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विशेष: हैकर्स के निशाने पर कॉर्पोरेट सेक्टर, लगा रहे करोड़ों का चूना - Email forwarder

कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई विभिन्न कंपनियों को इन दिनों साइबर हैकर अपने निशाने पर ले रहे हैं. इसका कंपनियों को पता भी नहीं चलता और उन्हें एक बार में ही लाखों का नुकसान हो जाता है. सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान राजस्थान में इन दिनों साइबर हैकर्स की ओर से की जा रही एक नई तरह की ठगी के बारे में जानकारी दी. देखिए पूरी रिपोर्ट...

Hacking in Corporate Sector
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Published : Jun 22, 2020, 6:13 PM IST

जयपुर: यदि आप कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े हुए हैं और दिन रात ई-मेल के जरिए कंपनी से जुड़े हुए महत्वपूर्ण डाटा, इन वॉइस, बिल भेजने के या अन्य काम करते हैं, तो सावधान हो जाएं. यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. साइबर हैकर्स अब राजस्थान में कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई विभिन्न कंपनियों को एक नई तरीके से अपना शिकार बना रहे हैं.

कंपनियों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ उनकी प्रतिष्ठा को भी गिराने का काम हैकर्स कर रहे हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई विभिन्न कंपनियों को उनके साथ होने वाली इस ठगी का अहसास भी नहीं होता है और जब उन्हें इस ठगी का पता चलता है, तब तक उन्हें काफी घाटा हो चुका होता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई कंपनियों के लिए आईटी सिक्योरिटी ऑडिट और साइबर सिक्योरिटी ऑडिट करने वाले साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नई तरह की ठगी के बारे में जानकारी दी.

ये भी पढ़ें- अजमेर: शातिर ठग ने पहले महिला को प्रेम जाल में फंसाया, फिर खाते से उड़ा दिए 16 लाख रुपये

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन ने बताया कि साइबर हैकर विभिन्न कॉर्पोरेट सेक्टर कंपनियों के ई-मेल पर फॉरवर्डर लगाकर ठगी की बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. राजस्थान में भी ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं. वहीं, लोगों की सूझबूझ के चलते भी साइबर हैकर अनेक वारदातों विफल भी हुए हैं.

क्या है मेल फॉरवर्डर
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि साइबर हैकर किसी भी कंपनी के ई-मेल आईडी में फॉरवर्डर लगाकर उस कंपनी की पूरी ई-मेल आईडी को अपनी ई-मेल आईडी पर फॉरवर्ड कर लेता है. ऐसा करने पर साइबर हैकर को कंपनी के ई-मेल अकाउंट पर आने वाले तमाम मेल प्राप्त हो जाते हैं. मेल पर आने वाले कंपनी से संबंधित महत्वपूर्ण डाटा, बिल या इन वॉइस को हैकर अपने अनुसार बदल सकता है.

कंपनी से जुड़े हुए क्लाइंट को हैकर इन वॉइस या बिल में खुद का बैंक अकाउंट लिखकर मेल कर सकता है और हैकर की ओर से की गई मेल कंपनी के ही ईमेल अकाउंट से क्लाइंट को प्राप्त होती है. ऐसे में क्लाइंट को भी कोई शक नहीं होता है और फिर वह हैकर की ओर से बताए गए बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपये का ट्रांजेक्शन कर देता है.

ई-मेल सिक्योरिटी में लापरवाही साइबर हैकर को आमंत्रण
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि ई-मेल के सिक्योरिटी ऑप्शन में कंपनी की ओर से बरते जाने वाली लापरवाही के चलते ही साइबर हैकर बड़ी आसानी से कंपनियों की ईमेल आईडी को फॉरवर्डर लगाकर हैक कर लेते हैं. ई-मेल के सिक्योरिटी ऑप्शन में ऐसे कई विकल्प होते हैं जिसे जानकारी के अभाव के चलते कंपनी डिसेबल रखती है.

इसके साथ ही कंपनियों के सिस्टम में जो एंटी वायरस इंस्टॉल होता है, उसे भी डिसेबल रखा जाता है. इसके चलते कंपनी का ई-मेल अकाउंट हाई रिस्क पर होता है और बड़ी आसानी से साइबर हैकर उसे हैक कर लेते हैं. राजधानी जयपुर की अनेक कंपनियों को साइबर हैकर की ओर से अब तक करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा चुका है. हालांकि, कंपनियां अपना नाम खराब होने के डर के चलते उनके साथ होने वाली इस तरह की ठगी की वारदातों को सार्वजनिक नहीं होने देती हैं.

क्लाइंट की सूझबूझ के चलते साइबर हैकर के मंसूबों पर फिरा पानी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि हाल ही में एक नामी कंपनी की ई-मेल पर फॉरवर्डर लगाकर साइबर हैकर ने उसे हैक कर लिया. इस दौरान कंपनी की ओर से विदेश में एक क्लाइंट को 38 लाख रुपये का एक इनवॉइस भेजा गया और इनवॉइस में कंपनी के बैंक खातों की जानकारी भेजी गई.

कंपनी के ई-मेल से क्लाइंट को मेल होने के तुरंत बाद ही हैकर ने कंपनी के क्लाइंट को एक दूसरा मेल करते हुए नया इनवॉइस भेजा. उसमें उसने खुद के बैंक अकाउंट की डिटेल भेजते हुए कंपनी की ओर से भेजे गए पहले इन वॉइस के स्थान पर दूसरे इन वॉइस में भेजे गए बैंक अकाउंट में पेमेंट जमा कराने को कहा.

हालांकि, क्लाइंट ने हैकर की ओर से भेजे गए बैंक खाते में पेमेंट जमा कराने से पहले कंपनी के पदाधिकारियों से संपर्क कर नए इनवॉइस और बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी ली. इसके बाद कंपनी को उनका ई-मेल अकाउंट हैक होने का पता चला.

ऐसे बचें साइबर हैकर के निशाने से
साइबर सिक्योरिटी एक्सपोर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि साइबर हैकर की ओर से की जा रही इनवॉइस ठगी से बचने के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर और तमाम कंपनियों को ई-मेल सिक्योरिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही प्रत्येक कंप्यूटर सिस्टम में एंटी वायरस को डिसएबल न कर इनेबल रखें. वहीं, पायरेटेड एंटीवायरस कंप्यूटर में इंस्टॉल ना करें, ऐसे पायरेटेड एंटी वायरस क्रैश हो जाते हैं और वह भी साइबर हैकर को बुलावा देते हैं.

पढ़ें-जागते रहो : साइबर अपराधियों के लिए आपको पीड़ित करने का नया तरीका 'जूस जैकिंग'

जयपुर: यदि आप कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े हुए हैं और दिन रात ई-मेल के जरिए कंपनी से जुड़े हुए महत्वपूर्ण डाटा, इन वॉइस, बिल भेजने के या अन्य काम करते हैं, तो सावधान हो जाएं. यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. साइबर हैकर्स अब राजस्थान में कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई विभिन्न कंपनियों को एक नई तरीके से अपना शिकार बना रहे हैं.

कंपनियों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ उनकी प्रतिष्ठा को भी गिराने का काम हैकर्स कर रहे हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई विभिन्न कंपनियों को उनके साथ होने वाली इस ठगी का अहसास भी नहीं होता है और जब उन्हें इस ठगी का पता चलता है, तब तक उन्हें काफी घाटा हो चुका होता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई कंपनियों के लिए आईटी सिक्योरिटी ऑडिट और साइबर सिक्योरिटी ऑडिट करने वाले साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नई तरह की ठगी के बारे में जानकारी दी.

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साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन ने बताया कि साइबर हैकर विभिन्न कॉर्पोरेट सेक्टर कंपनियों के ई-मेल पर फॉरवर्डर लगाकर ठगी की बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. राजस्थान में भी ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं. वहीं, लोगों की सूझबूझ के चलते भी साइबर हैकर अनेक वारदातों विफल भी हुए हैं.

क्या है मेल फॉरवर्डर
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि साइबर हैकर किसी भी कंपनी के ई-मेल आईडी में फॉरवर्डर लगाकर उस कंपनी की पूरी ई-मेल आईडी को अपनी ई-मेल आईडी पर फॉरवर्ड कर लेता है. ऐसा करने पर साइबर हैकर को कंपनी के ई-मेल अकाउंट पर आने वाले तमाम मेल प्राप्त हो जाते हैं. मेल पर आने वाले कंपनी से संबंधित महत्वपूर्ण डाटा, बिल या इन वॉइस को हैकर अपने अनुसार बदल सकता है.

कंपनी से जुड़े हुए क्लाइंट को हैकर इन वॉइस या बिल में खुद का बैंक अकाउंट लिखकर मेल कर सकता है और हैकर की ओर से की गई मेल कंपनी के ही ईमेल अकाउंट से क्लाइंट को प्राप्त होती है. ऐसे में क्लाइंट को भी कोई शक नहीं होता है और फिर वह हैकर की ओर से बताए गए बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपये का ट्रांजेक्शन कर देता है.

ई-मेल सिक्योरिटी में लापरवाही साइबर हैकर को आमंत्रण
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि ई-मेल के सिक्योरिटी ऑप्शन में कंपनी की ओर से बरते जाने वाली लापरवाही के चलते ही साइबर हैकर बड़ी आसानी से कंपनियों की ईमेल आईडी को फॉरवर्डर लगाकर हैक कर लेते हैं. ई-मेल के सिक्योरिटी ऑप्शन में ऐसे कई विकल्प होते हैं जिसे जानकारी के अभाव के चलते कंपनी डिसेबल रखती है.

इसके साथ ही कंपनियों के सिस्टम में जो एंटी वायरस इंस्टॉल होता है, उसे भी डिसेबल रखा जाता है. इसके चलते कंपनी का ई-मेल अकाउंट हाई रिस्क पर होता है और बड़ी आसानी से साइबर हैकर उसे हैक कर लेते हैं. राजधानी जयपुर की अनेक कंपनियों को साइबर हैकर की ओर से अब तक करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा चुका है. हालांकि, कंपनियां अपना नाम खराब होने के डर के चलते उनके साथ होने वाली इस तरह की ठगी की वारदातों को सार्वजनिक नहीं होने देती हैं.

क्लाइंट की सूझबूझ के चलते साइबर हैकर के मंसूबों पर फिरा पानी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि हाल ही में एक नामी कंपनी की ई-मेल पर फॉरवर्डर लगाकर साइबर हैकर ने उसे हैक कर लिया. इस दौरान कंपनी की ओर से विदेश में एक क्लाइंट को 38 लाख रुपये का एक इनवॉइस भेजा गया और इनवॉइस में कंपनी के बैंक खातों की जानकारी भेजी गई.

कंपनी के ई-मेल से क्लाइंट को मेल होने के तुरंत बाद ही हैकर ने कंपनी के क्लाइंट को एक दूसरा मेल करते हुए नया इनवॉइस भेजा. उसमें उसने खुद के बैंक अकाउंट की डिटेल भेजते हुए कंपनी की ओर से भेजे गए पहले इन वॉइस के स्थान पर दूसरे इन वॉइस में भेजे गए बैंक अकाउंट में पेमेंट जमा कराने को कहा.

हालांकि, क्लाइंट ने हैकर की ओर से भेजे गए बैंक खाते में पेमेंट जमा कराने से पहले कंपनी के पदाधिकारियों से संपर्क कर नए इनवॉइस और बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी ली. इसके बाद कंपनी को उनका ई-मेल अकाउंट हैक होने का पता चला.

ऐसे बचें साइबर हैकर के निशाने से
साइबर सिक्योरिटी एक्सपोर्ट सचिन शर्मा ने बताया कि साइबर हैकर की ओर से की जा रही इनवॉइस ठगी से बचने के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर और तमाम कंपनियों को ई-मेल सिक्योरिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही प्रत्येक कंप्यूटर सिस्टम में एंटी वायरस को डिसएबल न कर इनेबल रखें. वहीं, पायरेटेड एंटीवायरस कंप्यूटर में इंस्टॉल ना करें, ऐसे पायरेटेड एंटी वायरस क्रैश हो जाते हैं और वह भी साइबर हैकर को बुलावा देते हैं.

पढ़ें-जागते रहो : साइबर अपराधियों के लिए आपको पीड़ित करने का नया तरीका 'जूस जैकिंग'

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