हैदराबाद : एक अगस्त 2021 को दिल्ली के नांगल में एक श्मशान घाट (crematorium) में बच्ची के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, बच्ची रविवार शाम करीब 5.30 बजे शमशान घाट पर पानी लेने के लिए गई थी. एक घंटे बाद भी जब वह नहीं लौटी तो खोजबीन शुरू हुई. आधे घंटे बाद श्मशान के पुजारी के साथ दो-तीन लोग आए और बच्ची की मौत की सूचना दी. आरोपी पुजारी ने परिजनों को बताया कि बच्ची की मौत करंट लगने से हुई है. आरोप यह भी है कि आरोपियों ने डरा-धमकाकर लड़की के शव का उसके माता-पिता की सहमति के बिना अंतिम संस्कार कर दिया. परिजनों के हंगामा करने के बाद गांववालों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैंने परिवार से बात की और परिवार सिर्फ न्याय मांग रहा है. जब तक उनको न्याय नहीं मिलेगा तब तक राहुल गांधी उनके साथ खड़ा है और एक इंच पीछे नहीं हटेगा.'
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I spoke with the family, they want justice & nothing else. They're saying that justice is not being given to them & they should be helped. We will do that. I have said that I am standing with them. Rahul Gandhi is standing with them until they get justice: Rahul Gandhi pic.twitter.com/Yu8tsbZJOr
— ANI (@ANI) August 4, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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घटना दिल्ली की है तो दिल्ली सरकार भी मुआवजे के साथ रेप की राजनीतिक चर्चा में शामिल हो गई. आम आदमी पार्टी ने भी ट्वीट कर दावा किया कि न्याय की इस लड़ाई में केजरीवाल सरकार पीड़ित परिवार के साथ अंत तक खड़ी है. पार्टी ने केंद्र सरकार से कड़े कदम उठाने और दिल्ली में क़ानून व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है. साथ ही सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात की और केस की मैजिस्ट्रेट से जांच कराने की घोषणा की. साथ ही, 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद करने का वादा किया.
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न्याय की इस लड़ाई में केजरीवाल सरकार पीड़ित परिवार के साथ अंत तक खड़ी है।
— Aam Aadmi Party Delhi (@AAPDelhi) August 4, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
केंद्र सरकार कड़े कदम उठाए और दिल्ली में क़ानून व्यवस्था दुरुस्त करे, दिल्ली सरकार पूरा सहयोग करेगी।#JusticeForDelhiCanttGirl pic.twitter.com/Tz9hBmYrUH
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केंद्र सरकार कड़े कदम उठाए और दिल्ली में क़ानून व्यवस्था दुरुस्त करे, दिल्ली सरकार पूरा सहयोग करेगी।#JusticeForDelhiCanttGirl pic.twitter.com/Tz9hBmYrUH
जब बड़े राजनीतिक दल के दो नेता पीड़ित परिवार से मिलकर सहानुभूति जता रहे थे. बीजेपी ने राहुल गांधी को उनके ट्वीट पर घेरने का प्रयास किया. (राहुल गांधी के ट्वीट में पीड़िता की मां दिख रही हैं).पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब में हुए रेप के मामले गिना दिए. संबित पात्रा ने पूछा कि इन राज्यों के मामलों को लेकर राहुल ट्वीट क्यों नहीं करते?
#JeeneDo : अब फिर फ्लैशबैक में चलते हैं
2012 में, जब निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ था. तब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. दिल्ली में शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं. इस घटना के बाद पूरा देश सुलग उठा था. दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों के अलावा छोटे शहरों में कैंडल जुलूस और विरोध प्रदर्शन हुए थे. तब विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी ऐसे ही विचार रखे थे, जैसे आज राहुल और अरविंद केजरीवाल रख रहे हैं.
केजरीवाल ने नहीं सुनी थी शीला दीक्षित की दलील, आज वही दोहरा रहे हैं : 2012 में अरविंद केजरीवाल ने इसके लिए शीला दीक्षित को जिम्मेदार बताया था. जबकि शीला दीक्षित लगातार यह बयान देती रहीं कि कानून-व्यवस्था के मामले में उनके हाथ बंधे हुए हैं, क्योंकि यह दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. दिल्ली पुलिस केंद्र के पास है. शीला दीक्षित ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह दिल्ली को रेप की राजधानी कहे जाने से दुखी है. उन्होंने कबूल किया था कि अस्पताल में भर्ती पीड़िता से मिलने ही हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि वह उसके सामने रोना नहीं चाहतीं. तब शीला पीड़िता के पैरेंट्स से मिली थीं.
इंडिया गेट पर युवाओं के बीच गए थे बी के सिंह, इसके बाद भड़के थे युवा : 2011 में हुए अन्ना के अनशन के बाद देश में आंदोलन के मूड में था. जब निर्भया से गैंगरेप का मामला सामने आया तो युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा. विपक्ष के नेताओं ने प्रदर्शनों में युवाओं का साथ दिया. 22 दिसंबर 2012 को जब इंडिया गेट पर युवाओं का हुजूम इंडिया गेट से रायसीना हिल्स की तरफ बढ़े तो पुलिस ने विजय चौक पर पानी की बौछार और लाठीचार्ज से उन्हें रोकने का प्रयास किया. तब यह मुद्दा और गरम हो गया. तब इंडिया गेट पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह भी पहुंचे थे.
अखिलेश यादव ने भी प्रदर्शनों का किया था समर्थन: तब उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी लाठीचार्ज के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. अखिलेश ने गैंगरेप के खिलाफ जनाक्रोश को स्वभाविक बताया था और युवाओं के प्रदर्शन का समर्थन किया था. उन्होंने यूपी सरकार की ओर से निर्भया के इलाज का ऑफर भी दिया था. साथ ही पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी थी.
कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी कर लिया था कांग्रेस से किनारा : निर्भया कांड के बाद कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की घेराबंदी की थी. तत्कालीन राज्यसभा सांसद बृंदा करात ने कहा था कि यह शर्म की बात है कि भारत को जगाने और इस सरकार को जगाने के लिए इतनी बहादुर लड़की की मौत हुई. वृंदा करात ने दिल्ली पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि पुलिस की लापरवाही के कारण दरिंदे 40 मिनट तक सड़कों पर दौड़ते रहे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी. राजा ने कहा था कि महिला के बलात्कार और उसके बाद हुई मौत ने राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर दिया है.
सुषमा स्वराज ने की थी दोषियों को फांसी देने की मांग : घटना के बाद भाजपा के बड़े नेताओं ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी थी. वैंकेया नायडू और तत्कालीन प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने इस मुद्दे पर संसद की बैठक बुलाने की मांग की थी. उन्होंने मुआवजे की रकम को नाकाफी बताया था. संसद में सुषमा स्वराज ने पहली बार इस केस में दोषियों को फांसी देने की मांग की थी. हालांकि 22 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों पर हुए लाठीचार्ज के लिए रविशंकर प्रसाद ने सरकार की आलोचना की थी.
तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी अपने बयान को लेकर चर्चा में आए थे. उन्होंने कहा था कि रेप की घटनाएं इंडिया में होती है. भारत में नहीं.
क्या है भारत में महिला सुरक्षा का हाल : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2020 में अपराध के आंकड़े जारी किए थे. एनसीआरबी के मुताबिक, 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,05,861 मामले दर्ज किए गए. साल 2019 में देश में रेप के कुल 32,033 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 11 फीसदी पीड़ित दलित समुदाय से हैं. इस साल रोजाना औसतन 88 महिलाएं दुष्कर्म की शिकार हुईं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 21.8 प्रतिशत महिलाओं पर रेप के इरादे से जानलेवा हमले किए गए. 17.9 प्रतिशत महिलाओं का अपहरण हुआ. महिला के प्रति अपराध के आंकड़ों में 7.9 प्रतिशत केस रेप के हैं.
राजस्थान में रेप के सर्वाधिक मामले : रेप के सर्वाधिक केस राजस्थान और उत्तर प्रदेश से दर्ज हुए. 2019 में राजस्थान में करीब 6,000 और उत्तर प्रदेश में 3,065 केस दर्ज हुए. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. 2018 की तुलना में 2019 में 4.5% की वृद्धि. 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए..