नई दिल्लीः ईटीवी भारत से बात करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री पंडित ने (jnu vc prof shanti shree pandit) कहा कि यह कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह की घटना विश्वविद्यालय में हो सकती है. जेएनयू पढ़ने वाले बच्चे काफी समझदार हैं. रामनवमी के दिन जो घटना हुई थी (Violence in JNU on Ram Navami) दुर्भाग्यपूर्ण है उसकी जांच के लिए प्रॉक्टोरियल इंक्वायरी चल रही है. उस दिन रामनवमी का हवन और इफ्तार पार्टी दोनों चल रही थी. यह दोनों शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा था. इस दौरान उन्होंने कहा कि नॉनवेज खाने को लेकर जो विवाद देखने को मिला है कावेरी हॉस्टल को छोड़कर सभी हॉस्टल में नॉनवेज खाना उस दिन मिला है. केवल कावेरी हॉस्टल में नॉन वेज खाना नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि छात्रों को मेस में क्या खाना मिलेगा, इसका फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं बल्कि मेस कमेटी करती है.
कुलपति ने कहा कि यह विवाद दो मुद्दों पर हुआ जिसमें रामनवमी का हवन और नॉनवेज खाना है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी को अपने धर्म के मुताबिक पूजा करने की अनुमति है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन मेस का संचालन नहीं करता है. मेस का संचालन छात्र करते हैं छात्रों की एक कमेटी रहती है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन को पता नहीं होता है कि मेस में आज क्या बनेगा. साथ ही कहा कि सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा था जो विवाद हुआ था वह शांत हो गया था. लेकिन शाम को करीब 8:30 बजे कुछ लोग बाहर से आए. इसके बाद विश्वविद्यालय में हिंसा शुरू हो गई. कुलपति ने कहा कि दोनों गुटों के द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत ना करके छात्रों ने पुलिस में शिकायत की है. पुलिस ने घटना की जांच कर रही है और विश्वविद्यालय प्रशासन भी घटना की जांच कर रही है. जांच के बाद ही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि किस कारण से विश्वविद्यालय में रामनवमी के दिन हिंसा हुई है.
वहीं रामनवमी के दिन में घटना को लेकर कुलपति प्रोफेसर शांति श्री पंडित ने दोनों छात्र गुटों एबीवीपी और जेएनयू छात्र संघ से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जेएनयू में छात्र संघ नहीं है क्योंकि दो वर्षों से चुनाव नहीं हुआ है. दोनों छात्र गुटों की बात सुनी गई है. साथ ही कहा कि विश्वविद्यालय में जो हिंसा हुई पूरी तरह से गलत है. विश्वविद्यालय में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में वाद विवाद होना चाहिए लेकिन हिंसा का कोई जगह नहीं है.
इसके साथ ही कुलपति ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में 95 फीसदी लोग राष्ट्रवादी हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना से लेकर आज तक एक से बढ़कर एक अधिकारी और महान शख्सियत दिए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि जो विचारवंत है वह थोड़े क्रिटिकल रहते हैं. लेकिन क्रिटिकल रहने से कोई भी व्यक्ति एंटी नेशनल नहीं हो सकता है. साथ ही कहा कि छात्रों और फैकल्टी की वजह से विश्वविद्यालय रैंकिंग में पहले स्थान पर है. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में 90 फीसदी से अधिक छात्र गरीब परिवार से आते हैं.
वहीं कुलपति से जब यह सवाल किया कि छात्र जीवन से लेकर कुलपति बनने तक विश्वविद्यालय में किस तरीके से बदलाव को देखते हैं इस पर उन्होंने कहा कि हमारे समय में केवल वामपंथी विचारधारा ही थी. लेकिन अब अलग-अलग विचार देखने को मिलती है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की उन्नति अलग-अलग विचारधारा से ही है. साथ ही कहा कि उस समय वामपंथी लोग राष्ट्रवादी और गांधीवादी थे. अब वह सब खो सा गया है.
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उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार ने उन्हें कुलपति का दायित्व सौंपने के लिए बहुत कड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में देवी की शक्ति अधिक है. विश्वविद्यालय में हर प्रकार के सुधार के लिए सरकार से सहयोग मिल रहा है चाहे वह हॉस्टल निर्माण या इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार ही क्यों ना हो. इसके साथ ही विश्वविद्यालय में भारतीय भाषाओं का एक स्कूल भी स्थापित किया जा रहा है.