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विशेषज्ञों ने इमरान खान के बयानों को राजनीतिक चाल करार दिया

विशेषज्ञों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के द्वारा शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संदेश में दिये गये बयानों को राजनीतिक चाल करार दिया. विशेषज्ञों का कहना है कि इमरान खान साढ़े तीन साल तक चुप क्यों रहे? यह आश्चर्य की बात है.

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ये इमरान खान की राजनीतिक चाल के अलावा और कुछ नहीं है: विशेषज्ञ
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Published : Apr 9, 2022, 8:33 AM IST

नई दिल्ली: पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित किया. इमरान खान ने एक बार फिर भारत की तारीफ करते हुए कहा कि कोई भी विदेशी देश को डरा नहीं सकता. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह पाकिस्तान में विदेशी सरकार की स्थापना को बर्दाश्त नहीं करेंगे और अगर ऐसा होता है तो वह समर्थन के लिए जनता की ओर रुख करेंगे.

इमरान खान के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए भारत के पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा, 'इमरान खान इन साढ़े तीन साल तक चुप क्यों रहे? क्या उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनका देश गुलाम बन रहा है या यह आर्थिक रूप से गुलाम बन रहा है? यह आश्चर्य की बात है.' त्रिपाठी ने कहा कि पीएम खान यह कहकर अपने देश की विदेश नीति की आलोचना कर रहे हैं कि देश 'विदेशी शक्तियों' के हाथों बिक गया है और 'गुलाम' बन गया है लेकिन उन्होंने भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए एक भी काम नहीं किया.' पूर्व राजदूत ने बताया कि इमरान खान ने कई मौकों पर कहा है कि 2500 से अधिक आतंकवादी हैं और पाकिस्तान को उनसे छुटकारा पाने की जरूरत है लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे. त्रिपाठी ने कहा उस समय विपक्ष नहीं था जो पीएम खान को ऐसा करने से रोक रहा था. त्रिपाठी ने कहा कि वह जो कुछ भी कह रहे हैं वह सिर्फ एक राजनीतिक नौटंकी है.

त्रिपाठी कहा, 'पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल भारत को तब तक प्रभावित नहीं करेगी जब तक कि नेता शांतिपूर्वक आते और चले जाते हैं, लेकिन अगर सेना द्वारा कब्जा करने के बाद हिंसा होती है तो निश्चित रूप से इसका असर होगा. अन्यथा, भारत हमेशा पड़ोस में एक स्थिर सरकार का स्वागत करेगा.'

शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान पीएम खान ने कहा, 'हम एक ऐसा राष्ट्र नहीं हैं जिसे टिशू पेपर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है' जबकि पाकिस्तान किसी भी देश के साथ एकतरफा संबंध नहीं चाहता है. उन्होंने दोहराया कि वह कभी भी एक आयातित सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने आगे शिकायत की कि सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला जारी करने से पहले एक धमकी भरे पत्र को देखना चाहिए था. सांसदों की खरीद-बिक्री खुले तौर पर हो रही है, कोई भी गंभीर नहीं है. पश्चिमी लोकतंत्र में कभी भी खरीद-फरोख्त नहीं देखी.'

ये भी पढ़ें- PM Imran Khan: अमेरिका पर बरसे इमरान खान, भारत की शान में पढ़े कसीदे

आगे भारत की प्रशंसा करते हुए खान ने कहा कि भारत की एक स्वतंत्र विदेश नीति है और कोई भी विदेशी भारत से सवाल नहीं कर सकता है या भारत के खिलाफ साजिश करने की हिम्मत नहीं कर सकता है. भारत एक संप्रभु देश है, हम एक साथ स्वतंत्र हुए. शायद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार शाम को बड़े पैमाने पर विरोध का आह्वान किया है. खान कल 10 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे और अगर वह हार जाते हैं, तो वह अविश्वास मत के माध्यम से हटाए जाने वाले पहले पीएम होंगे. इस बीच, भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को पाकिस्तान में राजनीतिक संकट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि भारत आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता है.

नई दिल्ली: पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित किया. इमरान खान ने एक बार फिर भारत की तारीफ करते हुए कहा कि कोई भी विदेशी देश को डरा नहीं सकता. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह पाकिस्तान में विदेशी सरकार की स्थापना को बर्दाश्त नहीं करेंगे और अगर ऐसा होता है तो वह समर्थन के लिए जनता की ओर रुख करेंगे.

इमरान खान के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए भारत के पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा, 'इमरान खान इन साढ़े तीन साल तक चुप क्यों रहे? क्या उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनका देश गुलाम बन रहा है या यह आर्थिक रूप से गुलाम बन रहा है? यह आश्चर्य की बात है.' त्रिपाठी ने कहा कि पीएम खान यह कहकर अपने देश की विदेश नीति की आलोचना कर रहे हैं कि देश 'विदेशी शक्तियों' के हाथों बिक गया है और 'गुलाम' बन गया है लेकिन उन्होंने भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए एक भी काम नहीं किया.' पूर्व राजदूत ने बताया कि इमरान खान ने कई मौकों पर कहा है कि 2500 से अधिक आतंकवादी हैं और पाकिस्तान को उनसे छुटकारा पाने की जरूरत है लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे. त्रिपाठी ने कहा उस समय विपक्ष नहीं था जो पीएम खान को ऐसा करने से रोक रहा था. त्रिपाठी ने कहा कि वह जो कुछ भी कह रहे हैं वह सिर्फ एक राजनीतिक नौटंकी है.

त्रिपाठी कहा, 'पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल भारत को तब तक प्रभावित नहीं करेगी जब तक कि नेता शांतिपूर्वक आते और चले जाते हैं, लेकिन अगर सेना द्वारा कब्जा करने के बाद हिंसा होती है तो निश्चित रूप से इसका असर होगा. अन्यथा, भारत हमेशा पड़ोस में एक स्थिर सरकार का स्वागत करेगा.'

शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान पीएम खान ने कहा, 'हम एक ऐसा राष्ट्र नहीं हैं जिसे टिशू पेपर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है' जबकि पाकिस्तान किसी भी देश के साथ एकतरफा संबंध नहीं चाहता है. उन्होंने दोहराया कि वह कभी भी एक आयातित सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने आगे शिकायत की कि सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला जारी करने से पहले एक धमकी भरे पत्र को देखना चाहिए था. सांसदों की खरीद-बिक्री खुले तौर पर हो रही है, कोई भी गंभीर नहीं है. पश्चिमी लोकतंत्र में कभी भी खरीद-फरोख्त नहीं देखी.'

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आगे भारत की प्रशंसा करते हुए खान ने कहा कि भारत की एक स्वतंत्र विदेश नीति है और कोई भी विदेशी भारत से सवाल नहीं कर सकता है या भारत के खिलाफ साजिश करने की हिम्मत नहीं कर सकता है. भारत एक संप्रभु देश है, हम एक साथ स्वतंत्र हुए. शायद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार शाम को बड़े पैमाने पर विरोध का आह्वान किया है. खान कल 10 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे और अगर वह हार जाते हैं, तो वह अविश्वास मत के माध्यम से हटाए जाने वाले पहले पीएम होंगे. इस बीच, भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को पाकिस्तान में राजनीतिक संकट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि भारत आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता है.

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