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यादगार सैर : 1960-70 के दशक में लंदन-कोलकाता के बीच चलती थी अल्बर्ट बस

8 अक्टूबर 1968 को अल्बर्ट बस ने पहली यात्रा की थी. बस ने कोलकाता-लंदन मार्ग पर 15 बार और लंदन-सिडनी मार्ग पर 4 बार यात्रा की. यह दुनिया के सबसे बड़े बस मार्गों में से एक है.अल्बर्ट बस लगभग 150 सीमाओं को पार करके लंदन से कोलकाता आती थी.

trips between london to kolkata
लंदन-कोलकाता के लिए चलती थी बस
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Published : Jul 2, 2020, 6:28 PM IST

कोलकाता : 1960 के दशक में एक डबल डेकर अल्बर्ट बस विभिन्न देशों की लगभग 150 सीमाओं को पार कर लंदन से कोलकाता आती थी. यह दुनिया के सबसे बड़े बस मार्गों में से एक है. बस का किराया 85 पाउंड था. बस ऑस्ट्रिया, इस्तांबुल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होकर आती थी और लघभग डेढ़ महीने में कोलकाता पहुंचती थी.

पहली कवायद
15 अप्रैल, 1957 को ब्रिटेन, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच परिवहन सेवाएं शुरू करने के लिए योजनाएं बनाई गईं थीं. पहले, यह सेवा कुछ शहरों तक सीमित थी. 8 अक्टूबर, 1968 को अल्बर्ट बस का मार्ग दुनिया के सबसे बड़े परिवहन मार्ग में बदल गया. डबल डेकर बस ने सिडनी में मार्टिन प्लेस जनरल पोस्ट ऑफिस के सामने अपनी पहली यात्रा की. इसमें 132 दिन लगे. 17 फरवरी 1969 को बस लंदन पहुंची. उस सफल यात्रा के बाद अल्बर्ट ने लगभग 15 यात्राएं कीं.

विभिन्न देशों की 150 सीमाएं
अल्बर्ट का सबसे लंबा मार्ग ब्रिटेन, भारत और ऑस्ट्रेलिया था. इसने यात्रा के दौरान विभिन्न देशों की 150 सीमाओं को पार किया. बस जर्मनी, ऑस्ट्रिया या पेरिस और वेनिस के रास्ते बेलग्रेड पहुंची. वहां से इस्तांबुल, सैमसन, ट्राबजोन, टाबरिज के रास्ते तुर्की पहुंची. वहां से तेहरान (ईरान) तक पहुंची. उसके बाद बस ने काबुल होते हुए हेरात (अफगानिस्तान) और पेशावर व लाहौर (पाकिस्तान) का रूट पकड़ा. फिर अमृतसर के रास्ते दिल्ली पहुंची. आखिरी बस दिल्ली से कोलकाता के लिए थी. बाद में, बस कभी-कभी बर्मा, थाईलैंड और मलेशिया के मार्गों के साथ चलती थी.

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बस में मनोरंजन की पूरी व्यवस्था

पढ़े : कर्नाटक: 17 जून से शुरू होगी अंतरराज्यीय बस सेवा

8 अक्टूबर 1968 को पहली यात्रा
बस ने पहली बार 8 अक्टूबर 1968 को यात्रा की थी. बस ने कोलकाता-लंदन मार्ग पर 15 बार और लंदन-सिडनी मार्ग पर 4 बार यात्राएं कीं. बस सेवा शुरू करने के बाद, लंदन, कोलकाता और सिडनी के बीच एक कार्यक्रम बनाया गया था. यात्रा संख्या 4,5,6,7,8,9,10 सिडनी जाने के लिए और यात्रा संख्या 11 सिडनी से लंदन लौटने के लिए. इसके साथ ही, 12, 13, 14 और 15 की यात्राएं लंदन और कोलकाता के बीच थीं.

बाद में, 12,13,14,15 के अलावा, लंदन-कोलकाता की 11 और यात्राएं शुरू हुईं थी. शेड्यूल के अनुसार बस 1970 में खैबर रूट से अफगानिस्तान के रास्ते तीसरी यात्रा पर सिडनी से लंदन के लिए रवाना हुई थी. 25 जुलाई 1972 को बस लंदन से रवाना हुई थी, जिसके 49 दिन बाद यात्री 11 सितंबर को कोलकाता पहुंचे थे. बस ने 14 नवंबर 1973 को लंदन से अपनी यात्रा शुरू की और 31 दिसंबर को कोलकाता पहुंची थी. यात्रियों ने 17 अप्रैल 1973 को लंदन से अपनी यात्रा शुरू की और उसी वर्ष 4 जून को कोलकाता पहुंचे थे. आखिरी बार अल्बर्ट सिडनी से 1976 से निकली थी.

मनोरंजन की पूरी व्यवस्था
लंदन से कोलकाता तक का किराया 85 पाउंड था, जो भारतीय मुद्रा में 7,889 रुपये थे. इस बस में यात्रियों के लंबी यात्रा पर थकान से बचने के लिए, पढ़ने के लिए कमरा, भोजन कक्ष और ऊपर सोने के लिए जगह थी. मनोरंजन की पूरी व्यवस्था के साथ-साथ पंखे हीटर भी थे. बस में रेडियो और टेप जैसे म्यूजिक सिस्टम दिए गए थे. फॉरेनर के लिए पार्टी करने की जगह थी.

लंबे समय तक सेवा प्रदान करने के बाद एक दुर्घटना हो गई. अल्बर्ट के शानदार बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया था. सबसे लंबे रूट की बस यात्रा को रोक दिया गया. यह अफवाह थी कि एंडी स्टीवर्ट नाम के एक ब्रिटिश यात्री ने बाद में जर्जर अल्बर्ट को खरीद लिया. उन्होंने एक बार बस की मरम्मत भी की और यात्रा करने की कोशिश की. हालांकि, इसके बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं मिली.

कोलकाता : 1960 के दशक में एक डबल डेकर अल्बर्ट बस विभिन्न देशों की लगभग 150 सीमाओं को पार कर लंदन से कोलकाता आती थी. यह दुनिया के सबसे बड़े बस मार्गों में से एक है. बस का किराया 85 पाउंड था. बस ऑस्ट्रिया, इस्तांबुल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होकर आती थी और लघभग डेढ़ महीने में कोलकाता पहुंचती थी.

पहली कवायद
15 अप्रैल, 1957 को ब्रिटेन, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच परिवहन सेवाएं शुरू करने के लिए योजनाएं बनाई गईं थीं. पहले, यह सेवा कुछ शहरों तक सीमित थी. 8 अक्टूबर, 1968 को अल्बर्ट बस का मार्ग दुनिया के सबसे बड़े परिवहन मार्ग में बदल गया. डबल डेकर बस ने सिडनी में मार्टिन प्लेस जनरल पोस्ट ऑफिस के सामने अपनी पहली यात्रा की. इसमें 132 दिन लगे. 17 फरवरी 1969 को बस लंदन पहुंची. उस सफल यात्रा के बाद अल्बर्ट ने लगभग 15 यात्राएं कीं.

विभिन्न देशों की 150 सीमाएं
अल्बर्ट का सबसे लंबा मार्ग ब्रिटेन, भारत और ऑस्ट्रेलिया था. इसने यात्रा के दौरान विभिन्न देशों की 150 सीमाओं को पार किया. बस जर्मनी, ऑस्ट्रिया या पेरिस और वेनिस के रास्ते बेलग्रेड पहुंची. वहां से इस्तांबुल, सैमसन, ट्राबजोन, टाबरिज के रास्ते तुर्की पहुंची. वहां से तेहरान (ईरान) तक पहुंची. उसके बाद बस ने काबुल होते हुए हेरात (अफगानिस्तान) और पेशावर व लाहौर (पाकिस्तान) का रूट पकड़ा. फिर अमृतसर के रास्ते दिल्ली पहुंची. आखिरी बस दिल्ली से कोलकाता के लिए थी. बाद में, बस कभी-कभी बर्मा, थाईलैंड और मलेशिया के मार्गों के साथ चलती थी.

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बस में मनोरंजन की पूरी व्यवस्था

पढ़े : कर्नाटक: 17 जून से शुरू होगी अंतरराज्यीय बस सेवा

8 अक्टूबर 1968 को पहली यात्रा
बस ने पहली बार 8 अक्टूबर 1968 को यात्रा की थी. बस ने कोलकाता-लंदन मार्ग पर 15 बार और लंदन-सिडनी मार्ग पर 4 बार यात्राएं कीं. बस सेवा शुरू करने के बाद, लंदन, कोलकाता और सिडनी के बीच एक कार्यक्रम बनाया गया था. यात्रा संख्या 4,5,6,7,8,9,10 सिडनी जाने के लिए और यात्रा संख्या 11 सिडनी से लंदन लौटने के लिए. इसके साथ ही, 12, 13, 14 और 15 की यात्राएं लंदन और कोलकाता के बीच थीं.

बाद में, 12,13,14,15 के अलावा, लंदन-कोलकाता की 11 और यात्राएं शुरू हुईं थी. शेड्यूल के अनुसार बस 1970 में खैबर रूट से अफगानिस्तान के रास्ते तीसरी यात्रा पर सिडनी से लंदन के लिए रवाना हुई थी. 25 जुलाई 1972 को बस लंदन से रवाना हुई थी, जिसके 49 दिन बाद यात्री 11 सितंबर को कोलकाता पहुंचे थे. बस ने 14 नवंबर 1973 को लंदन से अपनी यात्रा शुरू की और 31 दिसंबर को कोलकाता पहुंची थी. यात्रियों ने 17 अप्रैल 1973 को लंदन से अपनी यात्रा शुरू की और उसी वर्ष 4 जून को कोलकाता पहुंचे थे. आखिरी बार अल्बर्ट सिडनी से 1976 से निकली थी.

मनोरंजन की पूरी व्यवस्था
लंदन से कोलकाता तक का किराया 85 पाउंड था, जो भारतीय मुद्रा में 7,889 रुपये थे. इस बस में यात्रियों के लंबी यात्रा पर थकान से बचने के लिए, पढ़ने के लिए कमरा, भोजन कक्ष और ऊपर सोने के लिए जगह थी. मनोरंजन की पूरी व्यवस्था के साथ-साथ पंखे हीटर भी थे. बस में रेडियो और टेप जैसे म्यूजिक सिस्टम दिए गए थे. फॉरेनर के लिए पार्टी करने की जगह थी.

लंबे समय तक सेवा प्रदान करने के बाद एक दुर्घटना हो गई. अल्बर्ट के शानदार बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया था. सबसे लंबे रूट की बस यात्रा को रोक दिया गया. यह अफवाह थी कि एंडी स्टीवर्ट नाम के एक ब्रिटिश यात्री ने बाद में जर्जर अल्बर्ट को खरीद लिया. उन्होंने एक बार बस की मरम्मत भी की और यात्रा करने की कोशिश की. हालांकि, इसके बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं मिली.

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