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Data Protection Bill : न्यू डेटा प्रोटेक्शन बिल में आप होंगे 'किंग', उल्लंघन किया तो कंपनियों पर लगेगा 250 करोड़ रु. का जुर्माना - डेटा प्रोटेक्शन बिल

मोदी कैबिनेट ने डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दे दी है. संसद के मानसून सत्र में इसे पेश किया जाएगा. अब आपका डेटा पूरी तरह से न सिर्फ सुरक्षित रहेगा, बल्कि किसी ने दुरुपयोग करने की कोशिश की तो उस पर भारी जुर्माना भी लगेगा. क्या है इस बिल में, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

data protection bill
डेटा प्रोटेक्शन बिल
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Published : Jul 6, 2023, 3:05 PM IST

Updated : Jul 6, 2023, 4:19 PM IST

नई दिल्ली : डेटा प्रोटेक्शन बिल (डेटा संरक्षण विधेयक) को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो चुकी है. कैबिनेट ने बुधवार को डिजिटल पर्सनल प्रोटेक्शन बिल 2022 को मंजूरी प्रदान कर दी है. इस बिल को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. इस बिल का क्या मतलब है और इससे हमारा डेटा कितना अधिक सुरक्षित रहेगा, आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

इसी साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह डेटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे को लेकर जल्द ही सामने आएगी, ताकि लोगों से जो भी जानकारी मांगी जाती है, वह आंकड़ा पूरी तरह से सुरक्षित और संरक्षित (सेफ एंड प्रेजर्ब्ड) रहे.

बिल की जरूरत क्यों - आजकल जितने भी काम हो रहे हैं, सब डिजिटल माध्यम से हो रहे हैं. बैंक खाता भी आप घर बैठे खोल सकते हैं. बाजार में निवेश करना हो, तो आपको कहीं भी बाहर जाने की जरूरत नहीं है, ऑनलाइन ही सारा काम हो जाएगा. स्कूल की फीस भरनी हो, या बिजली बिल चुकाना हो, या फिर किसी दुकानदार को भुगतान करना हो, सबकुछ आप डिजिटल माध्यम से ही करते हैं. अलग-अलग सोशल मीडिया पर आपका अकाउंट होता है. वहां पर भी आप अपनी जानकारी साझा करते हैं. यहां तक कि आप डॉक्टर के पास ऑपरेशन के लिए जाते हैं, वहां भी आपके आधार कार्ड मांग लिया जाता है.

ऐसे में सवाल उठता है कि जहां-जहां हमारा डेटा शेयर हो रहा है, और जिन-जिन संस्थाओं ने हमारी जानकारी प्राप्त की है, वह डाटा कितना सुरक्षित है. कहीं वह संस्था या कोई भी दूसरा व्यक्ति उस जानकारी का दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है, कहीं वह हमारी जानकारी दूसरों को तो नहीं दे रहा है, और अगर वह करता है, तो हम उसके खिलाफ क्या कदम उठा सकते हैं. यह बिल आपके सारे सवालों का जवाब देगा.

बिल का मुख्य उद्देश्य - इस बिल का मुख्य मकसद आपके निजी डाटा को सुरक्षित करना और डाटा फ्रॉड को रोकना है. आप ये भी कह सकते हैं कि हमारे पास डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क होगा. अगर आपको लगता है कि किसी ने आपके डेटा का दुरुपयोग किया है, तो आप उसके खिलाफ कानूनी कदम उठा सकते हैं.

किसने इस बिल को किया तैयार - इस बिल की शुरुआत 2018 में हुई थी. सरकार ने जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अगुआई में एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने बिल को ड्राफ्ट किया था. 2019 में इस बिल को संसद में रखा गया था. यह बिल संयुक्त संसदीय कमेटी को सौंपी गई.

वहां पर बात आगे बढ़ती, इससे पहले ही सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया. उस समय सरकार ने कारण नहीं बताए थे. दिसंबर 2021 में इसे वापस लिया गया था. इसी बिल को सरकार फिर से लेकर आ रही है.

बिल पारित हुआ तो क्या बदलेगा - सरकारी या फिर निजी संस्था, जो भी हमारा और आपका डेटा एकत्रित करेगी, उसे यूजर्स से सहमति प्राप्त करनी होगी. इससे पहले जो ड्राफ्ट आया था, उसमें कुछ सरकारी संस्थाओं को छूट दी गई थी, इसको लेकर आलोचना हुई थी. हालांकि, नए ड्राफ्ट में भी केंद्र ने कुछ छूट दी है. जैसे महामारी की स्थिति होगी, या फिर लॉ एंड ऑर्डर को मैनेज करने के लिए किसी संस्था को कुछ डाटा चाहिए, तो उसे छूट दी जाएगी. सरकार ने यह भी कहा है कि किसी भी संस्था को पूरी तरह से छूट नहीं दी गई है.

डेटा का दुरुपयोग किया तो लगेगा जुर्माना -

  • डेटा कलेक्शन और उसका उपयोग कानूनी माध्यम से ही होगा. पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी.
  • प्रत्येक नागरिक का डेटा सुरक्षित रूप से संरक्षित करना होगा.
  • जितनी सूचनाओं की जरूरत हो, उतना ही डेटा कलेक्शन किया जाएगा.
  • जो भी संस्था डेटा एकत्रित करती है, उसकी जवाबदेही तय होगी.
  • डाटा ब्रीच होने पर डाटा संग्रह करने वाली संस्था इसकी जानकारी सुरक्षा बोर्ड को सौंपेगी.
  • जो भी जानकारी एकत्रित की जाती है, उसे किसी भी दूसरी जगह पर बिना अनुमति के साझा नहीं किया जाएगा. न ही सौंपी गई सूचना बदली जाएगी. और न ही इसे नष्ट किया जा सकता है. ऐसा करने पर 250 करोड़ रूपये तक के दंड का प्रावधान किया गया है.
  • हर व्यक्ति को यह जानने का अधिकार है कि कोई कंपनी उससे संबंधित डेटा जुटा रही है, तो वह उसका क्या करेगी. उसे किस तरह से प्रोसेस करेगी.
  • किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार है कि उसने जो भी डाटा साझा किया है, वह उसे वापस लेना चाहता है, तो ऐसा कर सकता है. वह यह जानकारी भी प्राप्त कर सकता है कि उसने किसी तीसरे पक्ष को डाटा दिया है, तो इसका उद्देश्य क्या है. तीसरे पक्ष का ब्योरा भी वह मांग सकता है.
  • आपको अपने डेटा को सही करने का और उसे हटाने का पूरा अधिकार है. अगर आपका नाम, मोबाइल नंबर, पता या फिर कोई भी दर्ज जानकारी गलत है, तो आप इसे सही करवा सकते हैं और उसे चाहें तो हटवा भी सकते हैं. किसी भी आंशिक जानकारी को भी आप हटवा सकते हैं, यदि उसकी जरूरत नहीं रह गई है. जैसे- आम तौर पर ऑनलाइन डिलीवरी के लिए जो पता दर्ज करते हैं, उसे हटवा सकते हैं. नए बिल में आपको पूरा अधिकार है कि जानकारी हटवा सकें. पुराने कानून में ऐसा नहीं था. वहां पर आप अपनी सहमति वापस ले सकते थे.
  • जिस भी कंपनी को आपने अपना डेटा दिया है, उसके पास एक प्रक्रिया होनी चाहिए, ताकि डेटा संबंधित करेक्शन के लिए लोग संपर्क कर सकें. डेटा सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति करनी अनिवार्य है. शिकायत का समाधान नहीं होने पर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को शिकायत की जा सकती है.
  • आप चाहें तो अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को नामित भी कर सकते हैं. पुराने कानून में यह व्यवस्था नहीं थी.
  • प्रस्तावित कानून व्यक्तियों को किसी कंपनी द्वारा अपने व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए अपनी सहमति वापस लेने की अनुमति देता है. हालांकि, ऐसी स्थिति में आपको उस सेवा से वंचित किया जाएगा, तो आप इसके लिए खुद जिम्मेदार होंगे.

बिल का दुरुपयोग न हो, इसका भी प्रावधान है. आप गलत जानकारी नहीं दर्ज करें. सही सूचना मुहैया करवाएं. बिना कारण किसी भी कंपनी या संस्था पर दबाव न बनाएं.

सरकार डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन करेगी - बिल पारित होने के बाद सरकार डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन करेगी. यह बोर्ड प्राइवेसी संबंधित मुद्दों को हल करने का काम करेगी. बोर्ड में नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेगा. इसकी अध्यक्षता चीफ एक्जीक्यूटिव करेंगे. अगर किसी कंपनी को लगता है कि उसने डेटा प्रावधानों का उल्लंघन किया है, तो वह इसकी सूचना बोर्ड को प्रदान करेगा. बोर्ड जांच करने के बाद उचित कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. बोर्ड कंपनी पर जुर्माना लगा सकता है या फिर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का आदेश भी दे सकता है. जुर्माने की राशि भी बोर्ड ही तय करेगा. अगर एक साथ ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं तो बोर्ड उसकी गंभीरता और पेनाल्टी पर विचार करेगा. सिविल कोर्ट का रूख किया जा सकता है.

क्या है दूसरे जगहों पर प्रावधान - यूरोपियन यूनियन ने डेटा सुरक्षा को लेकर कानून बनाए हैं. इसका नाम जर्नल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन है. अगर किसी भी यूजर को लगता है कि उनका निजी डेटा चुराया गया है, या फिर उसका दुरुपयोग किया जा रहा है, वह उसकी शिकायत कर सकता है.

ये भी पढ़ें : IT Ministry : WhatsApp जैसी कंपनियों के द्वारा प्राइवेसी का उल्लंघन अस्वीकार्य

नई दिल्ली : डेटा प्रोटेक्शन बिल (डेटा संरक्षण विधेयक) को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो चुकी है. कैबिनेट ने बुधवार को डिजिटल पर्सनल प्रोटेक्शन बिल 2022 को मंजूरी प्रदान कर दी है. इस बिल को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. इस बिल का क्या मतलब है और इससे हमारा डेटा कितना अधिक सुरक्षित रहेगा, आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

इसी साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह डेटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे को लेकर जल्द ही सामने आएगी, ताकि लोगों से जो भी जानकारी मांगी जाती है, वह आंकड़ा पूरी तरह से सुरक्षित और संरक्षित (सेफ एंड प्रेजर्ब्ड) रहे.

बिल की जरूरत क्यों - आजकल जितने भी काम हो रहे हैं, सब डिजिटल माध्यम से हो रहे हैं. बैंक खाता भी आप घर बैठे खोल सकते हैं. बाजार में निवेश करना हो, तो आपको कहीं भी बाहर जाने की जरूरत नहीं है, ऑनलाइन ही सारा काम हो जाएगा. स्कूल की फीस भरनी हो, या बिजली बिल चुकाना हो, या फिर किसी दुकानदार को भुगतान करना हो, सबकुछ आप डिजिटल माध्यम से ही करते हैं. अलग-अलग सोशल मीडिया पर आपका अकाउंट होता है. वहां पर भी आप अपनी जानकारी साझा करते हैं. यहां तक कि आप डॉक्टर के पास ऑपरेशन के लिए जाते हैं, वहां भी आपके आधार कार्ड मांग लिया जाता है.

ऐसे में सवाल उठता है कि जहां-जहां हमारा डेटा शेयर हो रहा है, और जिन-जिन संस्थाओं ने हमारी जानकारी प्राप्त की है, वह डाटा कितना सुरक्षित है. कहीं वह संस्था या कोई भी दूसरा व्यक्ति उस जानकारी का दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है, कहीं वह हमारी जानकारी दूसरों को तो नहीं दे रहा है, और अगर वह करता है, तो हम उसके खिलाफ क्या कदम उठा सकते हैं. यह बिल आपके सारे सवालों का जवाब देगा.

बिल का मुख्य उद्देश्य - इस बिल का मुख्य मकसद आपके निजी डाटा को सुरक्षित करना और डाटा फ्रॉड को रोकना है. आप ये भी कह सकते हैं कि हमारे पास डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क होगा. अगर आपको लगता है कि किसी ने आपके डेटा का दुरुपयोग किया है, तो आप उसके खिलाफ कानूनी कदम उठा सकते हैं.

किसने इस बिल को किया तैयार - इस बिल की शुरुआत 2018 में हुई थी. सरकार ने जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अगुआई में एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने बिल को ड्राफ्ट किया था. 2019 में इस बिल को संसद में रखा गया था. यह बिल संयुक्त संसदीय कमेटी को सौंपी गई.

वहां पर बात आगे बढ़ती, इससे पहले ही सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया. उस समय सरकार ने कारण नहीं बताए थे. दिसंबर 2021 में इसे वापस लिया गया था. इसी बिल को सरकार फिर से लेकर आ रही है.

बिल पारित हुआ तो क्या बदलेगा - सरकारी या फिर निजी संस्था, जो भी हमारा और आपका डेटा एकत्रित करेगी, उसे यूजर्स से सहमति प्राप्त करनी होगी. इससे पहले जो ड्राफ्ट आया था, उसमें कुछ सरकारी संस्थाओं को छूट दी गई थी, इसको लेकर आलोचना हुई थी. हालांकि, नए ड्राफ्ट में भी केंद्र ने कुछ छूट दी है. जैसे महामारी की स्थिति होगी, या फिर लॉ एंड ऑर्डर को मैनेज करने के लिए किसी संस्था को कुछ डाटा चाहिए, तो उसे छूट दी जाएगी. सरकार ने यह भी कहा है कि किसी भी संस्था को पूरी तरह से छूट नहीं दी गई है.

डेटा का दुरुपयोग किया तो लगेगा जुर्माना -

  • डेटा कलेक्शन और उसका उपयोग कानूनी माध्यम से ही होगा. पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी.
  • प्रत्येक नागरिक का डेटा सुरक्षित रूप से संरक्षित करना होगा.
  • जितनी सूचनाओं की जरूरत हो, उतना ही डेटा कलेक्शन किया जाएगा.
  • जो भी संस्था डेटा एकत्रित करती है, उसकी जवाबदेही तय होगी.
  • डाटा ब्रीच होने पर डाटा संग्रह करने वाली संस्था इसकी जानकारी सुरक्षा बोर्ड को सौंपेगी.
  • जो भी जानकारी एकत्रित की जाती है, उसे किसी भी दूसरी जगह पर बिना अनुमति के साझा नहीं किया जाएगा. न ही सौंपी गई सूचना बदली जाएगी. और न ही इसे नष्ट किया जा सकता है. ऐसा करने पर 250 करोड़ रूपये तक के दंड का प्रावधान किया गया है.
  • हर व्यक्ति को यह जानने का अधिकार है कि कोई कंपनी उससे संबंधित डेटा जुटा रही है, तो वह उसका क्या करेगी. उसे किस तरह से प्रोसेस करेगी.
  • किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार है कि उसने जो भी डाटा साझा किया है, वह उसे वापस लेना चाहता है, तो ऐसा कर सकता है. वह यह जानकारी भी प्राप्त कर सकता है कि उसने किसी तीसरे पक्ष को डाटा दिया है, तो इसका उद्देश्य क्या है. तीसरे पक्ष का ब्योरा भी वह मांग सकता है.
  • आपको अपने डेटा को सही करने का और उसे हटाने का पूरा अधिकार है. अगर आपका नाम, मोबाइल नंबर, पता या फिर कोई भी दर्ज जानकारी गलत है, तो आप इसे सही करवा सकते हैं और उसे चाहें तो हटवा भी सकते हैं. किसी भी आंशिक जानकारी को भी आप हटवा सकते हैं, यदि उसकी जरूरत नहीं रह गई है. जैसे- आम तौर पर ऑनलाइन डिलीवरी के लिए जो पता दर्ज करते हैं, उसे हटवा सकते हैं. नए बिल में आपको पूरा अधिकार है कि जानकारी हटवा सकें. पुराने कानून में ऐसा नहीं था. वहां पर आप अपनी सहमति वापस ले सकते थे.
  • जिस भी कंपनी को आपने अपना डेटा दिया है, उसके पास एक प्रक्रिया होनी चाहिए, ताकि डेटा संबंधित करेक्शन के लिए लोग संपर्क कर सकें. डेटा सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति करनी अनिवार्य है. शिकायत का समाधान नहीं होने पर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को शिकायत की जा सकती है.
  • आप चाहें तो अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को नामित भी कर सकते हैं. पुराने कानून में यह व्यवस्था नहीं थी.
  • प्रस्तावित कानून व्यक्तियों को किसी कंपनी द्वारा अपने व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए अपनी सहमति वापस लेने की अनुमति देता है. हालांकि, ऐसी स्थिति में आपको उस सेवा से वंचित किया जाएगा, तो आप इसके लिए खुद जिम्मेदार होंगे.

बिल का दुरुपयोग न हो, इसका भी प्रावधान है. आप गलत जानकारी नहीं दर्ज करें. सही सूचना मुहैया करवाएं. बिना कारण किसी भी कंपनी या संस्था पर दबाव न बनाएं.

सरकार डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन करेगी - बिल पारित होने के बाद सरकार डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन करेगी. यह बोर्ड प्राइवेसी संबंधित मुद्दों को हल करने का काम करेगी. बोर्ड में नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेगा. इसकी अध्यक्षता चीफ एक्जीक्यूटिव करेंगे. अगर किसी कंपनी को लगता है कि उसने डेटा प्रावधानों का उल्लंघन किया है, तो वह इसकी सूचना बोर्ड को प्रदान करेगा. बोर्ड जांच करने के बाद उचित कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. बोर्ड कंपनी पर जुर्माना लगा सकता है या फिर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का आदेश भी दे सकता है. जुर्माने की राशि भी बोर्ड ही तय करेगा. अगर एक साथ ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं तो बोर्ड उसकी गंभीरता और पेनाल्टी पर विचार करेगा. सिविल कोर्ट का रूख किया जा सकता है.

क्या है दूसरे जगहों पर प्रावधान - यूरोपियन यूनियन ने डेटा सुरक्षा को लेकर कानून बनाए हैं. इसका नाम जर्नल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन है. अगर किसी भी यूजर को लगता है कि उनका निजी डेटा चुराया गया है, या फिर उसका दुरुपयोग किया जा रहा है, वह उसकी शिकायत कर सकता है.

ये भी पढ़ें : IT Ministry : WhatsApp जैसी कंपनियों के द्वारा प्राइवेसी का उल्लंघन अस्वीकार्य

Last Updated : Jul 6, 2023, 4:19 PM IST
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