यमुनानगर: हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत से पूरा देश शर्मसार है. कब रुकेंगी ऐसी घटनाएं? कब महिलाएं अपने आप को देश में पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करेगीं? हालांकि सरकार ने महिला सुरक्षा पर कानून तो बना दिए गए हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं के खिलाफ अपराध कम होने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं.
ईटीवी भारत की महिला सुरक्षा पर पड़ताल
प्रदेश में कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं, इसी का सच जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने यमुनानगर जिले की छात्राओं से बातचीत की और उनकी राय जानने की कोशिश की, लेकिन दुख की बात ये है कि ज्यादातर छात्राओं का कहना है कि वो खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं.
हमारी टीम ने यमुनानगर के कुछ कॉलेजों की छात्राओं से बात की. छात्राओं को रोजाना उनको घर से शिक्षा के लिए बाहर निकलना पड़ता है और ऐसे में वो अपने आप को कितना सेफ महसूस करती हैं. हमने जानने की कोशिश की. लेकिन ज्यादातर छात्राओं का कहा है कि उनके परिवार वाले आज भी अंधेरे में बाहर निकलने से मना करते हैं.
'घर से बाहर निकलने के लिए लेना पड़ता है सहारा'
कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा मानसी का कहना है कि महिलाएं सुरक्षित नहीं है. आज भी बाहर आने जाने के लिए पिता और भाई का सहारा लेना पड़ता है और अगर कहीं उनके साथ कोई बात हो भी जाए तो लोग हेल्प भी नहीं करते हैं.
मानसी से पूछा गया, क्या उनके कॉलेज के बाहर पुलिस की पीसीआर तैनात रहती है? इस सवाल के जवाब में मानसी का कहना था कि रोजाना तो पीसीआर नहीं आती है, कभी-कभी जरूर दिखती है.
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
एक निजी कॉलेज की महिला प्रोफेसर का कहना है कि निर्भया कांड जैसी घटनाएं जब होती हैं तो कुछ दिन तो बहुत शोर किया जाता है, लेकिन उसके बाद सब शांत होकर बैठ जाते हैं. उसके बाद दोबारा कोई ऐसा केस आता है तो फिर से वही सब किया जाता है.
उन्होंने कहा कि स्थाई रूप से ऐसी चीजों का हल निकाला जाना चाहिए. उनका कहना है कि वो दिन कब आएगा, जब लड़कियां जैसे अपने आप को घर के अंदर सुरक्षित महसूस करती हैं वैसे ही घर के बाहर सुरक्षित महसूस करें.
उन्होंने बताया कि उनके कॉलेज के बाहर छुट्टी के टाइम एक बाइक पर चार-चार लड़के घूमते हैं, लेकिन कहीं भी कोई भी उनकी चेकिंग नहीं करता.
'महिला अपराधों पर सतर्क'
महिला थाने की डीएसपी सुरिंदर कौर का कहना है कि वो महिलाओं के प्रति अपराधों को लेकर काफी सतर्क हैं. जैसे ही कोई मामला आता है, तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाता है. ईटीवी भारत की टीम ने इस पड़ताल में पाया गया कि यमुनानगर में भी महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं और वो पुलिस की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं.
ये भी पढ़ें- महिलाओं को लेकर हरियाणा कितना गंभीर? मुसीबत के वक्त महिलाओं की सुरक्षा राम भरोसे!