने कहां मैं नवीन को लेकर आता हूं. विक्रम बत्रा कंपनी के कमांडर थे, उन्होंने रघुनाथ से कहा आप रुकिये मैं नवीन को लेने जाऊंगा.

पिता गिरधारी लाल बत्रा से खास बातचीत.

कई पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारा

नवीन को पोस्ट पर लाने के बाद वे खुद ही दुश्मनों से मोर्चा लेने के लिए आगे बढ़ गए. इसी बीच करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर प्वाइंट 4875 को फतह करने के दौरान कई पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारा, लेकिन इसी दौरान छिप कर बैठे घुसपैठिए ने विक्रम बत्रा की छाती पर गोली मार दी. ये वो वक्त जब उनके मुंह से आखिरी बार भारत माता की जय निकला था. 7 जुलाई 1999 को भारत माता का ये वीर सपूत अपने प्राणों को न्योछावर कर अमर हो गया.

गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं कि बेटे की शहादत के बाद सुबेदार रघुनाथ की पत्नी परिवार से मिलने आई थीं. उन्होंने विक्रम की माता के पैर छूकर कहा था कि आपके बेटे ने मेरे सुहाग को बचाया है, मैं आपके बेटे के कर्मों का कर्ज कैसे चुकाऊंगी.

'ये दिल मांगे मोर'

शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा का कहना है कि मैं उस जगह आर्मी के हेलीकॉप्टर की मदद से गया था, जहां भाई ने शहादत पाई थी. वहां पर ऑक्सीजन लेवल भी कम था. मैं उन जवानों को सैल्यूट करता हूं, जो पैदल हथियारों के साथ उस चोटी पर चढ़े थे.

कैप्टन विक्रम बत्रा का एक मैसेज खूब फेसम हुआ था. जब उन्होंने प्वाइंट 5140 को पाक के कब्जे से मुक्त कराया. इसके बाद उन्होंने अपनी कमांड पोस्ट को रेडियो पर एक मैसेज दिया- 'ये दिल मांगे मोर', और उसके बाद अपने माता पिता से बात की थी. परमवीर चक्र पाने वाले शहीद विक्रम बत्रा के बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वह जिंदा लौटकर आते, तो इंडियन आर्मी के हेड बन गए होते.

वहीं, इन दिनों विक्रम बत्रा के पिता का एक तथाकथित लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिस पर उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा ने कहा कि ये लेटर किसी व्यक्ति विशेष ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लिखा है और उस शख्स से कभी उनकी मुलाकात नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें: कैप्टन विक्रम बत्रा की पुण्यतिथि: पिता ने कहा- किताबों में ही जिक्र नहीं, बल्कि हिमाचल में बने स्मृति स्थल

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