संस्कृति पर भारी पड़ी आधुनिक जमाने की चकाचौंध! मिट्टी से बने दीयों की खरीददारी हुई कम
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दीये को दिवाली के प्रतीक के रूप में माना जाता है. दीये के बिना त्योहार नहीं मनाया जा सकता, लेकिन आज इलेक्ट्रोनिक सामान को दीये की शक्ल दे दिए जाने से मिट्टी के दीयों की मांग कम हुई है. इससे कुम्हार का पारंपरिक व्यवसाय तो प्रभावित हुआ ही है और साथ ही उसकी दीपावली भी फीकी हुई है.