उत्तरकाशी: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा आज से शुरू हो गई है. आज सबसे पहले गंगोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोल दिए गए. अक्षय तृतीया पर गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा 2022 शुरू हो गई. इससे पहले मां गंगोत्री की चल विग्रह डोली गंगोत्री धाम पहुंची थी. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा माता के जयकारे के साथ डोली का स्वागत किया.
उधर यमुनोत्री धाम के कपाट भी आज श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल गए हैं. यमुनोत्री धाम में भी सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. यमुनोत्री धाम के लिए खरसाली से मां यमुना की डोली मंगलवार को सुबह 8:30 बजे रवाना हुई. डोली के धाम पहुंचने के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट भी 6 महीने के लिए खोल दिए गए. दोनों धामों में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की गई. दोनों धामों के पुजारियों ने प्रधानमंत्री की ओर से देश और दुनिया में सुख-समृद्धि और शांति की प्रार्थना की.
सबसे पहले मां गंगोत्री की चल विग्रह डोली गंगोत्री धाम पहुंची. सुबह आर्मी बैंड की धुन पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ सैकड़ों भक्तों की मौजूदगी में डोली गंगोत्री पहुंची. इसके पहले सोमवार को मां गंगा की उत्सव डोली भैरों घाटी स्थित भैरव मंदिर के लिए रवाना हुई थी. जहां रात्रि विश्राम के पश्चात मंगलवार को सुबह 7:00 बजे मां गंगा की डोली गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई.
वहीं दूसरी ओर खरसाली से मां यमुना के भाई शनि देव महाराज की डोली की अगुवाई में मां यमुना की डोली यमुनोत्री धाम पहुंची. गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के करीब एक घंटे बाद यमुनोत्री धाम के कपाट भी खोल दिए गए. देश विदेश के श्रद्धालु कपाट खुलने के साक्षी बने. श्री पांच मंदिर समिति गंगोत्री के अध्यक्ष राहुल हरीश सेमवाल ने बताया कि गंगोत्री धाम के कपाट सुबह 11:15 पर विधि विधान से पूजा अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देश विदेश के श्रद्धालुओं के दर्शन को खोल दिए गए.
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वहीं दूसरी ओर यमुनोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश उनियाल ने बताया कि यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:15 पर श्रद्धालुओं के दर्शन को खोल दिए गए. उन्होंने कहा कि सुबह खरसाली से मां यमुना के भाई शनि देव महाराज की डोली की अगुवाई में यमुना की डोली खरसाली से यमुनोत्री धाम पहुंच गई थी. उसके बाद विधिवत कपाट उद्घाटन की प्रक्रिया संपन्न की गई.
गंगोत्री धाम के बारे में जानें: गंगोत्री से गंगा नदी का उद्गम होता है. यहां देवी गंगा का मंदिर है. समुद्र तल से ये मंदिर 3042 मीटर की ऊंचाई पर है. ये स्थान जिला उत्तरकाशी मुख्यालय से 100 किमी की दूरी पर है. हर साल गंगोत्री मंदिर मई से अक्टूबर तक के लिए खोला जाता है. इस क्षेत्र में राजा भागीरथ ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था. शिवजी यहां प्रकट हुए और उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर उसका वेग शांत किया था. इसके बाद इसी क्षेत्र में गंगा की पहली धारा भी गिरी थी. जिसके बाद भागीरथ ने अपने पुरखों को तारा था.
यमुनोत्री धाम के बारे में जानें: यमुनोत्री मंदिर समुद्रतल से 3235 मीटर ऊंचाई पर है. यहां देवी यमुना का मंदिर है. यहीं यमुना नदी का उद्गम स्थल भी है. यमुनोत्री मंदिर टिहरी गढ़वाल के राजा प्रतापशाह ने बनवाया था. इनके बाद मंदिर का जीर्णोद्धार जयपुर की रानी गुलेरिया ने करवाया था.
चारधाम में यात्रियों की संख्या का निर्धारण: चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों की संख्या मंदिर समिति द्वारा निर्धारित कर दी गई है. मंदिर समिति द्वारा निर्धारित की गई यात्रियों की संख्या यात्रा के पहले 45 दिनों के लिए है. बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए हर दिन 15,000 यात्री दर्शन करेंगे. वहीं केदारनाथ के दर्शन के लिए हर दिन 12 हजार यात्री दर्शन करेंगे. इसके अलावा गंगोत्री में 7,000 यात्री 1 दिन में कर दर्शन करेंगे. जबकि एक दिन में यमुनोत्री में चार हजार श्रद्धालु ही दर्शन कर सकेंगे. शासन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है.
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सवा तीन लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन: चारधाम यात्रा के लिए अब तक लगभग सवा तीन लाख से ज्यादा तीर्थयात्री पंजीकरण करा चुके हैं. चारधाम और यात्रा मार्ग पर आने वाले दो महीने के लिए होटलों में कमरों की बुकिंग फुल है. साथ ही केदारनाथ हेली सेवा के लिए 20 मई तक टिकटों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पर्यटन विभाग ने गढ़वाल मंडल विकास निगम के माध्यम से केदारनाथ में टेंट लगाकर एक हजार लोगों के ठहरने की अतिरिक्त व्यवस्था की है. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने प्रतिदिन यात्रियों की संख्या तय की है.