शिमला: हिमाचल में अदालत के आदेश को समय पर पूरा न करना आईएएस अधिकारी को महंगा पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार के शिक्षा सचिव का वेतन रोकने के आदेश जारी किए हैं. हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव से दो दिन के भीतर इस संबंध में जारी आदेश की अनुपालना करने को कहा है, यानी कोर्ट ने मुख्य सचिव को कहा है कि दो दिन में शिक्षा सचिव के वेतन रोकने के आदेशों की अनुपालना की जाए.
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई में अपने पूर्व आदेश की वर्ड टू वर्ड यानी अक्षरशः अनुपालना न होने पर शिक्षा सचिव के वेतन अदायगी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि शिक्षा सचिव की लचर प्रणाली के लिए उन्हें जेल भेजने के आदेश पारित करने के बजाय अतिरिक्त महाधिवक्ता के आग्रह पर नरम रुख अपनाते हुए सिर्फ वेतन की अदायगी पर रोक लगाई जाती है.
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चन्द्र नेगी की खंडपीठ ने इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव को अनुपालाना के लिए भेजने के आदेश भी दिए हैं. मामले की सुनवाई 9 अगस्त को निर्धारित की गई है. याचिकाकर्ता नील कमल सिंह ने हाईकोर्ट की ओर से अपने पक्ष में तीन साल पहले सुनाए गए निर्णय को लागू करने के लिए याचिका दायर की थी. कोर्ट ने पाया कि 7 जनवरी 2020 को खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था.
शिमला के सेंट बीड्स कॉलेज के स्टाफ कर्मियों की ओर से 95% ग्रांट इन एड नीति के तहत ग्रांट, ग्रैच्युटी और लीव इनकैशमैंट के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की थी. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इन मांगों को स्वीकारते हुए सरकार को उपरोक्त लाभ जारी करने के आदेश दिए थे. इन आदेशों को लागू करने के लिए अदालत ने कई बार शिक्षा सचिव को आदेश पारित किए थे. 31 मई 2023 को अदालत ने इस याचिका का निपटारा करते हुए 19 जुलाई 2023 को अनुपालना रिपोर्ट तलब की थी. इस दिन भी अदालत के निर्णय को लागू करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई.
इसके बाद कोर्ट ने शिक्षा सचिव को एक और मौका दिया था. शुक्रवार 4 अगस्त को सुनवाई हुई और जब इस बार भी अदालत के निर्णय को लागू नहीं किया गया तो अदालत ने शिक्षा सचिव का वेतन रोकने के आदेश पारित कर दिए.
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