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Hathni Kund barrage: दिल्ली समेत 4 राज्यों को पानी देने वाले हथिनीकुंड बैराज पर खतरा, रिवर बेड 14 मीटर नीचे खिसका - हथिनी कुंड बैराज का रिवर बेड

हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज (Hathni Kund barrage) पर खतरा मंडरा रहा है. बैराज का रिवर बेड लगातार नीचे खिसक रहा है. अगर समय रहते इसे ठीक नहीं करवाया गया तो बड़ा नुकसान हो सकता है.

yamunanagar Hathni Kund barrage river bed
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Published : May 25, 2022, 4:47 PM IST

Updated : May 25, 2022, 10:57 PM IST

यमुनानगर: देश के 5 राज्यों में पानी का बंटवारा करने वाला हरियाणा का हथिनी कुंड बैराज (Hathni Kund barrage) खतरे में है. बैराज का रिवर बेड 14 मीटर नीचे चला गया है. अगर समय रहते इस तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में भारी नुकसान हो सकता है. 22 साल पहले बने इस बैराज का रिवर बेड साल दर साल नीचे जा रहा है जो चिंता का विषय बन गया है.

हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित पांच राज्यों को पानी पहुंचाने वाला यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज का शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल ने 1999 में किया गया था. रिकॉर्ड 3 साल में बनकर तैयार हुए इस बैराज का रिवर बेड लेवल 14 मीटर नीचे चला गया है. अधिकारियों की मानें तो अगर यह 4 मीटर और नीचे चला जाता है तो बैराज के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा.

दिल्ली समेत 4 राज्यों को पानी देने वाले हथिनीकुंड बैराज पर खतरा, रिवर बेड 14 मीटर नीचे खिसका

हथिनी कुंड बैराज जब बनकर तैयार हुआ था तब उसका रिवर बेड 329 मीटर था जो कि अब 315 मीटर रह गया है. हरियाणा सिंचाई विभाग में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर.एस. मित्तल ने जानकारी देते हुए बताया कि 2010 में आई बाढ़ के कारण बैराज को अधिक क्षति पहुंची. जिसके चलते रिवर बेड का स्तर लगातार कम होने लगा. उन्होंने बताया कि रिवर बेड के 4 मीटर और नीचे चले जाने से हालात काफी खराब हो जाएंगे.

इसकी जानकारी सेंट्रल वाटर कमीशन (central water commission) को भेज दी थी. सेंट्रल वाटर कमीशन ने पुणे स्थित अपने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी क्योंकि हथिनी कुंड बैराज का निर्माण सेंट्रल वाटर कमीशन की पुणे शाखा द्वारा ही किया गया था. सेंट्रल वाटर कमीशन की रिपोर्ट उन्हें मिल गई है. अब इस समस्या का एकमात्र समाधान यह है कि बैराज के 550 मीटर नीचे समर्सिबल वियर होल बनाया जाएगा. जिसका कार्य आने वाले मानसून सीजन के बाद शुरू कर दिया जाएगा और अगल वर्ष मानसून सीजन से पहले निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. आर एस मित्तल, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, हरियाणा सिंचाई विभाग

yamunanagar Hathni Kund barrage river bed
हथिनीकुंड की सुरक्षा को लेकर सिंचाई विभाग ने सेंट्रल वाटर कमीशन को रिपोर्ट भेज दी है.

बैराज का रिवर बेड इतनी तेजी से नीचे जाने के कारणों के बारे में आर.एस. मित्तल का कहना है कि जब यमुना में पानी आता है तो उसकी स्पीड बहुत ज्यादा होती है. उसमे बड़े-बड़े पत्थर बहकर आते हैं. वह रिवर बेड को नुकसान पहुंचाते हैं. इसी तरह 2010 और 2019 में भारी बाढ़ आने से बैराज की सुरक्षा में लगाए गए बड़े-बड़े ब्लॉक बह गए थे. जिससे बैराज को नुकसान हुआ है.

हथिनी कुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में यमुना नदी पर बना एक कंक्रीट बैराज है. इसका निर्माण अक्टूबर 1996 से जून 1999 के बीच सिंचाई के उद्देश्य से किया गया था. हथिनीकुंड बैराज का निर्माण 1873 में बने ताजेवाला बैराज के सेवा से बाहर होने के बाद बनाया गया था. हथिनीकुंड बैराज पानी को पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहरों की ओर मोड़ता है. बैराज द्वारा बनाया गया छोटा जलाशय जलपक्षी की 31 प्रजातियों के लिए भी वेटलैंड के रूप में काम करता है.

yamunanagar Hathni Kund barrage river bed
हथिनीकुंड बैराज का रिवर बेड 14 मीटर नीचे जा चुका है.

हथिनीकुंड बैराज के 18 गेट हैं. इनमें से 15 गेट हरियाणा में हैं जबकि 3 उत्तर प्रदेश में है. बैराज की क्षमता 10 लाख क्यूसेक पानी के दबाव की है. हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी के पानी को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में बंटवारा करके जल आपूर्ति की जाती है. जानकारों की मानें तो बैराज में जब पानी का बहाब डेढ़ लाख क्यूसेक से अधिक होता है तो उसके साथ बड़े पत्थर आने लगते हैं. जिससे बैराज पर दबाव बढ़ने लगता है और रिवर बेड के नीचे से मिट्टी खिसकने लगती है. इसके चलते धीरे-धीरे रिवर बेड नीचे चला जाता है.

यमुनानगर: देश के 5 राज्यों में पानी का बंटवारा करने वाला हरियाणा का हथिनी कुंड बैराज (Hathni Kund barrage) खतरे में है. बैराज का रिवर बेड 14 मीटर नीचे चला गया है. अगर समय रहते इस तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में भारी नुकसान हो सकता है. 22 साल पहले बने इस बैराज का रिवर बेड साल दर साल नीचे जा रहा है जो चिंता का विषय बन गया है.

हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित पांच राज्यों को पानी पहुंचाने वाला यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज का शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल ने 1999 में किया गया था. रिकॉर्ड 3 साल में बनकर तैयार हुए इस बैराज का रिवर बेड लेवल 14 मीटर नीचे चला गया है. अधिकारियों की मानें तो अगर यह 4 मीटर और नीचे चला जाता है तो बैराज के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा.

दिल्ली समेत 4 राज्यों को पानी देने वाले हथिनीकुंड बैराज पर खतरा, रिवर बेड 14 मीटर नीचे खिसका

हथिनी कुंड बैराज जब बनकर तैयार हुआ था तब उसका रिवर बेड 329 मीटर था जो कि अब 315 मीटर रह गया है. हरियाणा सिंचाई विभाग में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर.एस. मित्तल ने जानकारी देते हुए बताया कि 2010 में आई बाढ़ के कारण बैराज को अधिक क्षति पहुंची. जिसके चलते रिवर बेड का स्तर लगातार कम होने लगा. उन्होंने बताया कि रिवर बेड के 4 मीटर और नीचे चले जाने से हालात काफी खराब हो जाएंगे.

इसकी जानकारी सेंट्रल वाटर कमीशन (central water commission) को भेज दी थी. सेंट्रल वाटर कमीशन ने पुणे स्थित अपने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी क्योंकि हथिनी कुंड बैराज का निर्माण सेंट्रल वाटर कमीशन की पुणे शाखा द्वारा ही किया गया था. सेंट्रल वाटर कमीशन की रिपोर्ट उन्हें मिल गई है. अब इस समस्या का एकमात्र समाधान यह है कि बैराज के 550 मीटर नीचे समर्सिबल वियर होल बनाया जाएगा. जिसका कार्य आने वाले मानसून सीजन के बाद शुरू कर दिया जाएगा और अगल वर्ष मानसून सीजन से पहले निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. आर एस मित्तल, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, हरियाणा सिंचाई विभाग

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हथिनीकुंड की सुरक्षा को लेकर सिंचाई विभाग ने सेंट्रल वाटर कमीशन को रिपोर्ट भेज दी है.

बैराज का रिवर बेड इतनी तेजी से नीचे जाने के कारणों के बारे में आर.एस. मित्तल का कहना है कि जब यमुना में पानी आता है तो उसकी स्पीड बहुत ज्यादा होती है. उसमे बड़े-बड़े पत्थर बहकर आते हैं. वह रिवर बेड को नुकसान पहुंचाते हैं. इसी तरह 2010 और 2019 में भारी बाढ़ आने से बैराज की सुरक्षा में लगाए गए बड़े-बड़े ब्लॉक बह गए थे. जिससे बैराज को नुकसान हुआ है.

हथिनी कुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में यमुना नदी पर बना एक कंक्रीट बैराज है. इसका निर्माण अक्टूबर 1996 से जून 1999 के बीच सिंचाई के उद्देश्य से किया गया था. हथिनीकुंड बैराज का निर्माण 1873 में बने ताजेवाला बैराज के सेवा से बाहर होने के बाद बनाया गया था. हथिनीकुंड बैराज पानी को पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहरों की ओर मोड़ता है. बैराज द्वारा बनाया गया छोटा जलाशय जलपक्षी की 31 प्रजातियों के लिए भी वेटलैंड के रूप में काम करता है.

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हथिनीकुंड बैराज का रिवर बेड 14 मीटर नीचे जा चुका है.

हथिनीकुंड बैराज के 18 गेट हैं. इनमें से 15 गेट हरियाणा में हैं जबकि 3 उत्तर प्रदेश में है. बैराज की क्षमता 10 लाख क्यूसेक पानी के दबाव की है. हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी के पानी को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में बंटवारा करके जल आपूर्ति की जाती है. जानकारों की मानें तो बैराज में जब पानी का बहाब डेढ़ लाख क्यूसेक से अधिक होता है तो उसके साथ बड़े पत्थर आने लगते हैं. जिससे बैराज पर दबाव बढ़ने लगता है और रिवर बेड के नीचे से मिट्टी खिसकने लगती है. इसके चलते धीरे-धीरे रिवर बेड नीचे चला जाता है.

Last Updated : May 25, 2022, 10:57 PM IST
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