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यमुनानगर में महिला सुरक्षा का रियलिटी चेक, छात्राएं बोलीं- सेफ महसूस नहीं करते

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Published : Jan 5, 2020, 1:07 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 2:57 PM IST

यमुनानागर में छात्राएं कितनी सुरक्षित हैं. ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने छात्राओं से बातचीत की और उनकी राय जानी, लेकिन दुख की बात ये है कि ज्यादातर छात्राओं का कहना है कि वो असुरक्षित महसूस करती हैं.

yamunanagar  reality check for  women safety
प्रतिकात्मक फोटो

यमुनानगर: हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत से पूरा देश शर्मसार है. कब रुकेंगी ऐसी घटनाएं? कब महिलाएं अपने आप को देश में पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करेगीं? हालांकि सरकार ने महिला सुरक्षा पर कानून तो बना दिए गए हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं के खिलाफ अपराध कम होने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं.

ईटीवी भारत की महिला सुरक्षा पर पड़ताल

प्रदेश में कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं, इसी का सच जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने यमुनानगर जिले की छात्राओं से बातचीत की और उनकी राय जानने की कोशिश की, लेकिन दुख की बात ये है कि ज्यादातर छात्राओं का कहना है कि वो खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं.

यमुनानगर में महिला सुरक्षा का रियलिटी चेक, देखें वीडियो

हमारी टीम ने यमुनानगर के कुछ कॉलेजों की छात्राओं से बात की. छात्राओं को रोजाना उनको घर से शिक्षा के लिए बाहर निकलना पड़ता है और ऐसे में वो अपने आप को कितना सेफ महसूस करती हैं. हमने जानने की कोशिश की. लेकिन ज्यादातर छात्राओं का कहा है कि उनके परिवार वाले आज भी अंधेरे में बाहर निकलने से मना करते हैं.

'घर से बाहर निकलने के लिए लेना पड़ता है सहारा'

कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा मानसी का कहना है कि महिलाएं सुरक्षित नहीं है. आज भी बाहर आने जाने के लिए पिता और भाई का सहारा लेना पड़ता है और अगर कहीं उनके साथ कोई बात हो भी जाए तो लोग हेल्प भी नहीं करते हैं.

मानसी से पूछा गया, क्या उनके कॉलेज के बाहर पुलिस की पीसीआर तैनात रहती है? इस सवाल के जवाब में मानसी का कहना था कि रोजाना तो पीसीआर नहीं आती है, कभी-कभी जरूर दिखती है.

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

एक निजी कॉलेज की महिला प्रोफेसर का कहना है कि निर्भया कांड जैसी घटनाएं जब होती हैं तो कुछ दिन तो बहुत शोर किया जाता है, लेकिन उसके बाद सब शांत होकर बैठ जाते हैं. उसके बाद दोबारा कोई ऐसा केस आता है तो फिर से वही सब किया जाता है.

उन्होंने कहा कि स्थाई रूप से ऐसी चीजों का हल निकाला जाना चाहिए. उनका कहना है कि वो दिन कब आएगा, जब लड़कियां जैसे अपने आप को घर के अंदर सुरक्षित महसूस करती हैं वैसे ही घर के बाहर सुरक्षित महसूस करें.

उन्होंने बताया कि उनके कॉलेज के बाहर छुट्टी के टाइम एक बाइक पर चार-चार लड़के घूमते हैं, लेकिन कहीं भी कोई भी उनकी चेकिंग नहीं करता.

'महिला अपराधों पर सतर्क'

महिला थाने की डीएसपी सुरिंदर कौर का कहना है कि वो महिलाओं के प्रति अपराधों को लेकर काफी सतर्क हैं. जैसे ही कोई मामला आता है, तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाता है. ईटीवी भारत की टीम ने इस पड़ताल में पाया गया कि यमुनानगर में भी महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं और वो पुलिस की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं.

ये भी पढ़ें- महिलाओं को लेकर हरियाणा कितना गंभीर? मुसीबत के वक्त महिलाओं की सुरक्षा राम भरोसे!

यमुनानगर: हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत से पूरा देश शर्मसार है. कब रुकेंगी ऐसी घटनाएं? कब महिलाएं अपने आप को देश में पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करेगीं? हालांकि सरकार ने महिला सुरक्षा पर कानून तो बना दिए गए हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं के खिलाफ अपराध कम होने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं.

ईटीवी भारत की महिला सुरक्षा पर पड़ताल

प्रदेश में कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं, इसी का सच जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने यमुनानगर जिले की छात्राओं से बातचीत की और उनकी राय जानने की कोशिश की, लेकिन दुख की बात ये है कि ज्यादातर छात्राओं का कहना है कि वो खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं.

यमुनानगर में महिला सुरक्षा का रियलिटी चेक, देखें वीडियो

हमारी टीम ने यमुनानगर के कुछ कॉलेजों की छात्राओं से बात की. छात्राओं को रोजाना उनको घर से शिक्षा के लिए बाहर निकलना पड़ता है और ऐसे में वो अपने आप को कितना सेफ महसूस करती हैं. हमने जानने की कोशिश की. लेकिन ज्यादातर छात्राओं का कहा है कि उनके परिवार वाले आज भी अंधेरे में बाहर निकलने से मना करते हैं.

'घर से बाहर निकलने के लिए लेना पड़ता है सहारा'

कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा मानसी का कहना है कि महिलाएं सुरक्षित नहीं है. आज भी बाहर आने जाने के लिए पिता और भाई का सहारा लेना पड़ता है और अगर कहीं उनके साथ कोई बात हो भी जाए तो लोग हेल्प भी नहीं करते हैं.

मानसी से पूछा गया, क्या उनके कॉलेज के बाहर पुलिस की पीसीआर तैनात रहती है? इस सवाल के जवाब में मानसी का कहना था कि रोजाना तो पीसीआर नहीं आती है, कभी-कभी जरूर दिखती है.

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

एक निजी कॉलेज की महिला प्रोफेसर का कहना है कि निर्भया कांड जैसी घटनाएं जब होती हैं तो कुछ दिन तो बहुत शोर किया जाता है, लेकिन उसके बाद सब शांत होकर बैठ जाते हैं. उसके बाद दोबारा कोई ऐसा केस आता है तो फिर से वही सब किया जाता है.

उन्होंने कहा कि स्थाई रूप से ऐसी चीजों का हल निकाला जाना चाहिए. उनका कहना है कि वो दिन कब आएगा, जब लड़कियां जैसे अपने आप को घर के अंदर सुरक्षित महसूस करती हैं वैसे ही घर के बाहर सुरक्षित महसूस करें.

उन्होंने बताया कि उनके कॉलेज के बाहर छुट्टी के टाइम एक बाइक पर चार-चार लड़के घूमते हैं, लेकिन कहीं भी कोई भी उनकी चेकिंग नहीं करता.

'महिला अपराधों पर सतर्क'

महिला थाने की डीएसपी सुरिंदर कौर का कहना है कि वो महिलाओं के प्रति अपराधों को लेकर काफी सतर्क हैं. जैसे ही कोई मामला आता है, तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाता है. ईटीवी भारत की टीम ने इस पड़ताल में पाया गया कि यमुनानगर में भी महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं और वो पुलिस की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं.

ये भी पढ़ें- महिलाओं को लेकर हरियाणा कितना गंभीर? मुसीबत के वक्त महिलाओं की सुरक्षा राम भरोसे!

Intro:एंकर निर्भयकांड और हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत से पूरा देश शर्मसार है। कब रुकेंगे ऐसी घटनाएं ? कब महिलाएं अपने आप को जिस देश में पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करेंगे ? हालांकि सरकार की तरफ से इसके लिए कानून तो बना दिए गए हैं लेकिन अभी भी महिलाओं के प्रति ऐसी घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। देश और प्रदेश में कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं इसी का सच जानने के लिए आज ईटीवी की टीम ने यमुनानगर जिले की महिलाओं से बातचीत की और उनकी राय जानने की कोशिश की परंतु दुख की बात कि ज्यादातर महिलाओं का कहना है के महिलाएं आज भी कहीं भी सुरक्षित नजर नहीं आ रही है।


Body:वीओ देश प्रदेश के सागर जिले में महिलाएं अपने आपको कितना सुरक्षित महसूस करती हैं इसी का सच जानने के लिए आज हमारी टीम ने यमुनानगर के कुछ शिक्षक शिक्षक संस्थानों की महिलाओं से बात की क्योंकि रोजाना उनको घर से शिक्षा के लिए बाहर निकलना पड़ता है और ऐसे में वह अपने आप को कितना सिर्फ महसूस करती हैं लेकिन ज्यादातर महिलाओं का कहना है कि वह और उनके परिवार वाले आज भी लड़कियों को अंधेरे में बाहर निकलने मना करते हैं।

वीओ एक कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा मानसी का कहना है फिर महिलाएं सुरक्षित नहीं है। आज भी इनको बाहर आने जाने में अभी भी पिता और भाई का सहारा लेना पड़ता है और अगर कहीं उनके साथ कोई बात हो भी जाए तो लोग भी हेल्प नहीं करते हैं। मानसी से पूछा गया ,क्या उनके कॉलेज के बाहर पुलिस की पीसीआर तैनात रहती है ? इस सवाल के जवाब में मानसी का कहना था कि रोजाना तो पीसीआर नहीं आती है, कभी कबार जरूर दिखती है।

बाइट मानसी छात्रा

वीओ एक निजी कॉलेज की प्रोफेसर का कहना है के निर्भया कांड जैसे घटनाएं जब होती हैं तो कुछ दिन तो बहुत शोर किया जाता है लेकिन उसके बाद सब शांत होकर बैठ जाते हैं उसके बाद दोबारा कोई ऐसा केस आता है तो फिर से वही सब किया जाता है ,लेकिन स्थाई रूप से ऐसी चीजों का हल क्यों नहीं निकल रहा है । उनका कहना है वह दिन कब आएगा जब लड़कियां जैसे अपने आप को घर के अंदर महसूस करती हैं वैसे ही घर के बाहर सुरक्षित महसूस करें ।
उन्होंने बताया के उनके कॉलेज के बाहर छुट्टी के टाइम एक एक बाइक पर चार चार लड़के घूमते हैं लेकिन कहीं भी कोई भी उनकी चेकिंग नहीं करता ना ही कभी उनका लाइसेंस चेक किया जाता है। उनका कहना था कि कॉलेज में लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाती है पर लड़कों को कभी ऐसी ट्रेनिंग नहीं दी जाती क्योंकि लड़कियां असुरक्षित हैं इसीलिए उनको यह ट्रेनिंग दी जाती है कि जरूरत पड़ने पर वह अपनी रक्षा खुद कर सके।

बाइट। डॉली ( प्रोफेसर
बाइट सोनम निहारिका डिंपल (छात्राएं)

वीओ महिला थाने की डीएसपी सुरिंदर कौर का कहना है कि वह महिलाओं की प्रतीक अत्याचारों के आते मामलों को लेकर काफी संगीन हैं जैसे ही कोई मामला आता है तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाता है उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 2019 से लेकर 15 दिसंबर तक जिले में महिलाओं से संबंधित 308 जा मामले दर्ज किए गए हैं जिसमे से
498.....( दहेज के लिए प्रताड़ना )...196
354...( छेड़खानी)....43
376.....( बलात्कार)....53
pocso....(. बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न )....66

वीओ पहले के मुकाबले क्या अब महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मामलों में वृद्धि हुई है या कमी आई है इस सवाल के जवाब में डीएसपी ने कहा के उन्हें लगता है कि जितना ज्यादा मैसेज लोगों तक पहुंच जाएंगे उनमें एक डर बैठेगा और कुछ शिकायतें कम हो जाएं लेकिन अभी भी देखा गया है कि बहुत सी महिलाएं जागरूक नहीं हैं। अभी और भी प्रूवमेंट की जरूरत है ।
उन्होंने कहा कि जैसे ही उन पर उनके पास कोई भी फोन आता है तो वह उसी टाइम महिला की हेल्प के लिए पहुंचते हैं।

बाइट सुरिंदर कौर( पुलिस उप अधीक्षक महिला थाना


Conclusion:
Last Updated : Jan 5, 2020, 2:57 PM IST
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