नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में कई स्थानों के नाम बदलने को लेकर आलोचकों के निशाने पर रही भाजपा सरकार अब असम में भी ऐसा ही करने की तैयारी कर रही है. भाजपा शासित प्रदेश असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि उत्तर-पूर्वी राज्य की संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप असम में कई स्थानों के नाम बदले जाएंगे.
बुधवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक ट्वीट कर कहा, असम के कई स्थानों के नाम उत्तर-पूर्वी राज्य की संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप बदल दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा, नाम में बहुत कुछ है. किसी शहर, कस्बे या गांव के नाम को वहां की संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करना चाहिए.'
सरमा ने बताया कि पूरे असम में नाम बदलने पर सुझाव आमंत्रित करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता, संस्कृति के विपरीत और किसी भी जाति या समुदाय के लिए अपमानजनक नामों को बदला जाएगा.
गौरतलब है कि मंगलवार को, असम के मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी में दूसरे मेडिकल कॉलेज के लिए भूमिपूजन कार्यक्रम में कहा था कि कालाफर और असम के अन्य कस्बों और गांवों सहित कुछ स्थानों का नाम बदला जाएगा. उन्होंने कहा कि असम में कई जगहों के नाम हैं जिसे बोलने में लोग असहज महसूस करते हैं. कुछ समुदायों के लिए ऐसे नाम अपमानजनक भी दिखते हैं. इसलिए, इन्हें बदलने की जरूरत है.
सरमा ने असम के कालापहाड़ का उदाहरण देते हुए कहा था, कालापहाड़ ने कामाख्या मंदिर को नष्ट कर दिया था. मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि किसी शहर का नाम कालाफर (Kalaphar) क्यों रखा जाए ? उन्होंने कहा कि लोगों के साथ उचित परामर्श के बाद इस नाम को बदला जाना चाहिए.
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बता दें कि सितंबर, 2021 में, असम कैबिनेट ने राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर ओरंग राष्ट्रीय उद्यान () रखा था. इस घटनाक्रम पर एक बड़ा विवाद हुआ था. इसके बैकग्राउंड के बारे में सरमा ने कहा था कि चाय जनजाति समुदाय के लोगों ने नाम बदलने का अनुरोध किया था. बाद में, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि असम में राजनीतिक नेताओं के नाम पर राष्ट्रीय उद्यानों का नामकरण करने की कोई परंपरा नहीं थी, लेकिन कांग्रेस ने 2000 की शुरुआत में इस परंपरा को तोड़ा था.
गौरतलब है कि जनवरी, 2021 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदलने का मुद्दा भी सुर्खियों में था. औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर किए जाने को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी देखी गई थीं. विवाद के मद्देनजर रेलवे पुलिस बल ने शहर के रेलवे स्टेशन की सुरक्षा बढ़ानी पड़ी थी.
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जनवरी, 2020 में कर्नाटक के रामनगर जिले का नाम बदलकर नवा बेंगलुरु करने की बात सामने आई थी. हालांकि, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने रामनगर जिले का नाम बदलने संबंधित खबरों का खंडन किया था. रामनगर का नाम बदलने की योजना का उद्देश्य जिले में निवेश आकर्षित करने के लिए ब्रांड बेंगलुरु का इस्तेमाल करना है. यह जिला आईटी शहर के पास स्थित है. रामनगर बेंगलुरु से करीब 58 किलोमीटर दूर स्थित है. इसे 2007 में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार ने बेंगलुरु ग्रामीण जिले से काटकर बनाया था.
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(एजेंसी)