नई दिल्ली : कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज अमित शाह से मुलाकात की. जानकारी के मुताबिक अमरिंदर ने शाह से उनके आवास पर मुलाकात की. शाह से मिलने के बाद अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि अमित शाह के साथ मुलाकात के दौरान उन्होंने कृषि कानूनों के कारण पैदा हुए गतिरोध को लेकर बात की.
अमरिंदर ने लिखा कि लंबे समय से खिंच रहे किसान आंदोलन को समाप्त करने की दिशा में कृषि कानूनों को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी और पंजाब में फसलों के उत्पादन को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के साथ चर्चा हुई.
इससे पहले अमरिंदर सिंह के मीडिया प्रभारी रवीन ठुकराल ने भी एक ट्वीट में लिखा कि शाह और अमरिंदर की मुलाकात के दौरान किसानों के मुद्दों पर बात की गई.
बता दें कि गत 18 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर अमरिंदर सिंह ने विशेष रूप से आक्रामक तेवर अपनाए हैं.
इससे पहले मंगलवार को भाजपा सांसद श्वेत मलिक ने कहा था कि अमरिंदर अमित शाह से भेंट करेंगे. राज्यसभा सांसद व पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्वेत मलिक का कहना है कि भारत की सबसे पुराना पार्टी अपने सदस्यों को एकजुट रखने में नाकाम साबित हो रही है. कांग्रेस बिखर रही है. श्वेत मलिक ने सिद्धू को भी आड़े हाथ लिया.
उन्होंने सिद्धू के इस्तीफे पर कहा कि सिद्धू भाजपा में थे तो अपनी बात मनवाने के अड़ जाते थे. उनका कहना है कि इस्तीफा केवल ब्लैकमेलिंग है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि कैप्टन अमरिंदर बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे.
कैप्टन आए तो भाजपा को भी होगा फायदा
दरअसल पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि विकल्प खुला है. पिछले कुछ दिनों से भाजपा नेता भी कैप्टन की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं जो अकाली दल से नाता टूटने के बाद काफी पीछे जा चुकी थी. कैप्टन की भाजपा से नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. कैप्टन की किसानों में पैठ है और दोनों का कॉम्बिनेशन कैप्टन और भाजपा दोनों के लिए वरदान साबित हो सकता है.
कृषि कानूनों के बाद से बदली है भाजपा की स्थिति
पंजाब में तीन कृषि कानूनों का खासा असर पड़ा है. कृषि कानूनों के लागू होने के बाद पंजाब के किसान जत्थेबंदियों ने विरोध करना शुरू कर दिया. बाद में यह हरियाणा और फिर उत्तर प्रदेश में फैलता गया और पूरे देश में भाजपा की केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया. खासकर उत्तर भारत में जब पांच राज्यों में जल्द ही चुनाव होने हैं.
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पंजाब में 25 साल पुराना अकाली-भाजपा गठबंधन इन कृषि कानूनों के कारण टूट गया था. हाशिए पर पड़ी भाजपा के लिए फिलहाल कोई रास्ता नहीं है, ऐसे में भाजपा को कैप्टन अमरिंदर सिंह में उम्मीद की एक किरण नजर आ रही है. कैप्टन कांग्रेस में उनके खिलाफ चलाए गए अभियान से खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे और आखिरकार उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
सिद्धू के इस्तीफे से क्या जाएगा संदेश?
कैप्टन अमरिंदर सिंह इस्तीफे के बाद से खामोश हैं लेकिन मंगलवार को एक बड़े घटनाक्रम में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे पंजाब की जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश नहीं गया. सिद्धू को मंत्रियों का चयन और विभागों का बंटवारा पसंद नहीं था.