नई दिल्ली : देश में कोविड-19 की स्थिति पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, देश के 11 राज्यों में 101 ओमीक्रोन के मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना का यह नया वैरिएंट, आने वाले दिनों में डेल्टा वैरिएंट को रिप्लेस कर सकता है (omicron variant can replace delta variant of corona). वहीं उपचार का तरीका डब्ल्यूएचओ के पैटर्न पर ही रहेगा.
लव अग्रवाल ने कहा, दुनिया के 91 देशों में ओमीक्रोन वेरिएंट के मामले सामने आए. डब्ल्यूएचओ ने कहना है कि ओमीक्रोन दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैल रहा है, जहां डेल्टा के मामले कम थे. यह संभावना है कि ओमीक्रोन डेल्टा संस्करण को पीछे छोड़ देगा.
उन्होंने बताया, पिछले 20 दिनों से नए दैनिक मामले 10,000 से कम दर्ज किए गए. पिछले 1 हफ्ते से केस पॉजिटिविटी 0.65% रही. वर्तमान में, केरल देश में सक्रिय मामलों की कुल संख्या में 40.31% का योगदान देता है.
केरल में नौ जिले, मिजोरम में पांच, नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल में साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5 से 10 प्रतिशत के बीच दर्ज की गई है. दिलचस्प बात यह है कि मिजोरम के चार जिलों और अरुणाचल प्रदेश के 1 जिलों में 10 प्रतिशत से अधिक पॉजिटिविटी दर दर्ज की गई है.
उन्होंने कहा, भारत में उच्चतम दर पर कोविड-19 वैक्सीन की खुराक दी जा रही है. प्रशासित खुराक की दैनिक दर संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशासित खुराक की दर से 4.8 गुना और यूके में प्रशासित खुराक की दर का 12.5 गुना ज्यादा है.
आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कोविड-19 के ओमीक्रोन वेरिएंट के बढ़ते मामलों को लेकर कहा, यह गैर-आवश्यक यात्रा, सामूहिक समारोह से बचने का समय है.
नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि कोरोना की नई लहर का असर ब्रिटेन में देखने को मिल रहा है, वहां मामलों में वृद्धि हो रही है. टीकाकरण के महत्व को दोहराते हुए, डॉ पॉल ने कहा कि भारत के पास उपलब्ध वर्तमान टीके सभी वेरिएंट से लड़ने में सक्षम हैं.
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उन्होंने कहा, प्रत्येक नमूने का जीनोम अनुक्रमण संभव नहीं है. यह एक निगरानी और महामारी मूल्यांकन और ट्रैकिंग उपकरण है, न कि एक नैदानिक उपकरण. हम आश्वस्त कर सकते हैं कि पर्याप्त व्यवस्थित सैंप्लिंग की जाए.
आईसीएमआर के डीजी डॉ भार्गव ने कहा, हम इन एंटी-वायरल कोविड-19 गोलियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं. हमने पाया है कि इन गोलियों को रोग के निदान से पहले ही बहुत जल्द दिया जाना चाहिए. हालांकि वैज्ञानिक डेटा अभी भी बड़े पैमाने पर समर्थित नहीं है कि गोलियां इस समय उपयोगी होंगी.