शिमला: हिमाचल में गुरुवार को स्कूटी के वीवीआईपी अथवा फैंसी नंबर के लिए एक करोड़ रुपए से अधिक की बोली का मामला देखते ही देखते नेशनल मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगा. सोशल मीडिया पर हर तरफ स्कूटी के वीवीआईपी नंबर की चर्चा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू तक भी पहुंची. सीएम सुखविंदर सिंह ने इस परिवहन निदेशालय से दरियाफ्त किया कि मामला क्या है? परिवहन निदेशालय ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के संज्ञान में सारी बात लाई. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की नजर भी इस वीवीआईपी नंबर गेम पर टिक गई है. यदि इसमें किसी किस्म के फ्रॉड की आशंका हुई तो मामले की जांच के निर्देश भी दिए जा सकते हैं.
आइए, समझते हैं कि ये मामला क्या है: दरअसल केंद्रीय रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री वीवीआईपी नंबर के लिए बोलीदाताओं को आमंत्रित करता है. ये सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. ऑनलाइन ही बोली लगाई जाती है. हिमाचल प्रदेश में रोहड़ू व कोटखाई दो नए सब डिविजन बनने के बाद उन्हें वाहनों के लिए क्रमश: एचपी 75 व एचपी 99 नंबर दिए गए. खैर, वीवीआईपी नंबर के लिए ऑनलाइन बोली आमंत्रित की गई तो कोटखाई के लिए एचपी 99-9999 नंबर को लेकर कुल 26 लोगों ने बोली लगाई. इसमें सबसे अधिक बोली अब तक एक करोड़ 12 लाख रुपए से अधिक की हो गई है. शुक्रवार को अब बोली का अंतिम दिन है और शाम पांच बजे बिड क्लोज हो जाएगी. फिलहाल केंद्रीय मंत्रालय का ये तय नियम है कि जब तक बोली पूरी नहीं हो जाती, बोली लगाने वालों की पहचान नहीं बताई जाती.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के ध्यान में आया मामला: गुरूवार को दिन में जब सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर चर्चा शुरू हुई तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के ध्यान में भी ये मामला आया. उन्होंने परिवहन विभाग के अफसरों से पूछा कि ये सब क्या हो रहा है. तब परिवहन विभाग के अफसरों ने ऑनलाइन फैंसी नंबर के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया के बारे में बताया. सीएम जानना चाहते थे कि ऐसे कौन लोग हैं, जो एक स्कूटी के नंबर के लिए इतना बड़ा अमाउंट देने को तैयार हैं. उन्हें आशंका हुई कि इसमें कोई गड़बड़झाला तो नहीं? सीएम सुखविंदर सिंह की ये आशंका वाजिब है.
दरअसल, कुछ लोग मिलकर बोली का अमाउंट बढ़ा देते हैं. जब बोली की समय अवधि खत्म होने वाली होती है तो वे सरेंडर कर देते हैं. चूंकि केंद्रीय मंत्रालय के प्रोसेस में बोलीदाता के सरेंडर कर देने की स्थिति में उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती, लिहाजा कई लोग मिलकर एक व्यक्ति के जरिए ऊंची बोली लगा देते हैं और फिर प्रोसेस से ऐन टाइम पर क्विट कर जाते हैं. उन्हीं का कोई साथी अपेक्षाकृत कम रकम की बोली पहले ही लगा चुका होता है. उदाहरण के लिए जब उक्त मामले में एक करोड़ 12 लाख रुपए से अधिक की बोली एक शख्स ने लगा दी तो और बोली लगाने वाले इच्छुक को इससे अधिक रकम की बोली लगानी होगी. नहीं तो वो बोली प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकता. इस तरह बहुत कम लोग ही बोली प्रक्रिया के दायरे में आते हैं. खैर, अब सभी की नजरें शुक्रवार शाम पांच बजे पर टिकी हैं. देखना है कि शुक्रवार को इस मामले में वीवीआईपी नंबर की बोली का अंत किस रकम पर होता है.
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