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सचिन पायलट को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर नहीं लगाई रोक

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Published : Jul 23, 2020, 7:52 AM IST

Updated : Jul 23, 2020, 3:33 PM IST

15:31 July 23

पायलट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ, एक नजर

उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की याचिका पर अपना आदेश सुनाने की राज्य के उच्च न्यायालय को गुरुवार को अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसकी व्यवस्था विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर आने वाले निर्णय के दायरे में होगी.

हालांकि, इस मामले में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी पी जोशी अपनी उन दलीलों पर शीर्ष अदालत से किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत पाने में विफल रहे, जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत उनके द्वारा की जा रही अयोग्यता की कार्यवाही से उच्च न्यायालय उन्हें रोक नहीं सकता.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे और कहा कि इन पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.

पीठ ने अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई 27 जुलाई के लिये सूचीबद्ध करते हुए कहा, 'हम उच्च न्यायालय को आदेश पारित करने से नहीं रोक रहे हैं, लेकिन यह शीर्ष अदालत में लंबित याचिका (अध्यक्ष की) के निर्णय के दायरे में होगा.'

साथ ही पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'लोकतंत्र में असहमति के स्वर दबाये नहीं जा सकते.'

विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करने की वजहें पूछते हुए पीठ ने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि क्या इस प्रक्रिया (अयोग्यता) की अनुमति है या नहीं.'

जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने की वजहें गिनाते हुए कहा कि ये विधायक पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हुए और उन्होंने अपनी ही सरकार को अस्थिर करने की साजिश की.

पीठ ने कहा, 'यह इतना आसान मामला नहीं है और ये विधायक भी निर्वाचित प्रतिनिधि हैं.'

पीठ के एक अन्य सवाल पर सिब्बल ने कहा, 'ये विधायक हरियाणा चले गये, वहां वे एक होटल में ठहरे और टीवी चैनलों को बाइट दी कि वे सदन में शक्ति परीक्षण चाहते हैं.'

उन्होंने कहा कि न्यायालय इस समय इसका संज्ञान नहीं ले सकता कि क्या अयोग्यता की प्रक्रिया की अनुमति है या नहीं.

उन्होंने कहा, 'हमारी शिकायत पूरी तरह संवैधानिक है और अध्यक्ष का फैसला होने तक कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.'

उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक अध्यक्ष से कहा जा सकता है कि वह एक समयसीमा के अंदर इसका फैसला करे, लेकिन इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता और विधायकों की अयोग्यता या निलंबन के बारे में अध्यक्ष का निर्णय होने से पहले उसके समक्ष लंबित कार्यवाही को चुनौती नहीं दी सकती.

पीठ ने सिब्बल से जानना चाहा कि क्या बैठकों में शामिल नहीं होने के कारण विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया जा सकता है और क्या इसे पार्टी के खिलाफ माना जा सकता है.

पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब सिब्बल ने कहा कि पार्टी के सभी विधायकों को बैठकों में शामिल होने के लिये पार्टी के मुख्य सचेतक ने नोटिस जारी किया था.

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही जोशी की ओर से पीठ के समक्ष दलील दी गयी कि बर्खास्त उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही करने से 24 जुलाई तक उन्हें रोकने का उच्च न्यायालय को कोई अधिकार नहीं है.

सिब्बल ने इस संबंध में 1992 के बहुचर्चित किहोतो होलोहान प्रकरण में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष द्वारा की गयी अयोग्यता की कार्यवाही में अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.

उन्होंने कहा कि न्यायालय सिर्फ उसी स्थिति में हस्तक्षेप कर सकता है जब अध्यक्ष ने सदन के किसी सदस्य को अयोग्य या निलंबित करने का फैसला ले लिया हो.

सिब्बल ने यह जवाब उस समय दिया जब पीठ ने जानना चाहा कि अगर अध्यक्ष किसी सदस्य को निलंबित या अयोग्य घोषित करता है तो क्या न्यायालय इसमें हस्तक्षेप कर सकता है.

विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने राजस्थान उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि 19 विधायकों की याचिका पर 24 जुलाई को फैसला सुनाया जायेगा और उसने अध्यक्ष से कहा कि तब तक के लिये अयोग्यता की कार्यवाही टाल दी जाए.

14:12 July 23

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर 27 जुलाई को सुनवाई.

अयोग्य ठहराने की कार्रवाई को 24 जुलाई तक रोकने के लिए कहने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.

कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं पर फैसला सुनाने से हाईकोर्ट को रोक नहीं रहे हैं.

12:38 July 23

पायलट और उनके समर्थक विधायकों को सोमवार तक राहत

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया. अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी. सोमवार तक पायलट और उनसे समर्थक विधायकों को स्पीकर निलंबित नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है. जज ने कहा कि वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्वीकृति योग्य है या नहीं. 

स्पीकर की ओर से सिब्बल ने रखा था पक्ष

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उच्च न्यायालय को कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही 24 जुलाई तक रोकने का कोई अधिकार नहीं है. इन बागी विधायकों में उप मुख्यमंत्री पद से हटाए गए सचिन पायलट भी शामिल हैं.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में एक पीठ ने जोशी की उस याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसमें शीर्ष अदालत के 1992 के किहोटो होलोहन मामले में दिए फैसले का जिक्र किया गया है. उस फैसले के अनुसार अदालत संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष द्वारा की गई अयोग्यता की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

जोशी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत तभी हस्तक्षेप कर सकती है जब अध्यक्ष सदन के किसी सदस्य को निलंबित या अयोग्य ठहराने का फैसला ले.

पीठ के उस सावाल के जवाब में सिब्बल ने यह बात कही, जिसमें उसने पूछा था कि अध्यक्ष के विधायकों को निलंबन या आयोग्य ठहराने के फैसले में अदालत हस्तक्षेप कर सकती है या नहीं.

12:32 July 23

पायलट का पक्ष साल्वे ने रखा

हरिश साल्वे ने सचिन पायलट का पक्ष रखा. साल्वे ने कहा कि हाईकोर्ट ने दो बार सुनवाई को आगे बढ़ाया. अब एक दिन बाद फैसला सुनाया जाना है, इसलिए हमें इसका इंतजार करना चाहिए. एक बार फैसला आ जाए, तो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है. मुकुल रोहतगी ने भी कहा कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाना उचित नहीं होगा. 

11:54 July 23

असंतोष को दबाया नहीं जा सकता है : कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है. आखिर वे लोग भी चुने गए प्रतिनिधि हैं. क्या उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार नहीं है.

सिब्बल- लेकिन उन्हें बताना होगा. और वे स्पीकर के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं.  

कोर्ट- क्या आप एक दिन रुक नहीं सकते हैं.  

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है. जज ने कहा कि वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्वीकृति योग्य है या नहीं. 

11:25 July 23

स्पीकर की ओर से पक्ष रख रहे हैं सिब्बल

28 साल पुराने 1992 किहोटो होलोहोन केस का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने स्पीकर पर जिस तरह की रोक लगाई है, वह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है, लेकिन उस पर समीक्षा की सुनवाई से पहले ही रोक लगाना सही नहीं है. 

11:16 July 23

हाईकोर्ट का निर्देश सही नहीं : सिब्बल

सिब्बल - कोर्ट स्पीकर को डिक्क्वॉलिफिकेशन प्रक्रिया को लेकर निर्देशित नहीं कर सकता है. 10वीं अनुसूची में साफ तौर पर इसका उल्लेख है. राजस्थान हाईकोर्ट का इस मामले में दिया गया निर्देश सही नहीं है. 

11:09 July 23

सीपी जोशी की याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी की विशेष याचिका पर सुनवाई शुरू हो चुकी है. उनकी ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अपना पक्ष रख रहे हैं. 

07:31 July 23

राजस्थान लाइव अपडेट-

जयपुर/ नई दिल्ली. पायलट नोटिस प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के आदेश को राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बुधवार को स्पीकर जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी जिस पर आज सुनवाई होगी.

शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध 23 जुलाई (बृहस्पतिवार) की कार्यसूची के अनुसार न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी.

स्पीकर जोशी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के स्पीकर को कार्यवाही से रोकने का आदेश गलत है. एसएलपी में स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के किहोतो होलां केस का हवाला देते हुए कहा गया कि कोर्ट स्पीकर के निर्णय लेने या कार्यवाही में दखल नहीं कर सकता. स्पीकर ने राजस्थान हाईकोर्ट के 21 जुलाई को दिए गए निर्णय पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है.

विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सी पी जोशी ने शीर्ष न्यायालय में दायर की गई अपनी याचिका में कहा कि न्यायपालिका से कभी भी यह अपेक्षा नहीं की गई थी कि वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करेगी, जिससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो.

पढ़ें : इंडिया आइडियाज समिट : पीएम मोदी बोले- भारत अवसरों का देश, निवेश के कई विकल्प

उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है कि संवैधानिक प्राधिकारी अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें और संविधान में प्रदत्त 'लक्ष्मण रेखा' का पालन करें. उनकी याचिका में दलील दी गई है कि संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही विधानमंडल का कामकाज है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.

सचिन पायलट गुट ने दाखिल की कैविएट

स्पीकर जोशी की ओर से एसएलपी दायर होने के बाद सचिन पायलट गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. कैविएट में यह गुहार लगाई गई है कि उनका पक्ष सुने बिना कोई एक तरफा आदेश ना जारी किया जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट का 21 जुलाई का आदेश

पायलट गुट की स्पीकर को नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट की सीजे इंद्रजीत महांति की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है. यह सुनवाई 21 जुलाई को पूरी हुई जिसपर फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने अपने 21 जुलाई के आदेश में स्पीकर सीपी जोशी से 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आग्रह किया था.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिये विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत कर रखी है. इसी शिकायत पर अध्यक्ष ने बागी विधायकों को नोटिस जारी किए थे. हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.

15:31 July 23

पायलट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ, एक नजर

उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की याचिका पर अपना आदेश सुनाने की राज्य के उच्च न्यायालय को गुरुवार को अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसकी व्यवस्था विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर आने वाले निर्णय के दायरे में होगी.

हालांकि, इस मामले में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी पी जोशी अपनी उन दलीलों पर शीर्ष अदालत से किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत पाने में विफल रहे, जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत उनके द्वारा की जा रही अयोग्यता की कार्यवाही से उच्च न्यायालय उन्हें रोक नहीं सकता.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे और कहा कि इन पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.

पीठ ने अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई 27 जुलाई के लिये सूचीबद्ध करते हुए कहा, 'हम उच्च न्यायालय को आदेश पारित करने से नहीं रोक रहे हैं, लेकिन यह शीर्ष अदालत में लंबित याचिका (अध्यक्ष की) के निर्णय के दायरे में होगा.'

साथ ही पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'लोकतंत्र में असहमति के स्वर दबाये नहीं जा सकते.'

विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करने की वजहें पूछते हुए पीठ ने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि क्या इस प्रक्रिया (अयोग्यता) की अनुमति है या नहीं.'

जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने की वजहें गिनाते हुए कहा कि ये विधायक पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हुए और उन्होंने अपनी ही सरकार को अस्थिर करने की साजिश की.

पीठ ने कहा, 'यह इतना आसान मामला नहीं है और ये विधायक भी निर्वाचित प्रतिनिधि हैं.'

पीठ के एक अन्य सवाल पर सिब्बल ने कहा, 'ये विधायक हरियाणा चले गये, वहां वे एक होटल में ठहरे और टीवी चैनलों को बाइट दी कि वे सदन में शक्ति परीक्षण चाहते हैं.'

उन्होंने कहा कि न्यायालय इस समय इसका संज्ञान नहीं ले सकता कि क्या अयोग्यता की प्रक्रिया की अनुमति है या नहीं.

उन्होंने कहा, 'हमारी शिकायत पूरी तरह संवैधानिक है और अध्यक्ष का फैसला होने तक कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.'

उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक अध्यक्ष से कहा जा सकता है कि वह एक समयसीमा के अंदर इसका फैसला करे, लेकिन इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता और विधायकों की अयोग्यता या निलंबन के बारे में अध्यक्ष का निर्णय होने से पहले उसके समक्ष लंबित कार्यवाही को चुनौती नहीं दी सकती.

पीठ ने सिब्बल से जानना चाहा कि क्या बैठकों में शामिल नहीं होने के कारण विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया जा सकता है और क्या इसे पार्टी के खिलाफ माना जा सकता है.

पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब सिब्बल ने कहा कि पार्टी के सभी विधायकों को बैठकों में शामिल होने के लिये पार्टी के मुख्य सचेतक ने नोटिस जारी किया था.

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही जोशी की ओर से पीठ के समक्ष दलील दी गयी कि बर्खास्त उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही करने से 24 जुलाई तक उन्हें रोकने का उच्च न्यायालय को कोई अधिकार नहीं है.

सिब्बल ने इस संबंध में 1992 के बहुचर्चित किहोतो होलोहान प्रकरण में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष द्वारा की गयी अयोग्यता की कार्यवाही में अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.

उन्होंने कहा कि न्यायालय सिर्फ उसी स्थिति में हस्तक्षेप कर सकता है जब अध्यक्ष ने सदन के किसी सदस्य को अयोग्य या निलंबित करने का फैसला ले लिया हो.

सिब्बल ने यह जवाब उस समय दिया जब पीठ ने जानना चाहा कि अगर अध्यक्ष किसी सदस्य को निलंबित या अयोग्य घोषित करता है तो क्या न्यायालय इसमें हस्तक्षेप कर सकता है.

विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने राजस्थान उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि 19 विधायकों की याचिका पर 24 जुलाई को फैसला सुनाया जायेगा और उसने अध्यक्ष से कहा कि तब तक के लिये अयोग्यता की कार्यवाही टाल दी जाए.

14:12 July 23

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर 27 जुलाई को सुनवाई.

अयोग्य ठहराने की कार्रवाई को 24 जुलाई तक रोकने के लिए कहने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.

कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं पर फैसला सुनाने से हाईकोर्ट को रोक नहीं रहे हैं.

12:38 July 23

पायलट और उनके समर्थक विधायकों को सोमवार तक राहत

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया. अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी. सोमवार तक पायलट और उनसे समर्थक विधायकों को स्पीकर निलंबित नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है. जज ने कहा कि वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्वीकृति योग्य है या नहीं. 

स्पीकर की ओर से सिब्बल ने रखा था पक्ष

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उच्च न्यायालय को कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही 24 जुलाई तक रोकने का कोई अधिकार नहीं है. इन बागी विधायकों में उप मुख्यमंत्री पद से हटाए गए सचिन पायलट भी शामिल हैं.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में एक पीठ ने जोशी की उस याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसमें शीर्ष अदालत के 1992 के किहोटो होलोहन मामले में दिए फैसले का जिक्र किया गया है. उस फैसले के अनुसार अदालत संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष द्वारा की गई अयोग्यता की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

जोशी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत तभी हस्तक्षेप कर सकती है जब अध्यक्ष सदन के किसी सदस्य को निलंबित या अयोग्य ठहराने का फैसला ले.

पीठ के उस सावाल के जवाब में सिब्बल ने यह बात कही, जिसमें उसने पूछा था कि अध्यक्ष के विधायकों को निलंबन या आयोग्य ठहराने के फैसले में अदालत हस्तक्षेप कर सकती है या नहीं.

12:32 July 23

पायलट का पक्ष साल्वे ने रखा

हरिश साल्वे ने सचिन पायलट का पक्ष रखा. साल्वे ने कहा कि हाईकोर्ट ने दो बार सुनवाई को आगे बढ़ाया. अब एक दिन बाद फैसला सुनाया जाना है, इसलिए हमें इसका इंतजार करना चाहिए. एक बार फैसला आ जाए, तो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है. मुकुल रोहतगी ने भी कहा कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाना उचित नहीं होगा. 

11:54 July 23

असंतोष को दबाया नहीं जा सकता है : कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है. आखिर वे लोग भी चुने गए प्रतिनिधि हैं. क्या उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार नहीं है.

सिब्बल- लेकिन उन्हें बताना होगा. और वे स्पीकर के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं.  

कोर्ट- क्या आप एक दिन रुक नहीं सकते हैं.  

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है. जज ने कहा कि वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्वीकृति योग्य है या नहीं. 

11:25 July 23

स्पीकर की ओर से पक्ष रख रहे हैं सिब्बल

28 साल पुराने 1992 किहोटो होलोहोन केस का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने स्पीकर पर जिस तरह की रोक लगाई है, वह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है, लेकिन उस पर समीक्षा की सुनवाई से पहले ही रोक लगाना सही नहीं है. 

11:16 July 23

हाईकोर्ट का निर्देश सही नहीं : सिब्बल

सिब्बल - कोर्ट स्पीकर को डिक्क्वॉलिफिकेशन प्रक्रिया को लेकर निर्देशित नहीं कर सकता है. 10वीं अनुसूची में साफ तौर पर इसका उल्लेख है. राजस्थान हाईकोर्ट का इस मामले में दिया गया निर्देश सही नहीं है. 

11:09 July 23

सीपी जोशी की याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी की विशेष याचिका पर सुनवाई शुरू हो चुकी है. उनकी ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अपना पक्ष रख रहे हैं. 

07:31 July 23

राजस्थान लाइव अपडेट-

जयपुर/ नई दिल्ली. पायलट नोटिस प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के आदेश को राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बुधवार को स्पीकर जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी जिस पर आज सुनवाई होगी.

शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध 23 जुलाई (बृहस्पतिवार) की कार्यसूची के अनुसार न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी.

स्पीकर जोशी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के स्पीकर को कार्यवाही से रोकने का आदेश गलत है. एसएलपी में स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के किहोतो होलां केस का हवाला देते हुए कहा गया कि कोर्ट स्पीकर के निर्णय लेने या कार्यवाही में दखल नहीं कर सकता. स्पीकर ने राजस्थान हाईकोर्ट के 21 जुलाई को दिए गए निर्णय पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है.

विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सी पी जोशी ने शीर्ष न्यायालय में दायर की गई अपनी याचिका में कहा कि न्यायपालिका से कभी भी यह अपेक्षा नहीं की गई थी कि वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करेगी, जिससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो.

पढ़ें : इंडिया आइडियाज समिट : पीएम मोदी बोले- भारत अवसरों का देश, निवेश के कई विकल्प

उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है कि संवैधानिक प्राधिकारी अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें और संविधान में प्रदत्त 'लक्ष्मण रेखा' का पालन करें. उनकी याचिका में दलील दी गई है कि संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही विधानमंडल का कामकाज है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.

सचिन पायलट गुट ने दाखिल की कैविएट

स्पीकर जोशी की ओर से एसएलपी दायर होने के बाद सचिन पायलट गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. कैविएट में यह गुहार लगाई गई है कि उनका पक्ष सुने बिना कोई एक तरफा आदेश ना जारी किया जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट का 21 जुलाई का आदेश

पायलट गुट की स्पीकर को नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट की सीजे इंद्रजीत महांति की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है. यह सुनवाई 21 जुलाई को पूरी हुई जिसपर फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने अपने 21 जुलाई के आदेश में स्पीकर सीपी जोशी से 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आग्रह किया था.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिये विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत कर रखी है. इसी शिकायत पर अध्यक्ष ने बागी विधायकों को नोटिस जारी किए थे. हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.

Last Updated : Jul 23, 2020, 3:33 PM IST
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