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भारत-चीन तनाव ने ली सैनिकों की जान, हिमस्खलन में दबे सात जवानों के शव मिले

भारत-चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों (India China strained relations) ने सात भारतीय सैनिकों का जीवन निगल लिया क्योंकि रविवार को एलएसी के पास एक क्षेत्र में गश्ती दल पर हिमस्खलन हुआ, जिसमें सभी सात सैनिकों की मृत्यु हो गई. आमतौर इस क्षेत्र में जून 2020 से पहले सर्दियों में गश्त नहीं की जाती थी. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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हिमस्खलन
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Published : Feb 8, 2022, 9:26 PM IST

Updated : Feb 9, 2022, 10:48 AM IST

नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में हिमस्खलन (Avalanche in Kameng region) की चपेट में आने के बाद पिछले दो दिन से लापता सेना के सात जवानों के शव मंगलवार को मिले. कामेंग सेक्टर में ऊंचाई पर स्थित इलाके में रविवार को हिमस्खलन के बाद लापता कर्मियों को ढूंढने के लिए सेना ने तलाश एवं बचाव अभियान शुरू किया था. एक अधिकारी ने कहा कि हिमस्खलन वाले स्थान से सभी सात कर्मियों के शव बरामद हुए हैं. दुर्भाग्यवश, अभियान में जुटे प्रत्येक व्यक्ति के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद सभी सात लोगों की मृत्यु होने की पुष्टि हुई है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने हिमस्खलन में अपनी जान गंवाने वाले सात सैन्य कर्मियों के परिवारों के लिए 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है. मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में इस बात की जानकारी दी.

  • Chief Minister @PemaKhanduBJP has announced an ex-gratia of ₹4 lakhs each from the Chief Minister’s Relief Fund (CMRF), for the next of kin of 7 brave soldiers who lost their lives serving the Nation in an avalanche in the Kameng sector.@adgpi

    — CMO Arunachal (@ArunachalCMO) February 8, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लगभग 14500 फीट की उंचाई पर इन मौतों के लिए भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. तवांग से आगे चुमी ग्यात्से को आमतौर पर सर्दियों के महीनों में गश्त नहीं किया जाता था, जब भारी बर्फ और खराब मौसम लगभग खिंचाव को काट देता था. एक सूत्र के मुताबिक जवान सालुंग जालुंग इलाके के पास एक अग्रिम चौकी के थे. शुरुआत में गश्ती दल का सिर्फ एक JAK RIF जवान बर्फ में फंस गया था. उसे बचाने की कोशिश में छह अन्य भी बर्फ की तेज गति से ढहती दीवार की चपेट में आ गए.

अरुणाचल प्रदेश के लोकसभा सांसद तपीर गाओ ने ईटीवी भारत को बताया कि यह घटना एक बहुत ही कठिन इलाके में हुई, जहां नियमित रूप से भारी हिमपात होता है. यह चुमी ग्यात्से पवित्र जलप्रपात से थोड़ा आगे है. यह तवांग से लगभग 100 किमी उत्तर पूर्व में और भारत-चीन के बीच बुमला सीमा मिलन बिंदु के बहुत पूर्व में है. तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले स्थानीय मोनपा समुदाय की किंवदंतियों के अनुसार चुमी ग्यात्से में 108 झरने गुरु पद्मसंभव और बोनपा संप्रदाय के एक उच्च पुजारी के बीच एक पौराणिक तसलीम के बाद बनाए गए थे. गुरु पद्मसंभव तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे सम्मानित और पूजनीय शख्सियतों में से एक हैं, जबकि बोनपा ने पूर्व-बौद्ध काल में तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश सहित आसपास के क्षेत्रों में सर्वोच्च शासन किया था.

यह भी पढ़ें- अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आये सेना के सात जवान, रेस्क्यू जारी

दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में हिमस्खलन त्रासदी

हाल के दिनों में 18 नवंबर 2019 को सियाचिन में हिमस्खलन में आठ जवानों की मौत हो गई थी. इससे पहले फरवरी 2016 में एक और त्रासदी हुई थी जब बर्फ ने 11 भारतीय सैनिकों की जान ले ली थी. सियाचिन से अरुणाचल प्रदेश तक अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लगभग एक हजार भारतीय सैनिकों की जान चली गई है. हिमस्खलन के कारण अब तक की सबसे विनाशकारी त्रासदी 7 अप्रैल 2012 को हुई थी, जब सियाचिन के पास हिमस्खलन की चपेट में आने से लगभग 135 पाकिस्तानी सैनिक कई टन बर्फ के नीचे दबकर मारे गए थे.

नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में हिमस्खलन (Avalanche in Kameng region) की चपेट में आने के बाद पिछले दो दिन से लापता सेना के सात जवानों के शव मंगलवार को मिले. कामेंग सेक्टर में ऊंचाई पर स्थित इलाके में रविवार को हिमस्खलन के बाद लापता कर्मियों को ढूंढने के लिए सेना ने तलाश एवं बचाव अभियान शुरू किया था. एक अधिकारी ने कहा कि हिमस्खलन वाले स्थान से सभी सात कर्मियों के शव बरामद हुए हैं. दुर्भाग्यवश, अभियान में जुटे प्रत्येक व्यक्ति के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद सभी सात लोगों की मृत्यु होने की पुष्टि हुई है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने हिमस्खलन में अपनी जान गंवाने वाले सात सैन्य कर्मियों के परिवारों के लिए 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है. मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में इस बात की जानकारी दी.

  • Chief Minister @PemaKhanduBJP has announced an ex-gratia of ₹4 lakhs each from the Chief Minister’s Relief Fund (CMRF), for the next of kin of 7 brave soldiers who lost their lives serving the Nation in an avalanche in the Kameng sector.@adgpi

    — CMO Arunachal (@ArunachalCMO) February 8, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लगभग 14500 फीट की उंचाई पर इन मौतों के लिए भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. तवांग से आगे चुमी ग्यात्से को आमतौर पर सर्दियों के महीनों में गश्त नहीं किया जाता था, जब भारी बर्फ और खराब मौसम लगभग खिंचाव को काट देता था. एक सूत्र के मुताबिक जवान सालुंग जालुंग इलाके के पास एक अग्रिम चौकी के थे. शुरुआत में गश्ती दल का सिर्फ एक JAK RIF जवान बर्फ में फंस गया था. उसे बचाने की कोशिश में छह अन्य भी बर्फ की तेज गति से ढहती दीवार की चपेट में आ गए.

अरुणाचल प्रदेश के लोकसभा सांसद तपीर गाओ ने ईटीवी भारत को बताया कि यह घटना एक बहुत ही कठिन इलाके में हुई, जहां नियमित रूप से भारी हिमपात होता है. यह चुमी ग्यात्से पवित्र जलप्रपात से थोड़ा आगे है. यह तवांग से लगभग 100 किमी उत्तर पूर्व में और भारत-चीन के बीच बुमला सीमा मिलन बिंदु के बहुत पूर्व में है. तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले स्थानीय मोनपा समुदाय की किंवदंतियों के अनुसार चुमी ग्यात्से में 108 झरने गुरु पद्मसंभव और बोनपा संप्रदाय के एक उच्च पुजारी के बीच एक पौराणिक तसलीम के बाद बनाए गए थे. गुरु पद्मसंभव तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे सम्मानित और पूजनीय शख्सियतों में से एक हैं, जबकि बोनपा ने पूर्व-बौद्ध काल में तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश सहित आसपास के क्षेत्रों में सर्वोच्च शासन किया था.

यह भी पढ़ें- अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आये सेना के सात जवान, रेस्क्यू जारी

दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में हिमस्खलन त्रासदी

हाल के दिनों में 18 नवंबर 2019 को सियाचिन में हिमस्खलन में आठ जवानों की मौत हो गई थी. इससे पहले फरवरी 2016 में एक और त्रासदी हुई थी जब बर्फ ने 11 भारतीय सैनिकों की जान ले ली थी. सियाचिन से अरुणाचल प्रदेश तक अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लगभग एक हजार भारतीय सैनिकों की जान चली गई है. हिमस्खलन के कारण अब तक की सबसे विनाशकारी त्रासदी 7 अप्रैल 2012 को हुई थी, जब सियाचिन के पास हिमस्खलन की चपेट में आने से लगभग 135 पाकिस्तानी सैनिक कई टन बर्फ के नीचे दबकर मारे गए थे.

Last Updated : Feb 9, 2022, 10:48 AM IST
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