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ट्विटर ने मनीष माहेश्वरी को यूएसए शिफ्ट किया, हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी यूपी पुलिस - हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी पुलिस

ट्विटर ने अपने भारतीय कारोबार प्रमुख मनीष माहेश्वरी (Manish Maheshwari) का अमेरिका स्थानांतरण कर दिया है. माहेश्वरी का यूएस ट्रांसफर ऐसे समय में हुआ है जब यूपी पुलिस कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दी गई राहत को चुनौती (challenge the relief granted) देने जा रही है.

मनीष माहेश्वरी
मनीष माहेश्वरी
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Published : Aug 15, 2021, 8:12 PM IST

नई दिल्ली : ट्विटर ने अपने भारतीय कारोबार प्रमुख मनीष माहेश्वरी (Manish Maheshwari) का अमेरिका स्थानांतरण कर दिया है. कंपनी ने इसकी कोई वजह नहीं बताई. माहेश्वरी का यूएस ट्रांसफर ऐसे समय में हुआ है जब यूपी पुलिस कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दी गई राहत को चुनौती (challenge the relief granted) देने जा रही है. सैन फ्रांसिस्को में उनके स्थानांतरण के साथ यह स्पष्ट नहीं है कि वह भारत में ट्विटर के खिलाफ चल रही जांच में पुलिस की सहायता कैसे करेंगे.

कंपनी ने कहा है कि माहेश्वरी को अमेरिका में वरिष्ठ निदेशक (राजस्व रणनीति एवं परिचालन) बनाया गया है. अपनी नई भूमिका में वह नए बाजारों पर ध्यान देंगे.

बता दें कि जून में गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) ने ट्विटर पर एक फेक घृणा अपराध वीडियो को व्यापक रूप से साझा किए जाने के बाद ट्विटर और कई अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को अपना बयान दर्ज करने के लिए लोनी पुलिस स्टेशन (Loni Border Police Station ) बुलाया.

हालांकि, बेंगलुरु स्थित माहेश्वरी ने गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) में समन को चुनौती दी, जिसने शहर की पुलिस को उसके खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया. ट्विटर के जापान और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के उपाध्यक्ष यू सासामोतो ने एक ट्वीट के जरिये इस घटनाक्रम की जानकारी दी.

रिपोर्टों के अनुसार, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले महीने गाजियाबाद पुलिस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की धारा 160 के तहत माहेश्वरी से पूछताछ करने की अनुमति दी थी, न कि धारा 41 ए के तहत, जो पुलिस को किसी संदिग्ध या आरोपी को गिरफ्तार करने की अनुमति देती है यदि वह या वह जांच में सहयोग नहीं करती है.

शुक्रवार को माहेश्वरी के यूएस ट्रांसफर की खबर सार्वजनिक होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh police) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि अगर पुलिस किसी गवाह या आरोपी को उसके सामने पेश होने की अनुमति देती है, तो अन्य सभी समान व्यवहार की मांग करेंगे.

अधिकारी ने ईटीवी भारत को नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया, 'हर साल गाजियाबाद जैसे बड़े शहर में औसतन 15,000-16,000 एफआईआर दर्ज की जाती हैं. पुलिस के लिए वीडियो लिंक पर मामलों की जांच करना संभव नहीं है.'

अधिकारी ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय का इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि घटना की जगह उत्तर प्रदेश में स्थित है और शहर की पुलिस कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी.

अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के सभी फैसलों को चुनौती देने जा रहे हैं.'

अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) के तहत जांच करने के लिए पुलिस को राज्य सरकार से किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (special leave petition) दायर करने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता है.

अधिकारी ने ईटीवी भारत से पुष्टि की, 'हमें पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.' उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उच्चतम न्यायालय में की जाने वाली प्रार्थना के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि पुलिस इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के सभी आदेशों की जांच के लिए प्रार्थना करेगी।

क्या है लोनी हेट क्राइम वीडियो केस

बीते जून में लोनी निवासी अब्दुल समद सैफी (Abdul Samad Saifi) का एक वीडियो सोशल मीडिया (social media) में साझा किया गया था, जिसमें उसने दावा किया था कि उसे कुछ लोगों ने पीटा था, जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई. वीडियो सामने आने के बाद, गाजियाबाद पुलिस ने कथित तौर पर बूढ़े व्यक्ति के साथ मारपीट करने वाले छह लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन पुलिस ने सांप्रदायिक दृषटिकोण (communal angle) से इनकार किया.

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को वीडियो साझा करने के लिए ट्विटर, एक समाचार पोर्टल और कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं (journalists and activists) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद पुलिस ने एफआईआर में न्यूज पोर्टल, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को सच्चाई की पुष्टि किए बिना सांप्रदायिक कोण से वीडियो ऑनलाइन साझा करने का आरोप लगाया.

पुलिस ने प्राथमिकी में कहा, 'इसके अलावा, ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया ने भी अपने ट्वीट हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.'

ट्विटर के लिए बढ़ती समस्या मनीष माहेश्वरी

गाजियाबाद पुलिस द्वारा ट्विटर के खिलाफ दर्ज किया गया मामला सोशल मीडिया दिग्गज के लिए एकमात्र मामला नहीं है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (national capital Delhi) में पुलिस ने प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के प्रसार को रोकने में विफल रहने और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भी यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences) के तहत ट्विटर के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं.

न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने इस साल जून में ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Twitter Inc and Twitter Communications India Private Limited) के खिलाफ प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी की उपलब्धता का हवाला देते हुए मामला दर्ज किया था. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) से शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया.

POCSO अधिनियम और I-T अधिनियम के तहत ये मामले ट्विटर द्वारा इस साल 25 मई को लागू हुए नए नियमों का पालन करने में विफल रहने के बाद दर्ज किए गए थे. सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का अनुपालन न करने के परिणामस्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत ट्विटर को उपलब्ध सुरक्षित आश्रय का नुकसान हुआ.

प्रावधान में कहा गया है कि यदि संस्था अनुभाग में सूचीबद्ध शर्तों का अनुपालन करती है तो एक मध्यस्थ किसी तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा, या संचार लिंक उपलब्ध कराने या मंच पर होस्ट करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.

पढ़ें - धनबाद जज हत्याकांड: हत्यारों की जानकारी देने वाले को मिलेगा ₹5 लाख का इनाम

कथित कांग्रेस टूलकिट मामले में जांच

कथित 'कांग्रेस टूलकिट' (Congress Toolkit) मामले की जांच के सिलसिले में ट्विटर के अधिकारी दिल्ली पुलिस के सामने पेश नहीं होने के बाद पोक्सो अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत ट्विटर के खिलाफ मामले दर्ज करने से पहले, दिल्ली पुलिस की टीमों ने दिल्ली और गुरुग्राम में ट्विटर के कार्यालय का दौरा किया है. जिसे सत्तारूढ़ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने साझा किया.

इस साल मई में, पात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए कांग्रेस पार्टी का एक कथित रणनीति दस्तावेज साझा किया. पात्रा ने इसे 'कांग्रेस टूलकिट' करार दिया। हालांकि, ट्विटर ने ट्वीट को 'हेरफेर मीडिया' करार दिया.

कांग्रेस नेताओं ने मामले में पुलिस मामला दर्ज किया और जांच के दौरान दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने दिल्ली-एनसीआर में ट्विटर के कार्यालयों का दौरा किया और जांच में सहायता की मांग की.

इसने सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी को झकझोर कर रख दिया, जो कि शक्तिशाली लोगों पर नकेल कसने के लिए जानी जाती है.

नई दिल्ली : ट्विटर ने अपने भारतीय कारोबार प्रमुख मनीष माहेश्वरी (Manish Maheshwari) का अमेरिका स्थानांतरण कर दिया है. कंपनी ने इसकी कोई वजह नहीं बताई. माहेश्वरी का यूएस ट्रांसफर ऐसे समय में हुआ है जब यूपी पुलिस कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दी गई राहत को चुनौती (challenge the relief granted) देने जा रही है. सैन फ्रांसिस्को में उनके स्थानांतरण के साथ यह स्पष्ट नहीं है कि वह भारत में ट्विटर के खिलाफ चल रही जांच में पुलिस की सहायता कैसे करेंगे.

कंपनी ने कहा है कि माहेश्वरी को अमेरिका में वरिष्ठ निदेशक (राजस्व रणनीति एवं परिचालन) बनाया गया है. अपनी नई भूमिका में वह नए बाजारों पर ध्यान देंगे.

बता दें कि जून में गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) ने ट्विटर पर एक फेक घृणा अपराध वीडियो को व्यापक रूप से साझा किए जाने के बाद ट्विटर और कई अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को अपना बयान दर्ज करने के लिए लोनी पुलिस स्टेशन (Loni Border Police Station ) बुलाया.

हालांकि, बेंगलुरु स्थित माहेश्वरी ने गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) में समन को चुनौती दी, जिसने शहर की पुलिस को उसके खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया. ट्विटर के जापान और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के उपाध्यक्ष यू सासामोतो ने एक ट्वीट के जरिये इस घटनाक्रम की जानकारी दी.

रिपोर्टों के अनुसार, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले महीने गाजियाबाद पुलिस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की धारा 160 के तहत माहेश्वरी से पूछताछ करने की अनुमति दी थी, न कि धारा 41 ए के तहत, जो पुलिस को किसी संदिग्ध या आरोपी को गिरफ्तार करने की अनुमति देती है यदि वह या वह जांच में सहयोग नहीं करती है.

शुक्रवार को माहेश्वरी के यूएस ट्रांसफर की खबर सार्वजनिक होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh police) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि अगर पुलिस किसी गवाह या आरोपी को उसके सामने पेश होने की अनुमति देती है, तो अन्य सभी समान व्यवहार की मांग करेंगे.

अधिकारी ने ईटीवी भारत को नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया, 'हर साल गाजियाबाद जैसे बड़े शहर में औसतन 15,000-16,000 एफआईआर दर्ज की जाती हैं. पुलिस के लिए वीडियो लिंक पर मामलों की जांच करना संभव नहीं है.'

अधिकारी ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय का इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि घटना की जगह उत्तर प्रदेश में स्थित है और शहर की पुलिस कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी.

अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के सभी फैसलों को चुनौती देने जा रहे हैं.'

अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) के तहत जांच करने के लिए पुलिस को राज्य सरकार से किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (special leave petition) दायर करने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता है.

अधिकारी ने ईटीवी भारत से पुष्टि की, 'हमें पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.' उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उच्चतम न्यायालय में की जाने वाली प्रार्थना के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि पुलिस इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के सभी आदेशों की जांच के लिए प्रार्थना करेगी।

क्या है लोनी हेट क्राइम वीडियो केस

बीते जून में लोनी निवासी अब्दुल समद सैफी (Abdul Samad Saifi) का एक वीडियो सोशल मीडिया (social media) में साझा किया गया था, जिसमें उसने दावा किया था कि उसे कुछ लोगों ने पीटा था, जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई. वीडियो सामने आने के बाद, गाजियाबाद पुलिस ने कथित तौर पर बूढ़े व्यक्ति के साथ मारपीट करने वाले छह लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन पुलिस ने सांप्रदायिक दृषटिकोण (communal angle) से इनकार किया.

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को वीडियो साझा करने के लिए ट्विटर, एक समाचार पोर्टल और कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं (journalists and activists) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद पुलिस ने एफआईआर में न्यूज पोर्टल, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को सच्चाई की पुष्टि किए बिना सांप्रदायिक कोण से वीडियो ऑनलाइन साझा करने का आरोप लगाया.

पुलिस ने प्राथमिकी में कहा, 'इसके अलावा, ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया ने भी अपने ट्वीट हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.'

ट्विटर के लिए बढ़ती समस्या मनीष माहेश्वरी

गाजियाबाद पुलिस द्वारा ट्विटर के खिलाफ दर्ज किया गया मामला सोशल मीडिया दिग्गज के लिए एकमात्र मामला नहीं है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (national capital Delhi) में पुलिस ने प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के प्रसार को रोकने में विफल रहने और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भी यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences) के तहत ट्विटर के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं.

न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने इस साल जून में ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Twitter Inc and Twitter Communications India Private Limited) के खिलाफ प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी की उपलब्धता का हवाला देते हुए मामला दर्ज किया था. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) से शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया.

POCSO अधिनियम और I-T अधिनियम के तहत ये मामले ट्विटर द्वारा इस साल 25 मई को लागू हुए नए नियमों का पालन करने में विफल रहने के बाद दर्ज किए गए थे. सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का अनुपालन न करने के परिणामस्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत ट्विटर को उपलब्ध सुरक्षित आश्रय का नुकसान हुआ.

प्रावधान में कहा गया है कि यदि संस्था अनुभाग में सूचीबद्ध शर्तों का अनुपालन करती है तो एक मध्यस्थ किसी तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा, या संचार लिंक उपलब्ध कराने या मंच पर होस्ट करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.

पढ़ें - धनबाद जज हत्याकांड: हत्यारों की जानकारी देने वाले को मिलेगा ₹5 लाख का इनाम

कथित कांग्रेस टूलकिट मामले में जांच

कथित 'कांग्रेस टूलकिट' (Congress Toolkit) मामले की जांच के सिलसिले में ट्विटर के अधिकारी दिल्ली पुलिस के सामने पेश नहीं होने के बाद पोक्सो अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत ट्विटर के खिलाफ मामले दर्ज करने से पहले, दिल्ली पुलिस की टीमों ने दिल्ली और गुरुग्राम में ट्विटर के कार्यालय का दौरा किया है. जिसे सत्तारूढ़ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने साझा किया.

इस साल मई में, पात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए कांग्रेस पार्टी का एक कथित रणनीति दस्तावेज साझा किया. पात्रा ने इसे 'कांग्रेस टूलकिट' करार दिया। हालांकि, ट्विटर ने ट्वीट को 'हेरफेर मीडिया' करार दिया.

कांग्रेस नेताओं ने मामले में पुलिस मामला दर्ज किया और जांच के दौरान दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने दिल्ली-एनसीआर में ट्विटर के कार्यालयों का दौरा किया और जांच में सहायता की मांग की.

इसने सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी को झकझोर कर रख दिया, जो कि शक्तिशाली लोगों पर नकेल कसने के लिए जानी जाती है.

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