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कोरोना की तीसरी लहर की आहट, पैरेंट्स करें ऐसा तो लाडलों को छू भी नहीं पाएगा वायरस - Parents Day

Coronavirus In Kids: भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बड़ों के अलावा बच्चों की जान पर भारी पड़ी. ऐसे में जब तीसरी लहर की आहट आ गई है तो हमें बच्चों की स्पेशल केयर करनी बेहद जरूरी है क्योंकि उनके लिए दुनिया के किसी भी देश में वैक्सीन नहीं आई है.

Covid-19 Vaccination, Covid third wave
कोरोना की तीसरी लहर
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Published : Jul 25, 2021, 6:00 AM IST

नई दिल्ली: यूरोप और एशिया के कई देशों में कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो तबाही से पहले छाई शांति अब खत्म होने वाली है, क्योंकि माना ये जा रहा है कि 1 से 2 महीने में कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) दस्तक दे सकती है. इसके आने से आशंका जताई जा रही है कि सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला आयु वर्ग छोटे बच्चों (Coronavirus In Kids) का ही होगा, जो कि माता पिता के लिए अपने लाडलों को बचाने के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा. पैरेंट्स डे (Parents Day) पर आइए एक्सपर्ट से जानते हैं ​कि माता-पिता कैसे बच्चों को बचाएं कोरोना के कहर से...

लखनऊ के मशहूर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष वर्मा कहते हैं कि देश में अभी तक बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में माता-पिता को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. हालांकि, हमारे लिए अच्छी बात ये है ​कि देश के कई ​हिस्सों में हुए रिसर्च रिपोर्ट में सामने आई है कि लोगों में हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) तेजी से विकसित हुई है.

इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि मान लीजिए अगर एक घर में किसी बच्चे के माता-पिता पहले कोरोना सं​क्रमित हुए और ठीक हो गए हैं, तो उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से वि​कसित हुई है ऐसे में फिलहाल तीसरी लहर में बच्चों के लिए खतरे की आशंका बहुत कम है.

...तो कोरोना की तीसरी लहर होगी निष्प्रभावी

डॉ. आशुतोष वर्मा ने बताया कि दूसरी जरूरी बात यह है कि तीसरी लहर के आने को लेकर जो जानकारी सामने आ रही है वो ये कि अभी इसके आने में एक से दो महीने का समय है. ऐसे में अगर वयस्कों के लिए टीकाकरण तेज कर दिया जाय और ज्यादा से ज्यादा संख्या में वयस्क कोरोना का टीका लगवा लें तो बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर छू भी नहीं पाएगी.

सामान्य सी बात है कि बच्चों की जिम्मेदारी मां-बाप और घर के अन्य बड़ों पर ही होती है, जब हर घर के बड़े कोरोना का टीका लगवा लेंगे तो बच्चों को संक्रमण से आसानी से बचाया जा सकेगा और कहना गलत नहीं होगा कि तीसरी लहर अपने आप निष्प्रभावी हो जाएगी.

बच्चों के स्वास्थ्य बदलावों को न करें नजरअंदाज

एक और महत्वपूर्ण पहलू है जिस पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. माता-पिता बच्चों के स्वास्थ्य में अचानक आए बदलावों (Change in Children's health) जैसे बुखार, उल्टी, दस्त आदि होने के बाद काफी ज्यादा सुस्ती और कमजोरी को बिल्कुल भी सामान्य न मानें और लापरवाही बरतने का जोखिम तो कतई न उठाएं. ऐसा अगर बच्चों में होता है तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ या अन्य डॉक्टरों को दिखाएं.

बच्चे जी रहे हैं आर्टिफिशियल लाइफ

जहां तक बात बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की है तो लगभग 2 साल से बच्चे बंदिशों में रहकर आर्टिफिशियल लाइफ जैसे कि मोबाइल और कम्प्यूटर (Gadget Impact) पर पढ़ाई कर रहे हैं और पढ़ाई के अलावा गेम खेलने के साथ यूट्यूब देखने के आदी हो गए हैं. ऐसे स्थिति में माता पिता बच्चों को अचानक से मोबाइल की दुनिया से दूर न करें, बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें, उन्हें दोस्तों के साथ समय बिताने दें और हो सके तो माता पिता खुद भी उनके दोस्तों से फोन पर बात करें, खेलने जाएं. साथ ही जिन घरों में दादा दादी या अन्य बड़े बुजुर्ग हैं उन घरों में माता पिता बच्चों को बड़ों के साथ समय बिताने दें और पढ़ाई का बोझ तो बिल्कु भी न लादें.

ऐसे रखें खास ख्याल

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि कोरोना की वजह से जब बच्चों की जिंदगी में काफी बदलाव आया है तो परिजनों को स्ट्रिक्‍ट पेरेंट्स बनने से बचना चाहिए. स्ट्रिक्‍ट पेरेंट्स बच्‍चों के बिहेवियर, पसंद, एक्टिविटी और यहां तक कि उनके रोजमर्रा के रूटीन पर भी जबरदस्‍ती कुछ नियम थोप देते हैं.

अगर बच्‍चों से गलती से भी कोई नियम टूट जाए तो उन्‍हें कोई गंभीर सजा दे दी जाती है. जब बच्‍चों को अपने पेरेंट्स के रिएक्‍शन और उसके अंजाम से काफी डर लगता हो तो ऐसी स्थि‍ति में बच्‍चे कोई गलत कदम उठा सकते हैं. हो सकता है कि वो आपसे झूठ भी बोलें. इस ​कठिन समय में माता-पिता को ऐसा कुछ भी करने से बचना चाहिए.

बच्चों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए करें ये उपाय

जयपुर के वरिष्ठ पीडियाट्रिक स्पेशलिस्ट डॉ. विवेक शर्मा के अनुसार, बच्चों में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कोई अलग से दवाएं नहीं आती. इसके लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत जरूरी है. इसके अलावा बच्चों का स्क्रीन टाइम यानी कि टीवी, मोबाइल बिल्कुल कम कर दें. जंक फूड नहीं दें और अधिक से अधिक फल खिलाएं. बच्चों में पूरी नींद की बहुत अधिक जरूरत होती है.

इसीलिए उन्हें समय पर सुलाने और जगाने की आदत डालें. कई ऐसे चीजें आयी हैं जिनके इम्यूनिटी बढ़ाने के कोई साइंटिफिक रीजन सामने नहीं आए हैं, लेकिन भेड़ चाल में चलकर कोई भी बहुत अधिक चीज न दें. बच्चों में ऐसी चीजें खाने से पेट दर्द और कब्ज की समस्या सामने आई है. बल्कि विटामिन, मिनरल और प्रोटीन दें और बच्चों को भीड़ में न लेकर जाएं.

बच्चों में कोरोना को लेकर कुछ जरूरी बातें

  • आंकड़ों के अनुसार, कोरोना की पहली लहर में 11 फीसदी बच्चे शिकार हुए थे, लेकिन दूसरी लहर में ये आंकड़ा बढ़ गया.
  • जानकारों की मानें पहले कोरोना वायरस बच्चों के शरीर के प्रवेश करने में 1 से 2 दिन लेता था, लेकिन दूसरे म्यूटेंट में ये 6 घंटे में ही संक्रमित कर देता है.
  • पीएम की कोविड मैनेजमेंट टीम के प्रमुख सदस्यों में से एक डॉ. वीके पॉल के अनुसार, अभी यह निश्चित नहीं है कि कोरोना की तीसरी लहर मुख्य रूप से बच्चों को ही प्रभावित करेगी. पिछले डेटा इसका समर्थन नहीं करते हैं. अब तक बच्चों ने वयस्कों के समान सेरोप्रेवलेंस (Similar Seroprevalence) का प्रदर्शन किया है, जिसका मतलब है कि वे वयस्कों की तरह ही प्रभावित होते हैं.

दुनिया के इन देशों में बच्चों को लग रही कोरोना की वैक्सीन

इटली, जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर, जापान, अमेरिका, इजरायल, स्विट्जरलैंड, हंगरी, फिलिपींस और रोमानिया में बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है. भारत में अभी 18 साल से ऊपर के लोगों को टीका लगाया जा रहा है. यहां बच्चों के लिए कैडिला एवं भारत बायोटेक के टीकों का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है. आने वाले दिनों में यहां भी किशोरों को टीका लगना शुरू होगा.

नई दिल्ली: यूरोप और एशिया के कई देशों में कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो तबाही से पहले छाई शांति अब खत्म होने वाली है, क्योंकि माना ये जा रहा है कि 1 से 2 महीने में कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) दस्तक दे सकती है. इसके आने से आशंका जताई जा रही है कि सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला आयु वर्ग छोटे बच्चों (Coronavirus In Kids) का ही होगा, जो कि माता पिता के लिए अपने लाडलों को बचाने के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा. पैरेंट्स डे (Parents Day) पर आइए एक्सपर्ट से जानते हैं ​कि माता-पिता कैसे बच्चों को बचाएं कोरोना के कहर से...

लखनऊ के मशहूर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष वर्मा कहते हैं कि देश में अभी तक बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में माता-पिता को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. हालांकि, हमारे लिए अच्छी बात ये है ​कि देश के कई ​हिस्सों में हुए रिसर्च रिपोर्ट में सामने आई है कि लोगों में हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) तेजी से विकसित हुई है.

इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि मान लीजिए अगर एक घर में किसी बच्चे के माता-पिता पहले कोरोना सं​क्रमित हुए और ठीक हो गए हैं, तो उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से वि​कसित हुई है ऐसे में फिलहाल तीसरी लहर में बच्चों के लिए खतरे की आशंका बहुत कम है.

...तो कोरोना की तीसरी लहर होगी निष्प्रभावी

डॉ. आशुतोष वर्मा ने बताया कि दूसरी जरूरी बात यह है कि तीसरी लहर के आने को लेकर जो जानकारी सामने आ रही है वो ये कि अभी इसके आने में एक से दो महीने का समय है. ऐसे में अगर वयस्कों के लिए टीकाकरण तेज कर दिया जाय और ज्यादा से ज्यादा संख्या में वयस्क कोरोना का टीका लगवा लें तो बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर छू भी नहीं पाएगी.

सामान्य सी बात है कि बच्चों की जिम्मेदारी मां-बाप और घर के अन्य बड़ों पर ही होती है, जब हर घर के बड़े कोरोना का टीका लगवा लेंगे तो बच्चों को संक्रमण से आसानी से बचाया जा सकेगा और कहना गलत नहीं होगा कि तीसरी लहर अपने आप निष्प्रभावी हो जाएगी.

बच्चों के स्वास्थ्य बदलावों को न करें नजरअंदाज

एक और महत्वपूर्ण पहलू है जिस पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. माता-पिता बच्चों के स्वास्थ्य में अचानक आए बदलावों (Change in Children's health) जैसे बुखार, उल्टी, दस्त आदि होने के बाद काफी ज्यादा सुस्ती और कमजोरी को बिल्कुल भी सामान्य न मानें और लापरवाही बरतने का जोखिम तो कतई न उठाएं. ऐसा अगर बच्चों में होता है तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ या अन्य डॉक्टरों को दिखाएं.

बच्चे जी रहे हैं आर्टिफिशियल लाइफ

जहां तक बात बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की है तो लगभग 2 साल से बच्चे बंदिशों में रहकर आर्टिफिशियल लाइफ जैसे कि मोबाइल और कम्प्यूटर (Gadget Impact) पर पढ़ाई कर रहे हैं और पढ़ाई के अलावा गेम खेलने के साथ यूट्यूब देखने के आदी हो गए हैं. ऐसे स्थिति में माता पिता बच्चों को अचानक से मोबाइल की दुनिया से दूर न करें, बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें, उन्हें दोस्तों के साथ समय बिताने दें और हो सके तो माता पिता खुद भी उनके दोस्तों से फोन पर बात करें, खेलने जाएं. साथ ही जिन घरों में दादा दादी या अन्य बड़े बुजुर्ग हैं उन घरों में माता पिता बच्चों को बड़ों के साथ समय बिताने दें और पढ़ाई का बोझ तो बिल्कु भी न लादें.

ऐसे रखें खास ख्याल

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि कोरोना की वजह से जब बच्चों की जिंदगी में काफी बदलाव आया है तो परिजनों को स्ट्रिक्‍ट पेरेंट्स बनने से बचना चाहिए. स्ट्रिक्‍ट पेरेंट्स बच्‍चों के बिहेवियर, पसंद, एक्टिविटी और यहां तक कि उनके रोजमर्रा के रूटीन पर भी जबरदस्‍ती कुछ नियम थोप देते हैं.

अगर बच्‍चों से गलती से भी कोई नियम टूट जाए तो उन्‍हें कोई गंभीर सजा दे दी जाती है. जब बच्‍चों को अपने पेरेंट्स के रिएक्‍शन और उसके अंजाम से काफी डर लगता हो तो ऐसी स्थि‍ति में बच्‍चे कोई गलत कदम उठा सकते हैं. हो सकता है कि वो आपसे झूठ भी बोलें. इस ​कठिन समय में माता-पिता को ऐसा कुछ भी करने से बचना चाहिए.

बच्चों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए करें ये उपाय

जयपुर के वरिष्ठ पीडियाट्रिक स्पेशलिस्ट डॉ. विवेक शर्मा के अनुसार, बच्चों में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कोई अलग से दवाएं नहीं आती. इसके लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत जरूरी है. इसके अलावा बच्चों का स्क्रीन टाइम यानी कि टीवी, मोबाइल बिल्कुल कम कर दें. जंक फूड नहीं दें और अधिक से अधिक फल खिलाएं. बच्चों में पूरी नींद की बहुत अधिक जरूरत होती है.

इसीलिए उन्हें समय पर सुलाने और जगाने की आदत डालें. कई ऐसे चीजें आयी हैं जिनके इम्यूनिटी बढ़ाने के कोई साइंटिफिक रीजन सामने नहीं आए हैं, लेकिन भेड़ चाल में चलकर कोई भी बहुत अधिक चीज न दें. बच्चों में ऐसी चीजें खाने से पेट दर्द और कब्ज की समस्या सामने आई है. बल्कि विटामिन, मिनरल और प्रोटीन दें और बच्चों को भीड़ में न लेकर जाएं.

बच्चों में कोरोना को लेकर कुछ जरूरी बातें

  • आंकड़ों के अनुसार, कोरोना की पहली लहर में 11 फीसदी बच्चे शिकार हुए थे, लेकिन दूसरी लहर में ये आंकड़ा बढ़ गया.
  • जानकारों की मानें पहले कोरोना वायरस बच्चों के शरीर के प्रवेश करने में 1 से 2 दिन लेता था, लेकिन दूसरे म्यूटेंट में ये 6 घंटे में ही संक्रमित कर देता है.
  • पीएम की कोविड मैनेजमेंट टीम के प्रमुख सदस्यों में से एक डॉ. वीके पॉल के अनुसार, अभी यह निश्चित नहीं है कि कोरोना की तीसरी लहर मुख्य रूप से बच्चों को ही प्रभावित करेगी. पिछले डेटा इसका समर्थन नहीं करते हैं. अब तक बच्चों ने वयस्कों के समान सेरोप्रेवलेंस (Similar Seroprevalence) का प्रदर्शन किया है, जिसका मतलब है कि वे वयस्कों की तरह ही प्रभावित होते हैं.

दुनिया के इन देशों में बच्चों को लग रही कोरोना की वैक्सीन

इटली, जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर, जापान, अमेरिका, इजरायल, स्विट्जरलैंड, हंगरी, फिलिपींस और रोमानिया में बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है. भारत में अभी 18 साल से ऊपर के लोगों को टीका लगाया जा रहा है. यहां बच्चों के लिए कैडिला एवं भारत बायोटेक के टीकों का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है. आने वाले दिनों में यहां भी किशोरों को टीका लगना शुरू होगा.

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