यमुनानगर: यमुनानगर जिला जेल में बंद कैदियों ने आयुर्वेदिक प्रोडक्ट से लेकर फर्नीचर और कई अन्य प्रोडक्ट तैयार किए हैं. जिसकी प्रदर्शनी सूरजकुंड मेले के अंदर लगाई जाएगी. यहां से इन प्रोडक्ट्स को मेले में भेजा जा रहा है. इन प्रोडक्ट्स की डिमांड गीता जयंती पर लगी प्रदर्शनी के बाद बढ़ी है, लोगों ने भी इन्हें काफी सराहा था. जेल विभाग इन प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन बेचने पर भी विचार कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में जेल में बंद कैदियों द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स की धूम दिखने को मिलेगी. जेल में बने 100 रुपए से 15 हजार तक के प्रोडक्ट प्रदर्शनी में दिखेंगे.
यमुनानगर जिला जेल के एसपी विशाल छिब्बर ने बताया कि जेल में बंदियों के दिमाग से नकारात्मक सोच को हटाने के लिए, इस तरीके के प्रयास किए जा रहे हैं. जब कैदी भविष्य में जेल से बाहर जाएंगे, तो मुख्यधारा में समाज के साथ सीधे जुड़ सकेंगे. जेल प्रशासन आम लोगों को इन प्रोडेक्ट्स को उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है. कैदियों के जीवन में बदलाव लाने के लिए जेल महानिदेशक मोहम्मद अकील के निर्देश के अनुसार काम किया जा रहा है.
![Jail Prisoners made products in Yamunanagar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17649511_yamunanagar2_aspera.jpg)
पढ़ें: रोहतक दिल्ली बाईपास के पास JLN नहर में दो शव बरामद, मृतकों की नहीं हुई पहचान
सूरजकुंड मेले में प्रदर्शनी: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में कैदियों के प्रोडक्ट की प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिसमें आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के साथ फर्नीचर और कई अन्य वस्तुएं शामिल की गई हैं. यमुनानगर जिला जेल में 22 तरह के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. यमुनानगर जिला जेल के विशाल छिब्बर ने बताया कि जेल के बंदियों द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स को गीता जयंती प्रदर्शनी में भी काफी पसंद किया गया था. इससे मिली प्रेरणा के बाद जेल प्रशासन ने लोगों की डिमांड के आधार पर इन्हें तैयार करवाया है. इनमें कई नई वस्तुओं को भी जोड़ा गया है.
जेल में बन रहे हैं यह प्रोडेक्ट्स: आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के अलावा जेल में लकड़ी से बनी कुर्सियां, बेड, शो पीस और आयरन सेक्शन में लोहे की अलमारियां बनाई जा रही हैं. जेल में हॉस्पिटल बेड भी बनाए जाते हैं. पॉट्स, स्टैंड्स और अन्य कई वस्तुओं को तैयार करवाया जा रहा है. जेल प्रशासन के पास 22 आयुर्वेदिक प्रोडेक्ट्स के लाइसेंस हैं. जेल में बने प्रोडेक्ट पर लागत के अलावा 10 प्रतिशत जेल विभाग लेता है, वह सरकारी खजाने में जमा होता है.
पढ़ें: झज्जर में पुलिस की रेड से हड़कंप, छत से भागने की कोशिश कर रहे युवक और युवतियों को पुलिस ने पकड़ा
कैदियों की पूरी टीम बनाती है प्रोडेक्ट: यमुनानगर जेल में कैदियों की एक पूरी टीम बनाई गई है. करीब 60 कैदियों की टीम में कारपेंटर, आयरन और आयुर्वेदिक सेक्शन में काम करने वाले कैदी शामिल हैं. कैदियों की यह टीम पूरी मेहनत से हर प्रोडक्ट बनाती है. आमतौर पर जेलों को लेकर लोगों में गलत धारणा देखी गई है. इसी धारणा को बदलने के लिए कैदियों को सृजनात्मक कार्यों से जोड़ा जा रहा है.