नई दिल्ली : हिंदी पंचांग के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भादों के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस बार यह जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021 को यानी सोमवार को मनाई जाएगी. वहीं इस वर्ष जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या है. इसको लेकर ईटीवी भारत से बात करते हुए कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर ने शुभ मुहूर्त की जानकारी दी.
कालकाजी पीठाधीश्वर महन्त सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि भाद्रपद अष्टमी को मध्य रात्रि अर्थात 12:00 बजे रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था. तब से निरंतर भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है. इस अवसर पर लोग भजन करते हैं और जो साधक हैं वे अपने इस्ट देव/गुरु मंत्र का जप भी करते हैं. इस समय की गई उपासना विशेष फलदाई होती है.
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महन्त सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि जहां तक मुहूर्त का प्रश्न है, तो 11:59 बजे से लेककर 12:44 तक है. इस दौरान विशेष उपासना कर पूरे दिन उपवास रखा जाता है. रात्रि में धनिया का प्रसाद वितरित किया जाता है. इसके पीछे उसका एक वैज्ञानिक कारण है क्योंकि दिनभर में उपवास रखते हुए शरीर के अंदर गर्मी बढ़ जाती है. उसको शांत करने के लिए धनिया को बहुत ही अच्छा माना जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि अष्टमी को ही भगवती काली की भी जयंती होती है. इसलिए कालिका पीठ में भगवती कालिका का विशेष रूप से पूजन अर्चन किया जाएगा और मध्य रात्रि के समय हवन कर अनुष्ठान को संपन्न किया जाएगा.
बता दें कि जन्माष्टमी के दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और मंदिरों में भगवान कृष्ण के दर्शन करते हैं. हालांकि इस वर्ष कोरोना महामारी की वजह से पाबंदियों की वजह से मंदिरों में सीमित संख्या में ही भक्त जा सकेंगे.
पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर के मंदिर को अच्छे से साफ कर लें. फिर एक साफ चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और चौकी पर बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें. इस दिन बाल गोपाल की अपने बेटे की तरह सेवा करें. उन्हें झूला झुलाएं. लड्डू और खीर का भोग लगाएं. रात 12 बजे के करीब भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करें. उन्हें घी, मिश्री, माखन, खीर इत्यादि चीजों का भोग लगाएं. कृष्ण जी के जन्म की कथा सुनें. उनकी आरती उतारें और अंत में प्रसाद सबको वितरित कर दें.
पूजन सामग्री
खीरा, शहद, पीले या लाल रंग का साफ़ कपड़ा, दूध, दही, एक साफ़ चौकी, पंचामृत, गंगाजल, बाल कृष्ण की मूर्ति, चंदन, धूप, दीपक, अगरबत्ती, अक्षत, मक्खन, मिश्री, तुलसी का पत्ता, और भोग की सामग्री.